पानी हमारी बुनियादी जरूरतों में से एक है और क्या होगा जब हमारे पास पानी की एक बूंद भी नहीं होगी। जिस तरह से हम पानी बर्बाद कर रहे हैं, उससे दिखता है कि वह दिन ज्यादा दूर नहीं है जब इस ग्रह पर पीने का पानी बेहद कम बचा होगा। इसलिए, पानी को बचाना बेहद आवश्यक है जो हमें और हमारे ग्रह को भी बचाएगा। हम यहाँ पर इस लेख से सम्बंधित कुछ विशेष निबंध लेकर आये हैं जो आपको इस विषय को समझने में और भी ज्यादा मदद करेगा।
परिचय
मानव शरीर 60% पानी से बना है, जो आधे से अधिक है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यदि आपके शरीर को पानी की इतनी अधिक आवश्यकता है तो अन्य जानवरों और पौधों का क्या होगा? निश्चित रूप से, सभी में पानी का प्रतिशत भिन्न होता है; फिर भी, आप पानी के महत्व को देख सकते हैं। मैं कह सकता हूँ कि पानी के बिना हम मर जाएंगे। हम सभी जानते हैं कि पानी कितना महत्वपूर्ण है, फिर भी हम इतने लापरवाह क्यों हैं और पानी बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे हैं? मैं पानी की कमी के बारे में कुछ तथ्य लेकर आया हूँ और आशा करता हूँ कि यह आपको जल संरक्षण में कुछ कदम उठाने के लिए प्रेरित करेगा।
पानी की कमी के बारे में कुछ तथ्य
निष्कर्ष
ऊपर दिया गया डाटा निश्चित रूप से आपको पानी की कमी के बारे में सोचने पर मजबूर कर देगा। यदि आप पानी की कमी का सामना नहीं करते हैं तो आप ऐसे क्षेत्र में रहने के लिए धन्य हैं जहाँ पानी की आवश्यक मात्रा है। लेकिन आपको जल संरक्षण के लिए कुछ उपाय करने शुरू करने चाहिए; अन्यथा, जल्द ही पृथ्वी पर पीने के पानी का कोई ताजा स्रोत नहीं बचेगा।
परिचय
दुनिया लगातार विकसित हो रही है, हम विकास कर रहे हैं और राष्ट्र विकसित हो रहा है, विकास को जल्द ही शताब्दी शब्द के रूप में घोषित किया जाएगा। लेकिन हम सभी अपने आप को विकसित करने के लिए इतने चिंतित हैं कि हमने अपनी कुछ बुनियादी जरूरतों को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया है। क्या आप जानते हैं कि ज़िंदा रहने के लिए हमें किन ज़रूरी चीज़ों की आवश्यकता है? बेशक, वे हवा, पानी और भोजन हैं। हम इन चीजों का महत्व जानते हैं बावजूद इसके हम इसकी काफी कम परवाह करते हैं।
पानी की कमी के कारण
बढ़ती जनसंख्या : यह गलत नहीं होगा यदि मैं कहूँ कि प्रति वर्ष जनसंख्या अनियंत्रित तरीके से बढ़ रही है। बढ़ती आबादी को जीवन यापन के लिए पर्याप्त भोजन, पानी की भी आवश्यकता होती है। इसलिए, अनियंत्रित तरीके से पानी का उपयोग भी बढ़ गया गया है। साफ़ पानी के स्रोत जनसंख्या की तुलना में बहुत कम रह गए हैं और यह पानी की कमी के प्रमुख कारणों में से एक है।
जल प्रबंधन प्रणाली का अभाव : हमारे देश में, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में पानी की उचित व्यवस्था नहीं है। हमारे पास बाथरूम हैं जहाँ हम जो भी काम करते हैं उसके बाद वह पानी नालियों में बह जाता है। यहाँ पर एक अलग निकास प्रणाली होनी चाहिए ताकि हम पानी का पुन: उपयोग कर सकें। ज्यादातर रसोई के अपशिष्ट जल को पुनः इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन अव्यवस्थित जल प्रबंधन प्रणालियों की वजह से, यह अभी तक हमारे लिए संभव नहीं हो पाया है। जल निकासी के अलावा, वर्षा जल संचयन और अन्य सहायक कारक अभी भी केवल पुस्तकों में पढ़े जाते हैं। बहुत कम ही ऐसे लोग हैं जो पानी बचाने के लिए इन तरीकों को लागू करते हैं।
वनों की कटाई : पौधे न केवल हमें ऑक्सीजन देते हैं बल्कि भोजन भी प्रदान करते हैं और उचित बारिश के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। वे बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और यह मापा गया है कि कम पेड़ों वाले क्षेत्रों की तुलना में अधिक हरियाली वाले स्थानों में वर्षा काफी अच्छी होती है। जब उचित बारिश होगी तो पानी की कमी नहीं होगी। बढ़ते उद्योग और शहरीकरण वनों की कटाई के मुख्य कारण हैं।
डंपिंग वेस्ट : ज्यादातर उद्योगों का निर्माण नदी के किनारे किया जाता है। भारत में नदियाँ साफ़ पानी का प्रमुख स्रोत हैं। ये उद्योग अपने कचरे को नदी में बहा देते हैं, केवल उद्योगों का ही नहीं बल्कि मानव अपशिष्ट भी नदियों में बहा दिया जाता है। परिणामस्वरूप, वे प्रदूषित होते हैं और हमारे पीने के योग्य नहीं रह जाते।
निष्कर्ष
सभी को देखभाल की जरूरत है या तो यह हवा हो, पानी हो, या फिर एक रिश्ता हो। हमें हमेशा अपने प्रियजनों का ख्याल रखना चाहिए अन्यथा एक बार जब आप उन्हें खो देंगे, तो आपके लिए इसे फिर से पाना मुश्किल हो जायेगा। हम पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं, न केवल मनुष्य, बल्कि पशु, पौधे, आदि सभी को पानी की आवश्यकता है, फिर भी, हम बहुत गैर जिम्मेदार हैं। हमें जल्द ही कुछ कदम उठाने चाहिए अन्यथा एक दिन ऐसा आएगा जब पीने के लिए पानी नहीं बचेगा।
परिचय
पृथ्वी को एक नीले ग्रह के रूप में जाना जाता है और आज हम पानी की कमी पर निबंध लिख रहे हैं। दोनों थोड़े विरोधाभासी हैं मगर सच हैं। हालाँकि पृथ्वी पर बहुत सारा पानी है लेकिन पीने योग्य बहुत ही कम; ‘द राइम ऑफ़ द एनसिएन्ट मरीन’ की एक प्रसिद्ध पंक्ति ‘हर जगह पानी-पानी है लेकिन पीने के लिए एक भी बूंद नहीं है’ बेहद सटीक बैठती है। जिसका अर्थ है कि चारों तरफ पानी ही पानी है लेकिन यह एक महासागर था, जिसके पानी का स्वाद नमकीन होता है। इस कविता में नाविक प्यासा था लेकिन उसके आस-पास का पानी पीने में असमर्थ था। पृथ्वी पर साफ़ पानी का स्रोत केवल 2 से 3% है और शेष समुद्री जल जो पीने योग्य नही होता है।
जल की कमी के कारण
पानी की कमी के पीछे अलग-अलग कारण हैं और मैंने यहां नीचे उनका उल्लेख किया है:
ग्लोबल वार्मिंग : यह कई समस्याओं जैसे प्रदूषण, तापमान में वृद्धि, पानी की कमी आदि के प्रमुख कारणों में से एक है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान में वृद्धि की वजह से हिमखंड लगातार पिघल रहे हैं। ये हिमखंड समुद्र में पिघल रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप, साफ़ पानी के स्रोतों के बढ़ने के बजाय खारे पानी में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है।
जलवायु परिवर्तन : इन दिनों वर्षा के प्रतिशत में भारी कमी आई है, जिसका सीधा प्रभाव हमारे जल निकायों पर पड़ा है। बारिश साफ पानी के सर्वोत्तम स्रोतों में से एक है। हम बारिश के पानी से फसलों की कटाई करते हैं और इसका कई तरीकों से उपयोग भी करते हैं लेकिन जलवायु में बदलाव के कारण कभी-कभी हम सूखे का सामना करते हैं जबकि कभी-कभी हमें बाढ़ का भी सामना करना पड़ता है।
भूजल में कमी : बढ़ती आबादी और भूजल के अत्यधिक निष्कर्षण के कारण कई जल निकायों जैसे कुएं, झीलें, आदि सूख गई हैं। उनकी संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। पहले, यह शहरी क्षेत्रों में देखा जाता था, लेकिन इन दिनों गांवों को भी इस तरह के मुद्दे का सामना करना पड़ रहा है। और अगर जहाँ कहीं भूजल उपलब्ध है तो वह प्रदूषित है।
प्रदूषण : हम अपनी नदियों और झीलों की ज्यादा परवाह नहीं करते हैं, क्योंकि हम अपना कचरा नदियों में ही फेंक देते हैं। सबसे पहली बात यह है कि एक तो पानी नहीं है और जहाँ थोड़ा बहुत भी उपलब्ध है, हमने खुद ही उसे प्रदूषित कर दिया है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण यमुना नदी है। यह अब एक नाले से ज्यादा और कुछ नहीं है।
पानी की कमी को कैसे दूर किया जाए
हमारी सरकार ने जल संरक्षण के लिए कई योजनाएँ विकसित की हैं, जिनमे से कुछ का उल्लेख मैंने यहाँ नीचे किया है:
जल शक्ति अभियान : वर्षा जल के संरक्षण और सभी को साफ़ पानी प्रदान करने के लिए जल शक्ति अभियान की शुरुवात की गयी है। इसके अंतर्गत विभिन्न शिविरों का आयोजन कर के लोगों को पानी के महत्व के बारे में समझाया जाता है।
अटल भुजल योजना : यह योजना कुओं, तालाबों आदि जैसे ख़त्म होते जल निकायों की रक्षा के लिए बनाई गई है, जो भूजल प्रबंधन प्रणाली पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं।
जल जीवन मिशन : यह योजना शहरी और स्थानीय क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बनाई गयी है। और वे कृषि उद्देश्यों के लिए घरेलू अपशिष्ट जल के प्रबंधन पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं।
नदियों को आपस में जोड़ना : कुछ पठार नदियाँ है जो ग्रीष्मकाल में सूख जाती है परिणामस्वरूप उस क्षेत्र के लोगों को पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। वे विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, जैसे क्षेत्रों में पाई जाती हैं, इसलिए इन्हें सूखने से बचाने के लिए नदियों को आपस में जोड़ने की योजना बनाई गयी है। इनकी मदद से देश भर में नदियाँ आपस में जुड़ रही हैं और इससे कुछ विशेष क्षेत्रों में ग्रीष्मकाल में पानी के कमी की समस्या दूर भी हुई है।
वाटर एटीएम : आजकल ये वाटर एटीएम काफी लोकप्रिय हैं; वे आपकी आवश्यकता के अनुसार आपको एक लीटर या एक गिलास पानी देंगे। इन मशीनों को इस तरह से अनुकूलित किया जाता है कि वे अतिरिक्त पानी को गिरने न दें। यह पानी की बर्बादी को कम करने में मदद करता है, खासकर रेलवे स्टेशनों और सार्वजनिक क्षेत्रों पर।
रेन वाटर बेसिन : आजकल सरकार वर्षा जल संचयन पर ध्यान केंद्रित कर रही है और बारिश के पानी को बचाने के लिए गांव तथा बाहरी क्षेत्रों में बड़े बेसिन बनाए जाते हैं। ये वॉटर बेसिन कई तरह से मददगार होते हैं। वे भूजल में वृद्धि करते हैं; इसके अलावा वे कृषि और कई अन्य तरीकों में भी काफी मददगार हैं।
निष्कर्ष
इस तरह की नीतियों को लाना केवल सरकार का ही काम नहीं है, बल्कि हमें भी कुछ महत्वपूर्ण उपायों का पालन करना चाहिए और पानी को बर्बाद नहीं करना चाहिए। यदि जरूरत है तो इस्तेमाल करें अन्यथा नल को बंद रखें और पानी बचाने पर ध्यान दें। अन्यथा जल्द ही वह दिन आएगा जब हमें पानी को अपने सुरक्षा लॉकर में रखना होगा।