‘अंग्रेजी’ आज दुनियां मे सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं मे से एक है, और हमे इसे निश्चित रुप से सीखना चाहिए। अलग-अलग लोगों का अपनी भाषा चुनने के बारें मे अलग-अलग विचार (मत) होते है, लेकिन मेरी राय मे हमे समाज के साथ चलना चाहिए। मैनें कुछ महत्वपूर्ण निबन्ध को यहां आपके सामने प्रस्तुत किया है, और मै आशा करता हूं कि यह आपको पसंद आएगा।
परिचय
दुनियां मे तकरीबन 6000 से अधिक भाषाएं बोली जाती है। केवल भारत मे ही लोग तकरीबन 120 से अधिक भाषाएं बोलते है, जिसमे से अंग्रेजी भी एक है। भाषा हमारे विचारों और कार्यों को व्यक्त करने का एक माध्यम होता है। हम सभी को बात करने के लिए एक माध्यम की जरुरत होती है और वह माध्यम होती है, ‘हमारी भाषा’। जो लोग सुन नही सकते है उनके लिए साइन लैंग्वेज (सांकेतिक भाषा) होती है। इन सभी भाषाओं के अलावा हम यहां अंग्रेजी भाषा के बारे मे बात करेगे।
अंग्रेजी भाषा का महत्व (Importance of English Language)
अंग्रेजी विश्व भर मे सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है। भारत अपनी हिन्दी के लिए जाना जाता है, पर भारत मे भी ऐसे बहुत से ऐसे लोग है जो हिन्दी नही बोलते है। मैनें यहां अंग्रेजी भाषा के महत्व के बारे मे आपको बताया है।
निष्कर्ष
यह सत्य है कि, हमे अपनी मातृ भाषा को कभी नही भुलना चाहिए, लेकिन साथ ही हमे अंग्रेजी भी अवश्य सिखनी चाहिए, यह आपकी हर जगह सहायता करती है। उपर जो भी प्रमुख बातें बताई गयी है, इससे कही ज्यादा इसका महत्व होता है। अंग्रेजी बहुत ही प्रचलित भाषा है, क्योकि अन्य भाषाओं की अपेक्षा विश्व के ज्यादातर हिस्सों मे अंग्रेजी भाषा ही बोली जाती है।
परिचय
जैसा कि हम जानते है कि हमे अपने भावनाओं और विचारों, या आप क्या कहना चाहते है, उसे व्यक्त करने के लिए एक माध्यम की आवश्यकता होती है। ज्यादातर लोग अपने घर अपनी मातृ भाषा मे बात करते है और साथ ही साथ हम अपने कार्य स्थल पर अलग भाषा का प्रयोग करते है। और मातृ भाषा के अलावा केवल अंग्रेजी ही सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है। क्या आप जानते है कि यह भाषा इतनी प्रचलित क्यों है और इसका ऐतिहासिक महत्व क्या है। आइएं विस्तार से जानते है।
भारत मे अंग्रेजी का इतिहास (History of English in India)
जैसा कि हमे पता है, भारत ब्रिटिश अंग्रेजी भाषा का अनुसरण करता है, और जब अंग्रेज भारत में आये तब अंग्रेजी भाषा की शुरुआत हुयी थी। जब 1830 मे ईस्ट इंडियां कंपनी ने भारत पर अपना कब्जा किया और उसके परिणाम स्वरुप उन्होनें हमे अंग्रेजी सिखने के लिए मजबूर किया था।
थॉमस बेबिंगटन मैकाले द्वारा 1835 मे एक अधिनियम पारित किया गया था, जिसमे अंग्रेजी भाषा सिखना भारतीयों के लिए अनिवार्य बताया गया था। इस तरह से अंग्रेजी हमारे लिए सिखना और बोलना अनिवार्य हो गया। जिन्होनें अंग्रेजी भाषा को सिखना आरम्भ किया था, उनको कृतज्ञ और शिष्टाचारी कहा जाता था, और इसलिए अन्य लोगों ने भी अंग्रेजी सिखना प्रारम्भ किया।
हमारे सामाज पर अंग्रेजी भाषा का प्रभाव (Effects of English Language on Our Society)
हांलाकि अंग्रेज भारत छोड़ गए है, लेकिन हमे अपनी भाषा की आदत डाल गए। उन्होनें हमपर लगभग 200 वर्षो तक शासन किया था। कुछ ही समय के बाद केवल अंग्रेजी ही ऐसी भाषा बन गयी जिसे सारे देश के लोगों द्वारा समझी और बोले जाने लगी, क्योकि भारत के ज्यादातर दक्षिण राज्य हिन्दी भाषा को अपनी राजभाषा के रुप मे स्वीकार नही करते थे, और उन्होने अंग्रेजी भाषा को आपनाने का फैसला किया। जैसा कि अंग्रेजों के सारे अधिकार और नियम अंग्रेजी मे थे, इसलिए उन्होनें अंग्रेजी को हमे अपनी मातृ भाषा बनाने के लिए कहा। अंग्रेजी हमारे अध्ययन, राजनीति इत्यदि हर जगह शामिल हो चुकी है।
आज जबकि हम आजाद है, लेकिन भाषा के तौर पर हम आज भी स्वतंत्र नही हुए है। अंग्रेजी भाषा के साथ ही हम अंग्रेजी संस्कृति को भी अपना रहें है। बदलाव हर किसी के लिए लाभकारी होती है। कुछ पाखंड और संस्कृति को समाप्त करने के लिए बदलाव बहुत जरुरी होता है। अंग्रेजी ने चीजों को आसान बना दिया है, और यही इस भाषा की सुन्दरता है कि हम किसी से भी बात कर सकते है और बिना किसी परेशानी के हम विश्व मे कही भी घूमने के लिए जा सकते है।
निष्कर्ष
अंग्रेजी ब्रिटिशों का ही एक परिणाम है, लेकिन उन्होने यह पूरी तरह से हम पर छोड़ दिया था और इसे अपनाना हमारी पसंद थी। इसी का परिणाम है कि अंग्रेजी आज सब जगह है, या तो वह एक साइनबोर्ड हो या किसी स्टेशन का नाम हो, यह हर जगह लिखी होती है। केवल भारतीय ही नही बल्कि बाहर से आए विदेशी भी अंग्रेजी भाषा मे उस चीज के बारे मे जानकारी प्राप्त कर सकते है। इस भाषा के अनेकों फायदें है, इसलिए आप अंग्रेजी सीखें और इसके साथ ही आप आगे बढ़े।
परिचय
भारत एक देश है जहां सारे भारतीय एक समान है और वो कभी भी भाषा, धर्म और संस्कृति मे भेदभाव नही करते है। लेकिम जब भी हम यहां की भाषा के बारें मे बात करते है तो किसी एक भाषा को राष्ट्र भाषा के रुप मे कहना बहुत ही मुश्किल होता है। जैसा कि हम जानते है कि भारत मे 100 से भी अधिक भाषाएं बोली जाती है। और यदि इनमे से किसी एक का चुनाव हम राष्ट्र भाषा के रुप मे करते है, तो दूसरे राज्य के लोग इसका विरोध करने लगते है। तब अंग्रेजी के बारें मे क्या ख्याल है?
भारत मे अंग्रेजी और इसका मूल (English Language and its Origin in India)
भारत एक ऐसा देश है जहां पर विभिन्न स्थानों मे अलग-अलग प्रकार की भाषाएं बोली जाती है, जैसे कि उत्तर मे हिन्दी बोली जाती है तो वही दक्षिण मे तमिल, तेलगु, मलयालम आदि भाषाएं बोली जाती है। विविधता मे एकता ही इस देश की सुन्दरता है, और इतनी भाषाएं होने के बाद भी हमने केवल 22 भाषाओं को ही अधिकारिक रुप मे स्वीकृति दी है। लेकिन केवल हिन्दी और अंग्रेजी भाषा को ही पूरे देश मे व्यापक रुप से अपनाया जाता है।
यदि भारत मे अंग्रेजी भाषा के उत्पत्ति की बात करे तो इसका मूल कारण थे अंग्रेज (ब्रिटिश)। जैसा कि हम जानते है कि अंग्रेजी दो प्रकार की होती है, एक अमेरिकन और दूसरी ब्रिटिश अंग्रेजी। हम लोग ब्रिटिश अंग्रेजी भाषा का अनुशरण करते है क्योकि ब्रिटिशों ने हमपर अपना शासन किया और उन्होनें ही अपनी यह भाषा हमें दी।
यह लार्ड मैकाले थे, जो भारत को एक सुव्यवस्थित समाज बनाना चाहता थे। इसलिए सन् 1835 मे उन्होंने हमारे शिक्षा व्यवस्था मे इस अधिनियम को पास करवा कर लागू करवाया। अंग्रेजी भाषा को भारत की सरकारी भाषा बना दिया गया था। इसके अन्तर्गत सभी संस्थान और कोर्ट मे भी अंग्रेजी भाषा को उपयोग मे लाया जाने लगा था। भारत मे अंग्रेजी भाषा का यही मूल है, कि अंग्रेज जाने से पहले यह भाषा हमें दे गए, अपनी भाषाओं के माध्यम से आज भी वो हमारे साथ है।
भारत मे अंग्रेजी भाषा का महत्व (Importance of English in India)
उपरोक्त चर्चाओं मे जैसा कि हमने देखा, भारत मे 100 से भी अधिक भाषाएं बोली जाती है, और आजादी के बाद किसी भी एक भाषा को राष्ट्र भाषा के रुप मे चूनना बहुत ही कठिक कार्य था। जबकि देश के ज्यादातर हिस्सों मे हिन्दी भाषा ही बोली जाती थी, लेकिन दक्षिण भारतीय लोग हिन्दी भाषा का पूरजोर विरोध करते और वो सभी हिन्दी को राष्ट्र भाषा मानने के सख्त खिलाफ थे। परिणामस्वरुप चुनी गयी अन्य 22 भाषाओं मे से अंग्रेजी भाषा को चुना गया। आज भारत मे कोई अधिकारिक भाषा नही है लकिन अंग्रेजी भाषा का अपना ही एक महत्व है।
निष्कर्ष
भारत एक विकासशील राष्ट्र है और एक भाषा हमारे जीवन को पुरी तरह से बदल सकती है, सिर्फ इसलिए कि यह आपके लिए बहुत सारे विकल्प देती है। मान लीजिए की आप केवल अपनी मूल भाषा के बारे मे जानते है, तो आप केवल अपने आस-पास ही कार्य कर सकते है, और जब आप अंग्रेजी जानते है तो यह वास्तव मे आपके लिए बहुत सारे विकल्प स्वतः ही सामने निकलकर आते है, इसलिए आपके लिए अच्छा होगा कि आप अंग्रेजी सीखें। हम मे से कुछ लोग नही चाहते की हम किसी विदेशी भाषा को अपनाएं और वो इसका वहिष्कार करते है, लेकिन मेरे विचार से विश्व बदल रहा है और जो इसे स्वीकार नही करेगा वह हमेशा पीछे ही छुटता जाएगा। यह सही और अच्छा है कि आप अपनी मूल भाषा को बढ़ावा देते है लेकिन साथ ही साथ आपको आस-पास की रणनीतियों को भी समझने की जरुरत है। एक भाषा के तौर पर ही आप अंग्रेजी को सीखें, और वास्तव मे यह आपकी अवश्य सहायता करेगा।