एक स्कूल वह जगह होती है जहाँ हम किताबी ज्ञान ही हासिल नहीं करते हैं बल्कि यहाँ हम दोस्त बनाना, शरारत करना और सभी के साथ मिलकर हँसना भी सीखते हैं। हम सभी अपने स्कूल से प्यार करते हैं और हमारे माता-पिता भी चाहते हैं कि वो हमें सबसे बेहतर स्कूल में प्रवेश दिलाएं। वे ऐसे स्कूल की तलाश करते हैं जिसमें कुछ अलग विशेषताएं हो, जो हमें स्मार्ट बनाने के साथ-साथ अच्छी शिक्षा भी दे, वो भी एक ही समय में।
परिचय
मेरा नाम सुप्रिया है और मैं आर.के.पब्लिक स्कूल के कक्षा 3 में पढ़ती हूँ, और आज मैं आपको अपने स्कूल के बारे में कुछ खास बातें बताने जा रही हूँ, जो कि वाकई में काफी अच्छा है और मेरे स्कूल को बाकी सभी से अलग बनाता है।
मेरे स्कूल की कुछ खास बातें
सर्वश्रेष्ठ आधारिक संरचना : मेरा स्कूल सबसे सर्वश्रेष्ठ और सबसे बड़ा आधारिक संरचना वाला है और यह कई मायनों में काफी मददगार भी है। आजकल बहुत कम ही स्कूल होते हैं जहाँ खेल के मैदान होते हैं। मेरे स्कूल में छोटे और बड़े बच्चों दोनों के लिए अलग-अलग खेल के मैदान हैं। और यहाँ पर हम जहाँ चाहें, जब चाहें खेल सकते हैं, हमें कभी अपनी बारी का इन्तजार नहीं करना पड़ता है।
सर्वश्रेष्ठ शिक्षक : आधारिक संरचना के अलावा जो हमारे स्कूल की आत्मा है वो है हमारे शिक्षक। वे इतने ज्यादा अच्छे और सहयोगी हैं कि उनका साथ हमेशा अच्छा लगता है। मैं जब भी उलझन में होती हूँ तो उनसे पूछ लेती हूँ और यहाँ तक कि घर पर होमवर्क करते वक़्त जब कोई परेशानी आती है तो मैं उन्हें फोन तक कर लेती हूँ।
खास जन्मदिन समारोह : तीसरी खास बात हैं अनाथालय और वृद्धाश्रम, जी हाँ! अन्य स्कूलों में जब किसी का जन्मदिन होता है तो आमतौर पर वे टॉफी-चॉकलेट आदि बांटते हैं, मगर हमारे स्कूल में कुछ अलग किया जाता है। वह बच्चा, जिसका जन्मदिन होता है उसे किसी अनाथालय या वृद्धाश्रम में ले जाया जाता है, जहाँ पर वो टॉफी-चॉकलेट या अन्य जो कुछ अपने साथ लाये होते है वो उनके साथ बाँटते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि वो उनके साथ कुछ घंटे का वक़्त भी बिताते हैं। वाकई में मैं उस पल को बहुत ज्यादा पसंद करती हूँ और अपने जन्मदिन के आने का बेसब्री से इन्तजार करती हूँ।
निष्कर्ष
हम सभी मंदिर जाते हैं और कुछ अच्छे कार्य करते हैं जैसे हम दूसरों की मदद करते हैं, हम बाँटते हैं, हम दान करते हैं, कुछ अच्छे काम भी करते हैं, आदि। और ये सभी बातें हमारे स्कूल में सिखाई जाती है और मैं गर्व के साथ कह सकती हूँ कि मेरा स्कूल सर्वश्रेष्ठ है और मुझे यहाँ रहना बहुत पसंद है।
परिचय
स्कूल वह जगह हैं जहाँ जाते ही हमारे चेहरे पर स्वतः ही मुस्कान आ जाती है। कल्पना कीजिये कि अगर हमें स्कूल नहीं जाना होता, तो मैं यकीनन कह सकती हूँ कि हम घर पर या ऑनलाइन प्लेटफार्म से उतना कुछ नहीं सीख पाते जितना कि स्कूल में। असल में यहाँ हम सिर्फ किताबों से ही नहीं बल्कि दोस्तों, बड़ों और टीचर्स, आदि सभी से सीखते हैं। ये हमारा वातावरण ही है जो हमें काफी कुछ सिखाता है और इसीलिए स्कूल हमारा भविष्य बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मैं डीपी मेमोरियल स्कूल, बिलासपुर के कक्षा 6 की छात्रा हूँ। मैं अपने स्कूल की कुछ खास बातों के बारे में बताना चाहती हूँ जो वाकई में बहुत अच्छी है और दूसरों को काफी प्रेरित भी करती हैं।
मेरा विद्यालय
इतनी सारी चीजों को संभालना इतना आसान नही होता, मगर हमारे शिक्षक काफी अच्छे है और उनके अन्दर काफी ज्यादा धैर्य भी है। वे बच्चों को कभी नहीं डाँटते और बच्चे भी उन्हें काफी प्यार करते हैं।
निष्कर्ष
सभी स्कूल अच्छे होते हैं मगर मेरा स्कूल कई मामलों में बाकियों से काफी अलग है। ये एक रोल मॉडल की तरह है और बाकियों को इससे वाकई में सीखना चाहिए। मैं जब भी किसी को बताती हूँ कि मैं डीपी मेमोरियल स्कूल की छात्रा हूँ, तो उनके चेहरे पर स्वतः ही एक मुस्कान आ जाती है, यह वाकई में पूरे शहर में मशहूर है। मैं गर्व महसूस करती हूँ कि मैं इस स्कूल की छात्रा हूँ और मैंने भी काफी कड़ी मेहनत की है ताकि मेरे शिक्षक मुझ पर गर्व कर सकें।
परिचय
यह कहना गलत नहीं होगा की मेरा स्कूल मेरा दूसरा घर है। अपने पहले घर से मैंने कुछ मूलभूत चीजें सीखीं है जैसे चलना, बात करना, आदि जबकि लोगों से किस तरह बर्ताव करना, दोस्त बनाना, दुनिया का सामना करना, आदि ये सब मुझे मेरे स्कूल ने सिखाया है। मैं वाकई में अपने स्कूल को बहुत प्यार करता हूँ और तो और अपने शिक्षकों को भी। इस बात को मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता कि मैं उनका कितना ज्यादा आभारी हूँ। वाकई में मेरा स्कूल मेरे लिए काफी ज्यादा खास है। मेरे स्कूल में कुछ खास और अलग है जिसे वाकई में प्रचारित किया जाना चाहिए।
मेरे स्कूल के बारे में कुछ अच्छी बातें
हर स्कूल शिक्षा देता है मगर वो कौन सी चीज है जो उसे अलग बनाती है? उनका विभाग, उनकी सुविधाएँ और उनका भविष्य के लिए मार्गदर्शन करने का तरीका। हर स्कूल के पास उनके सर्वश्रेष्ठ शिक्षक होते हैं लेकिन जब आपके शिक्षक आपके दोस्त भी होते हैं तब बात कुछ अलग ही होती है। हाँ, मेरे शिक्षक मेरे दोस्त की तरह हैं, तब से जब मैं कक्षा 1 में था।
डायरी लिखने का चलन : असल में हमारे स्कूल में डायरी लिखने का चलन है और सभी छात्रों को प्रतिदिन डायरी लिखनी होती है, जिसे उनके शिक्षक रोजाना जांचते भी हैं। इससे शिक्षकों को अपने छात्रों को समझने में भी मदद मिलती है और बच्चे भी अपने विचार डायरी के माध्यम से व्यक्त करते हैं। इस तरह से शिक्षक काफी हद तक उसी तरह से बच्चे के साथ व्यवहार करते है जैसा वो चाहते हैं। इस तरह मुझे हर वर्ष एक नया बेस्ट फ्रेंड मिल जाता है मेरे क्लास टीचर के रूप में।
दंड देने के नए तरीके : मुझे नहीं लगता मेरे स्कूल का कोई भी छात्र शायद ही कभी स्केल से सजा पाया होगा। वो कभी कड़ी धुप में मैदान में खड़ा नहीं हुआ होगा। यहाँ सजा देने का तरीका भी काफी अलग है। सजा के तौर पर बच्चे को मैदान की सफाई करनी पड़ती है, सफाई वाले के साथ उसकी मदद के रूप में। उसे टीचर की कापियां भी इकट्ठी करने को कहा जाता है जिसे स्टाफ रूम में जमा करना होता है। असल में ये काम उन्हें सारा दिन करना होता है।
शुरुआत में, ये थोड़ा कठिन तो लगता है मगर धीरे धीरे ऐसा करने से दूसरों की मदद करने की आदत बन जाती है, जो हमारे परिवार के लोगों की मदद करने के भी काम आती है। यह वाकई में एक बहुत ही शानदार आईडिया है जो हमें काफी कुछ सिखाता है। क्योंकि ऐसा अन्य कोई माध्यम नहीं है जो हमें सिखा सके कि हमें अपने घर के काम में कैसे मदद करनी है।
सबसे अच्छे शिक्षक : हमारे शिक्षक विशेष रूप से प्रशिक्षित होते हैं और शैक्षिक योग्यताओं के अलावा उन्हें खास प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे बच्चों की मनोस्थिति को समझ सकें और बच्चों के साथ बेहतर व्यवहार कर सकें।
बाल मनोवैज्ञानिक हर माह स्कूल का दौरा करते हैं और अलग अलग तरह का प्रशिक्षण देते हैं। इससे शिक्षकों को हमें समझने में काफी मदद मिलती है, और मैं गर्व के साथ कह सकता हूँ कि यही वो वजह है जो स्कूल का 100 प्रतिशत परिणाम आता है।
हमारी प्रधानाध्यापिका महोदया : इन्हें वाकई में सर्वश्रेष्ठ प्रधानाध्यापक का पुरस्कार मिलना चाहिए। वाकई में मिसेज प्रभा मैम हमारे स्कूल की एक बहुत ही प्रेरणात्मक और सक्रीय महिला है। प्रधानाध्यापक होते हुए भी वो कभी अपने ऑफिस में बैठी नहीं रहती है। वो लंच के दौरान या फिर क्लास के दौरान हम सभी से आकर मिलती रहती हैं।
अगर हमें स्कूल के बारे में या किसी भी अन्य विषय पर उनसे बात करनी है तो हम कभी हिचकते नहीं क्योंकि वो बहुत ही नम्र हैं, और उनसे बात करना काफी आसन होता है। उनका दरवाजा हर किसी के लिए हमेशा खुला रहता है। मैं अपने साथ हुए एक किस्से के बारे में साझा करना चाहूँगा। बात तब की है जब मैं चौथी कक्षा में था और हाथ में रुमाल ले कर इधर उधर दौड़ लगा रहा था। असल में वो हमारा लंच का वक़्त था, तब उन्होंने मुझे देखा और मुझे हाथ में इस तरह रुमाल लेकर चलने की बजाय 3 अलग-अलग तरह से रुमाल को रखने का तरीका बताया। हालाँकि मैं उतना बड़ा नहीं था कि उनकी इस शिक्षा के महत्त्व को समझ सकता, मगर ये कुछ अलग था जिसे मैं आज भी बहुत ही आसानी से याद रखे हुए हूँ।
निष्कर्ष
जब लोग पैसे कमाने की बजाय देश को पढ़ाने की सोचते हैं तब राष्ट्र में कुछ बदलाव आता है। और एक स्कूल तब तक कोई मतलब नहीं रखता जब तक वो शिक्षा के पारंपरिक तौर तरीकों का ही पालन करते आता है। यहाँ पर कुछ अलग रचनात्मक होना चाहिए तब जाकर स्कूल अलग बनता है।