रात में जब अचानक बिजली चली जाती है और चारों ओर बस अंधेरा ही होता है, तो उस समय आपको कैसा लगता है? क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया है कि उस अंधेरे के समय आपके पीछे कोई है, और तब आप ऐसा देखकर उस जगह से बहुत तेजी के साथ भागते हैं। कुछ चीजों से डरना मानवी स्वाभाव है। हम में से कई लोगों के लिए अपने वास्तविक जीवन के अनुभवों को निबंध के रूप में प्रकट करना बहुत मुश्किल होता है। हम यह नहीं समझ पाते कि अपने व्यावहारिक जीवन की घटनाओं में क्या लिखे, उसकी शुरुआत कहां से करे?
इन सब चीजों को लिखने में उन्हें एक अंदरूनी डर भी लगता हैं। ब्रम्हांड में मौजूद हर कोई किसी न किसी चीज से अवश्य ही डरते हैं। इस निबंध के द्वारा मैं उन चीजों के बारें में बताऊंगा जिनसे वास्तव में मुझे डर लगता हैं। मेरे जीवन में वैसे तो सारी चीजें सामान्य है पर कभी-कभी कुछ चीजें मुझे वास्तव में भयभीत कर देती है। इस निबंध के माध्यम से छात्रों को उनके अपने विचारों को जानने में मदद मिलेगी की उन्हें किस चीज से डर लगता है।
परिचय
हम सभी ने दुनिया में ऐसे बहादुर लोगों के बारे में अवश्य ही सुना होगा जो किसी भी चीज से नहीं डरते हैं। पर ऐसा हर जगह सच नहीं हो सकता है। अधिकांशतः इस ब्रम्हांड के सभी मनुष्य किसी न किसी चीज से अवश्य ही डरते है। हमने देखा है कि बहुत से लोग खतरनाक चीजों से नहीं डरते हैं, लेकिन तिलचट्टे, चूहे, छिपकली या चींटी इत्यादि से आसानी से डर जाते हैं। यह सब सुनकर थोड़ा अजीब सा लगता है पर वास्तव में यह सच होता है।
हमें डर कैसे लगता है?
एक व्यक्ति आमतौर पर डर जाता है, अगर वो किसी डर की स्थिति में है। डर एक ऐसी चीज है जो हमारे दिमाग में हमारी कल्पनाओं के जरिए पैदा होती है। जीवन में कोई न कोई ऐसी चीज होती है जो हमें खतरनाक या सबसे डरावनी लगती है। यह हमारे मन में अतार्किक कल्पनाओं के उत्पन्न भावनाएं होती हैं, जिससे हमें डर लगता हैं। इस दुनिया में हर कोई कई तरह के डर से घिरा रहता है।
ये डर हमारे दैनिक जीवन से जुड़े हुए हो सकते हैं, लेकिन उनके भी कुछ ऐसे कारक और कारण होते हैं जिनसे हमें सबसे ज्यादा डर लगता हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि हम जिन चीजों से अनजान होते हैं, उन चीजों से मिलने पर हम नर्वस महसूस करते हैं और हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आप सोच रहे होंगे कि कोई इंसान इतनी सारी बातों से कैसे डर सकता है, लेकिन यह सब सच में होता है और मैं यहां पर अपने अनुभव को साझा कर रहा हूं।
डरने का मेरा अनुभव
यह केवल एक चीज ही नहीं है, जो मुझे अपने जीवन में सबसे ज्यादा डराती है। मेरे जीवन में कुछ विभिन्न चीजें है जिनसे मुझे डर लगता है। यह डर मुझे कभी-कभी भयभीत और उदास भी कर देता है। लेकिन मेरे जीवन में कुछ ऐसी चीजें है जिनसे मुझे सबसे ज्यादा डर लगता है। मुझे अंधेरे, डरावनी चीजें, डरावनी फिल्मों, बुरी आत्माओं की कहानियां, गहरे पानी और अस्पतालों से सबसे ज्यादा डर लगता है। इन सब चीजों में से सबसे ज्यादा अंधेरे और रेंगने वाले जीवों से सबसे ज्यादा डर लगता है।
मुझे अंधेरे यानि निक्टोफोबिया से बहुत ज्यादा डर लगता है। इस वजह से मैं सोते समय अपने कमरे की लाइट कभी बंद नहीं करता हूं। मान लीजिए कि जब मैं सो रहा होता हूं, तो किसी ने लाइट बंद कर दी तो, यह मेरे लिए सबसे भयावह स्थिति है क्योंकि इससे मुझे घुटन सी महसूस होने लगती है। इसकी वजह से मेरे दिल की धड़कने भी तेज होने लगती है। ऐसी स्थिति में मुझे लगता है कि मेरे बिस्तर पर मेरे साथ या मेरे बिस्तर के निचे कुछ है। इस स्थिति से मैं कई बार गुजर चुका हूं। मैं कई बार रातों को जब बिजली चली जाती है तो डर की वजह से मैं कई बार चिल्लाकर उठ कर बैठ जाता हूं और कमरे में रोशनी करने की चीजें ढूंढने लगता हूं।
मुझे डरावनी फिल्मों और आत्माओं की कहानियों के नाम से ही डर लगने लगता हैं। ऐसा सुनते ही मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं और मेरे अंदर एक अजीब सी घबराहट होने लगती है। जब भी मैं अपने दोस्तों के साथ डरावनी फिल्में देखता था, तो उस समय मैं बुरी आत्माओं की उपस्थिति होने पर मैं अपनी आखे बंद करके फिल्म को देखता था या यूं कहें आखे बंद कर बैठा रहता था और फिल्म देखने का नाटक करता था। उस रात मुझे ठीक से नींद भी नहीं आती थी क्योंकि उस रात मुझे उस फिल्म के पात्रों का अस्तित्व मेरे बिस्तर के आस-पास मुझे महसूस होता था।
मुझे वास्तव में जलाशयों और उनके गहरे पानी से भय लगता है। मुझे पानी से इसलिए डर लगता है, क्योंकि मुझे लगता है कि पानी में कोई मछली, सांप या रेंगने वाला कीट हो सकता है। जैसे ही मैं अपना हाथ और पैर पानी में रखूंगा तो मुझे लगता है वो मेरे हाथों या पैरों के निचे भी आ सकते है। यह डर मुझे अंदर से झकझोर देता है और इसलिए मुझे पानी में तैरने या पानी में हाथ पैर डालने में बहुत डर लगता है।
मुझे सरीसृपों से ज्यादा भय लगता है। मैं सर्दियों को अपना पसंदीदा मौसम मानता हूं। पर इन जीवों की वजह से सर्दियों के मौसम में मुझे हमेशा भय सा लगा रहता है। इस मौसम में सरीसृप कही भी किसी कमरे या दीवारों पर दिखाई दे जाते हैं। मुझे ऐसे रेंगने वाले छोटे-छोटे जानवरों से इतना डर लगता है कि वो जिस कमरे में रहते है, मैं वहां नहीं रह सकता हूं। मैं इस बात से डरता हूं कि वो मेरे ऊपर ही गिर जायेंगे और केवल इसी ख्याल से ही मैं डर जाता हूं।
मैं अपने कमरे की दरवाजे और खिड़कियों को ज्यादातर बंद ही रखता हूं। इस डर की वजह से की कही रेंगने वाले कीड़े मेरे कमरे में न आ जाये। इसी डर के कारण गर्मी के दिनों में गर्म तापमान के बावजूद भी मैं कभी भी अपने जालीदार खिड़कियों को नहीं खोलता हूँ इन्हें मैं हमेशा बंद ही रखता हूं। कई बार ऐसा भी होता है कि मुझे नींद नहीं आती है क्योंकी मुझे इन सर्पसृपों से डर लगता है और अंधेरे से भी।
रेंगने वाले जीवों को बल्ब का प्रकाश अपनी ओर आकर्षित करता है और तब यह मेरे लिए सबसे असामान्य स्थिति होती है। क्योंकि छिपकली को बाहर निकालने के लिए मुझे कमरे की लाइट को बंद करने की जरुरत होती है और उसके साथ ही मैं बिना रोशनी के कमरे में नहीं रह सकता हूं और मुझे घुटन सी होती है।
मुझे आत्माओं से बहुत डर लगता है और इसलिए मुझे लाशों से भी बहुत डर लगता है। विशेष रूप से मुझे अस्पतालों में जाने से बहुत ही डर लगता है क्योंकि वहां बहुत सारे लोगों की मृत्यु हो जाती हैं और मैं उनके लाशों को मैं नहीं देख सकता हूं। यदि गलती से मैंने उस लाश को देख लिया तो मैं रातभर सो नहीं पाउँगा, क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि वो व्यक्ति मेरे सामने या मेरे ही कमरे में कहीं है। ये सारे विचार मेरी ही कल्पनाओं के ही परिणाम है जो मुझे हमेशा डराते है और ऐसे विचार मेरे रोंगटे खड़े कर जाते है।
क्या उस डर से छुटकारा पाना संभव है जो हमें सबसे ज्यादा डराता है?
डरने का मुख्य कारण हमारे अंदर किसी बात को लेकर पैदा होने वाला डर होता है। यह हमारे अंदर तब पैदा होता है, जब हम किसी चीज से डर की कल्पना करते हैं। एक ही बार में किसी चीज से डर को दूर भागना इतना आसान नहीं है लेकिन हम इसके लिए प्रयास अवश्य कर सकते हैं। इसके लिए हमें उन चीजों के बारे में उचित जानकारी और समझ इकठ्ठा करने की आवश्यकता है, जिन चीजों से हमें डर लगता हैं। उन चीजों से सामना करने के लिए हमें अपनी समझ और शक्ति की जरुरत होती है, वास्तव में इसके लिए हमें अपने आप को बहादुर बनाना पड़ेगा।
विभिन्न चीजों से हमें अपने अंदर के कई भयों से छुटकारा पाने के लिए खुद को बहादुर बनाना ही सबसे सही तरीका है। अधिक आत्मविश्वास और सकारात्मक दृटिकोण हमारे मन के भय को धीरे-धीरे कम करेगा। इन सब डरों से बाहर निकलने और सामान्य स्थिति बनाने के लिए ध्यान करना एक अच्छा तरीका है। हमारी हिम्मत और बहादुरी भी हमारे डर को कम करने और इसे खत्म करने में सहायक सिद्ध होती है। इसलिए हमें अपने ज्ञान को बढ़ा कर बहादुरी से डर का सामना करना चाहिए।
निष्कर्ष
मुझे उम्मीद है कि आप सब भी अपने जीवन में किसी न किसी चीज से अवश्य डरते होंगे। किसी भी चीज के बारे में डरावने विचार ही हमारे अंदर डर पैदा करते हैं। हमें अपने मन से ऐसे विचारों को निकलने के लिए कोई ठोस तरीका विकसित करना चाहिए जिनसे हमें डर न लगे। डरावनापन हमारे जीवन में एक बड़ी बाधा के रूप में भविष्य में सामने आ सकती हैं। क्योंकि यह हमें उन चीजों को करने से रोकती है, जो चीजें हम अपने जीवन में करना चाहते हैं। कभी-कभी ये डर जो जीवन में हमें डराती है, वो हमारे अंदर किसी मानसिक बीमारी या समस्या बनकर हमारे जीवन को भी प्रभावित कर सकती हैं। इन सबसे बाहर निकलने के लिए हमें डाक्टरों से परामर्श और अपने बड़ों की सलाह लेनी चाहिए।