जैसा की हम सब जानते है कि पिछले दिनों आये कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में तबाही मचाई। इसी महामारी की वजह से दुनिया भर में लाखों लोगों ने अपनी जान गवाई। इससे बचने के लिए सारी दुनिया में लॉकडाउन (तालाबंदी) लगा दिया गया था। लॉकडाउन मेरे लिए बिल्कुल नया था। सभी देशों की सरकारों ने इस खतरनाक बीमारी कोरोना से अपने नागरिकों को बचाने के लिए लॉकडाउन का उपयोग किया। बहुत से लोग अपने व्यस्त जीवन को भुलाकर लॉकडाउन के चलते घर बैठे थे, और कुछ नया करने की कोशिश भी कर रहें थे।
कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन या तालाबंदी के दौरान हमने क्या-क्या चीजें सीखी, इस निबंध में हम उसके बारे में चर्चा करेंगे। मुझे उम्मीद है कि आप सभी ने भी लॉकडाउन के दौरान कुछ नया अवश्य किया होगा।
परिचय
कोरोना महामारी की वजह से सारी दुनिया में लॉकडाउन लगा हुआ था। कोरोना को फैलने से रोकने के लिए विश्व के अलग-अलग देशों में तालाबंदी अलग-अलग समय शुरु हुआ। भारत में 24 मार्च 2020 की रात्रि को कोरोना महामारी के कारण तालाबंदी की शुरुआत की गई। जिसे तीन चरणों में 70 दिन तक चलाया गया। यह वक्त काफी लम्बा था, पर इसी लॉकडाउन के कारण आज बहुत सी जानें सुरक्षित है। 70 दिनों के बाद भारत में इसे चरणबद्ध तरीके से खोला गया। इस लॉकडाउन का लोगों में अपने-अपने अनुभव रहे है।
लॉकडाउन क्या है?
लॉकडाउन का अर्थ है “तालाबंदी”, अर्थात सब कुछ बंद। लॉकडाउन एक आपातकालीन प्रक्रिया है, जो कि किसी आपदा या महामारी के वक्त किसी जगह या देश में लागू किया जाता है। इस दौरान लोगों को सुरक्षित रखने के लिए जो जहां है वही रहेगा, उसको अपने क्षेत्र को छोड़ने की अनुमति नहीं होती है। इस दौरान केवल आवश्यक सेवाओं की ही अनुमति होती है, बाकि सभी सेवाए बंद रखी जाती है। तालाबंदी का मुख्य उद्देश्य होता है लोगों की जान को बिना खतरे में डाले उन्हें जरूरी सेवा देते हुए सुरक्षित रखना।
मैंने लॉकडाउन के दौरान क्या सबक सीखा?
कोरोना महामारी के कारण हुए इस लॉकडाउन में लोगों को एक जगह में ही बंद कर दिया। लोग अपने व्यस्त जीवन को याद करने लगे। सभी के मन में कोरोना का भय भी था और जीवन यापन की चिंता भी थी। इन्हीं सभी बातों के कारण कुछ लोग अवसाद में भी चले गये तो कुछ लोगों को बाद में ये सब अच्छा लगने लगा की “जान है तो जहान है”। इस पूर्णतया लॉकडाउन ने हम सभी को और पूरी दुनिया को ‘जीवन का सबक’ अवश्य ही सिखा दिया है।
कोरोना महामारी में तालाबंदी के दौरान मैंने जीवन के बहुत से सबक सीखे है। जैसे –
इस तालाबंदी ने मुझे समय की महत्वता और उसके मोल की शिक्षा दी। कोई भी कार्य समय पर न करना खतरनाक साबित हो सकता है, जैसे समय पर स्वास्थ्य जांच। समय के महत्त्व को न समझने के कारण किसी की जान तक जा सकती है। तब मैंने समय के मूल्य और उसके महत्व को जाना।
वैसे तो आज के ज़माने में साहस सबके पास होता है। पर कोरोना काल में मुझे साहस का एक अलग अंदाज़ में देखेने को मिला। इस लॉकडाउन में न्यूज़ रिपोर्टर, पुलिस, डॉक्टरों के साहस का परिचय मुझे एक नए रूप में देखने को मिला। इस दौरान कोरोना मरीजों को इस महामारी से लड़ने और उन्हें बचने का साहस दिखाया है। जिसके कारण मैंने ज़िन्दगी की हर परिस्थिति में साहस के साथ जीना सिखा है।
कोरोना महामारी ने इस लॉकडाउन में सभी को स्वस्थ रहने का सबक दिया है। वैसे तो मैं पहले से ही जिम जाता हूं, पर तालाबंदी में सब कुछ बंद होने के कारण मैंने घर पर ही सुबह-शाम एक-एक घंटे अपने स्वास्थ्य पर समय बिताने लगा। जिसके कारण मैं पहले की तरह ही फिट हूँ। इस महामारी से लड़ने के लिए कई डॉक्टरों ने स्वस्थ और फिट रहने का उपाय व्यायाम और योग करने की सलाह दी थी, जिसको बहुत से लोगों ने अपनाया। इसके अलावा पौष्टिक खाना खाने की भी सलाह दी गई।
महामारी के इस काल ने हमें पैसों और चीजों के महत्त्व को भी समझाया। देखा जाये तो इस दौरान जरुरी सामानों और दवाओं के अलावा कोई अन्य खर्च नहीं था। पर ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पैसों का प्रबंधन बहुत ही आवश्यक हो जाता है।
लॉकडाउन के चलते सभी तरह की गतिविधियां लगभग बंद हो गई, और इसका असर हमें पर्यावरण में ताजी हवा, साफ़ आसमान, पक्षियों के शोर इत्यादि के रूप में देखने को मिली। गाड़ियों और कल-कारखानों के धुएं से प्रदूषित वातावरण अब साफ़ दिख रहा था। इससे हमें सबक लेने की आवश्यकता है। हमें अपने काम के साथ-साथ अपनी प्रकृति की रक्षा और प्रदूषण के कारणों को कम करने के उपायों के बारे में अवश्य ध्यान देना होगा। प्रकृति के दोहन से पृथ्वी के सारे जीव खतरे में पड़ सकते है।
परिवार के महत्त्व को समझा
कोरोना काल में लगे सेवार्थियों के अलावा तालाबंदी में हम सभी ने अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताया। मैंने अपने परिवार के साथ बिताये वक्त के साथ ही परिवार के महत्त्व को भी जाना। सारा परिवार मेरी कितनी चिंता करता है वो मुझे तालाबंदी के दौरान देखने को मिली। परिवार और उनके प्यार से बढ़कर कोई चीज़ नहीं होती। लॉकडाउन के दौरान मैंने परिवार के महत्त्व और जरुरत को समझा और जाना।
पढ़ने और सिखने के नए तरीके
देश में तालाबंदी के दौरान सारे कल-कारखाने, शिक्षण संस्थाए, व्यापार इत्यादि सब कुछ बंद थे। लॉकडाउन को देखते हुए फिर से इनका सुचारू रूप से त्वरित चलना मुश्किल दिख रहा था। पर स्कूल, कालेज जैसी शिक्षण संस्थाओं को ऑनलाइन पढ़ाई देखने को मिला। इसके कारण ऑनलाइन पढ़ाई और सिखाने की नई तकनीक देखने को मिली। कई ऑफिस के कार्य वर्क फ्रॉम होम के रूप में देखने को मिला। मैंने भी पढ़ने और काम करने का ऑनलाइन तरीका सीखा है।
महामारी के दौरान यह देखने को मिला की यदि आप घर से काम, पढ़ाई या किसी अन्य काम के लिए बाहर नहीं जा सकते तो वहीं चीजें आपके घर आ सकती हैं। मैंने ये भी देखा की यदि एक दरवाजा बंद होता है तो कई नए रास्तें खुलकर सामने आते हैं।
समय का पूर्ण उपयोग करना सीखा
लॉकडाउन से पहले आज तक किसी को भी इतने लबे समय तक घर में रहने का मौका नहीं मिला होगा। सबने अपने-अपने तरीके से समय का इस्तेमाल किया होगा। दो महीनें के इस लॉकडाउन में मैंने कई छोटे-बड़े काम किये और नई चीजें भी सीखी।
मुझे नोवेल, शायरी, जीवनशैली की किताबें पढ़ने का बहुत शौख है। तो जब भी मैं खाली होता था नोवेल पढ़ना, शब्दों के साथ जुगलबंदी कर शायरियां लिखना मुझे बहुत अच्छा लगता था। ऐसी दिलचस्पी मुझमें बहुत पहले से थी तो मैंने इस लॉकडाउन के समय का भरपूर इस्तेमाल किया। मैं सुबह शाम कुछ नए पौधें उगाने और लगाने में भी खर्च किये। इसके कारण मेरी बगिया काफी हरी भरी दिखने लगी थी।
मैंने तालाबंदी के इस समय से बहुत कुछ सिखा है, और मैं इसे अपने जीवन में सदैव बनाये रखने की कोशिश करूंगा। आगे चलकर सीखी गई सारी बातों का उपयोग अपने बेहतर जीवन के लिए इस्तेमाल भी करूंगा।
लॉकडाउन कैसा रहा?
कोरोना के कारण देश में हुए आपातकालीन तालाबंदी के कारण हमारी सारी गतिविधि एकदम से रुक गई। जिसके कारण पहले कुछ दिनों काफी उदासी और मायूसी महसूस हुई। फिर मैंने सुबह उठकर अपनी गतिविधियां जैसे – व्यायाम करना, सुबह पौधों को पानी देना, घर की साफ़ सफाई में हाथ बटाना इत्यादि करने लगा। वही बचे समय में मैं उपन्यास, जीवनी इत्यादि किताबें पढ़ता था। मैं माताजी के घर के कामों में हाथ बटाया करता था।
लॉकडाउन ने भले ही हमारें जीवन को सिमित कर दिया था, पर इससे हमने बहुत सी चीजें सीखी जैसे परिस्थितियों में प्रतिकूल रहना, खुद पर नियंत्रण रखना, आपा न खोना इत्यादि। यह भी सन्देश मिला कि ऐसी स्थिति और अनिश्चितता के लिए हमें खुद को तैयार रखना चाहिए, ताकि हम ऐसी परिस्थितियों का डटकर मुकाबला कर सकें।
निष्कर्ष
कोरोना महामारी में लॉकडाउन के दौरान सारी दुनिया को कई महत्वपूर्ण सन्देश दिए है। डार्विन के एक सिद्धांत के अनुसार हमें जीनें के लिए दुनिया की सभी चुनौतियों से लड़ना आना चाहिए। लॉकडाउन ने हमें खुद से लड़ने और खुद पर भरोसा करना सिखाया है। अतः मैं कह सकता हूँ कि कोरोना की इस महामारी ने हमें सच में जीना और जीने का तरीका बताया और सिखाया है।