भारत की आबादी का 75% हिस्सा मध्यवर्गी परीवारों से है जो आज के नीजी स्कूलों का शुल्क देने में असमर्थ है। जो परीवार किसी तरह करके यह शुल्क देता भी है वह महीने के अंत तक अपनी जेब खाली पाता है। बच्चों के अच्छे भविष्य की चिंता में आज कल लगभग हर माँ बाप की यही कोशिश रहती है कि वे अपने बच्चों को एक अच्छे नीजी स्कूल में ही दाखिला करवाएं। भले ही उसका खर्च उठाने में अभीभावकों की कमर टूट जाती है परन्तु अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं भेजना चाहते।
सरकारी स्कूल क्यों आवश्यक है पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Why Government Schools are Necessary in Hindi, Sarkari School Kyon Awashyak hai par Nibandh Hindi mein)
1000 Words Essay
प्रस्तावना
आज जिस प्रकार से नीजी स्कूलों की तरफ अभीभावकों का झुकाव बढ़ा है सरकारी विधालयों का महत्व दिन प्रति दिन घटता जा रहा है। निजी स्कूलों की चमक धमक का पर्दा लोगों की आँखों पर इस प्रकार पड़ा हुआ है कि अभिभावकों को सरकार द्वारा दी जाने वाली मुफ़्त सुविधाओं का भी लाभ नहीं लेना है। आज कल अभिभावकों को सिर्फ़ आधुनिक उपकरण और बड़े बड़े इमारत ही पसंद आते है। सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर पहले के अपेक्षा काफ़ी गिर चुका जिसके कारण भी वर्तमान समय में निजी स्कूलों की अहमियत बढ़ी है।
सरकारी स्कूलों की क्या आवश्यकता है? (What is the need of Government Schools?)
भले ही आज सभी अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजना चाहते हो लेकिन उन्हें भी इस बात की चिंता हमेशा सताती है कि निजी स्कूलों का इतना अधिक शुल्क वो दे पाएंगे या नहीं। सरकारी स्कूलों का शुल्क कोई भी गरीब परिवार बहुत ही आसानी से उठा सकता है। सरकारी स्कूलों में किताबें और यूनिफॉर्म भी मुफ़्त दिए जाते हैं जिससे अभिभावकों को आर्थिक रूप से काफ़ी सहूलियत मिलती है। सरकारी स्कूलों में मिड डे मील की व्यवस्था से बच्चों के स्वास्थ्य का भी विशेष ख्याल रखा जाता है।
एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए सरकारी स्कूल आर्थिक रूप से बहुत मददगार साबित होता है। अभिभावकों के सिर से हर महीने हजोरों का शुल्क देने का तनाव नहीं रहता। छोटी मोटी नौकरी पेशा इंसान भी बड़े आराम से सरकारी स्कूल का शुल्क देकर अपने बच्चों की पढ़ाई पूरी करवा सकता है। प्राइवेट स्कूलों की तरह सरकारी स्कूलों में हर छोटे मोटे कार्यक्रम के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता। सरकारी स्कूलों में समय समय पर अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि अध्यापकों और छात्रों के बीच अच्छे तालमेल के साथ अध्ययन कार्य सम्पन्न हो सके।
लोग सरकारी स्कूलों के बजाय प्राइवेट स्कूलों को क्यों पसंद करते हैं? (Why do people prefer Private Schools over Government Schools?)
आज कल पढ़ाई के लिए भी एक से एक आधुनिक उपकरणों का प्रयोग प्राइवेट स्कूलों में किया जा रहा है जिससे किसी भी चीज को समझना और ज्यादा आसान हो गया है। आज कल के बच्चों को भी ये आधुनिक प्रणाली बहुत पसंद आ रही है जिससे बच्चों का पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ी है। प्राइवेट स्कूलों में समय समय पर खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है जिससे बच्चों का पढ़ाई के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी मन लगा रहता है। प्राइवेट स्कूलों में बच्चों और अध्यापकों में एक अनुशासन रहता है जबकि सरकारी स्कूल इस मामले में बहुत पीछे है। समय समय पर बच्चों के अभिभावकों के साथ अध्यापकों की मीटिंग होती है जिससे बच्चों की कमी और अच्छाई का पता चलता है। जिसके बाद अभिभावक और अध्यापक दोनों मिलकर बच्चों की कमियों को सुधार सकते हैं।
वर्तमान समय में अंग्रेजी हर क्षेत्र में इतना जरूरी हो चुका है कि उसके बिना तो बच्चों के अच्छे भविष्य की कल्पना आज कल के माता पिता कर ही नहीं सकते। प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की अंग्रेजी सरकारी स्कूलों के बच्चों से बहुत ही अच्छी होती है यही वजह है कि भविष्य में जब बात नौकरी की आती है तो प्राइवेट स्कूल के बच्चे ही अव्वल रहते हैं। सरकारी स्कूलों में अध्यापक कभी समय पर आता है तो कभी नहीं साथ ही साथ सरकारी स्कूलों के अध्यापकों को अपनी नौकरी जाने का कोई डर न होने के कारण वो कक्षाओं में आकर आराम भी फरमाने लगते है। जबकि प्राइवेट स्कूलों में अध्यापक का समय निश्चित होता है और कक्षा में समय पर न पहुँचने पर उन्हें अपनी नौकरी जाने का खतरा भी बना रहता है।
सरकारी स्कूलों का राष्ट्र के विकास में भूमिका (Role of Government Schools in the development of the Nation)
थोड़े बहुत बदलावों के बाद सरकारी स्कूल राष्ट्र के विकास में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं। एक अनुशासित ढंग से सरकारी स्कूल के संचालन से बच्चों को एक अच्छा माहौल मिलेगा। सरकारी स्कूलों को भी प्राइवेट की तरह नए नए तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि अभिभावकों को ज्यादा पैसे खर्च करके प्राइवेट स्कूलों में न भेजना पड़े और बच्चों की भी पढ़ाई की तरफ रुझान बढ़े। सरकारी स्कूलों जितनी कम फीस में प्राइवेट जैसी सुविधाएं मिलने पर कौन सा अभिभावक अपने बच्चों को ज्यादा पैसे देकर प्राइवेट स्कूलों में भेजना चाहेगा।
कम पैसे में अगर अच्छी पढ़ाई मिलेगी तो गरीब घर के बच्चे जिन्हें पढ़ाई में रुचि है और आगे कुछ बड़ा करना चाहते हैं, वो सरकारी सुविधाओं का फायदा उठाकर अपनी मंजिल प्राप्त कर सकते हैं तथा राष्ट्र के विकास में अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं। बहुत से अभिभावक जो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं, प्राइवेट स्कूलों की भारी फीस के कारण सरकारी स्कूलों का सहारा लेते हैं लेकिन सरकारी स्कूलों की कमजोर व्यवस्था के कारण बच्चा भी पढ़ाई में कमजोर ही रह जाता है।
सरकारी स्कूलों की खराब स्थिति के बावजूद कुछ बच्चे इतने होनहार होते हैं कि उनका रिजल्ट प्राइवेट स्कूल के बच्चों से भी अच्छा होता है अगर ऐसे बच्चों को सरकारी स्कूल में ही प्राइवेट जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए तो ऐसे बच्चे जरूर अंबेडकर और कलाम जैसे राष्ट्र का सिर गर्व से ऊंचा करेंगे।
निष्कर्ष
वर्तमान समय में देश के लगभग सभी सरकारी स्कूलों को मरम्मत की आवश्यकता है। कहीं पर अनुशासन की जरूरत है तो कहीं पर एक अच्छे स्तर के शिक्षा की जरूरत है। सरकारी स्कूलों को प्रोजेक्टर, कंप्युटर आदि आधुनिक उपकरणों की मदद से बच्चों की शिक्षा को और बेहतर बनाना चाहिए ताकि बच्चे भविष्य में आने वाली अंग्रेजी और कंप्युटर को आफत न समझे। सरकार को भी चाहिए कि समय समय पर सरकारी स्कूलों का मुआयना करें ताकि अध्यापक अपनी भूमिका अच्छे से निभाते रहें।
शिक्षा के साथ साथ सरकारी स्कूलों की साफ सफाई और बच्चों के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखना चाहिए। सरकारी स्कूल के बच्चों को खेलकुद और बाकी प्रतिभाओं के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। समय समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिता का आयोजन किया जाना चाहिए ताकि बच्चों में छिपी प्रतिभा बाहर निकल कर आए। ऐसे हुनरदार छात्रों को सरकारी सुविधाएं मुहैया करा कर उनकी प्रतिभा को निखारने में उनकी मदद करनी चाहिए ताकि भविष्य में बच्चा अपनी प्रतिभा से देश का नाम ऊंचा करे।
FAQs: Frequently Asked Questions
उत्तर – वर्तमान समय में भारत की साक्षरता दर लगभग 69.3% है।
उत्तर – वर्तमान समय में भारत की पुरुष साक्षरता दर लगभग 78.8% है।
उत्तर – वर्तमान समय में भारत की महिला साक्षरता दर लगभग 59.3% है।
उत्तर – बिहार भारत का सबसे अशिक्षित राज्य है।