भारत की आज़ादी, भारत के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। यह ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक लंबी, कठिन लड़ाई का अंत था। यह एक महान गाथा है कि कैसे भारतीय लोगों ने कठोर ब्रिटिश शासन से अपने अधिकारों, संस्कृति और पहचान के लिए लड़ाई लड़ी। आज़ादी की लड़ाई एक कठिन और लंबी लड़ाई थी और कई स्वतंत्रता सेनानियों और महापुरुषों ने देश के लिए अपनी जान गवाई। स्वतंत्रता दिवस, प्रतिरोध, एकता और बलिदान की भावना का प्रतिक है जिसके कारण भारत को आजादी मिली और एक संप्रभु देश के रूप में इसका उदय हुआ।
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15 अगस्त 2023, मंगलवार को पूरे भारत के लोगों द्वारा मनाया जायेगा। इस साल 2023 में भारत में 77वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाया जायेगा। 15 अगस्त 1947 को भारत में प्रथम स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था।
“आजादी का अमृत मोहत्सव” समारोह के श्रृंखला में, स्वतंत्रता दिवस 2023 की थीम “राष्ट्र पहले, हमेशा पहले” होगी। इस प्रयास के हिस्से के रूप में, सरकार विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं को चलाने के लिए प्रतिबद्ध है जो देश के भीतर मौजूद विभिन्न संस्कृतियों का सम्मान करेगी। अभियान का उद्देश्य यह है कि अपनी गतिविधियों का समन्वय करके और भारत और दुनिया भर के लोगों तक पहुंच कर, वे इस जन आंदोलन को और भी अधिक बढ़ावा दे सकें। इस वर्ष का स्वतंत्रता दिवस अमृत महोत्सव की 75-सप्ताह की उलटी गिनती के पूरा होने का भी प्रतीक होगा, जो 12 मार्च, 2021 को शुरू हुई और इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस पर समाप्त होगी।
भारत अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस “मेरी माटी, मेरा देश” नामक एक विशेष कार्यक्रम के साथ मनाएगा। यह अभियान देश के लिए शहीद हुए वीर जवानों को श्रद्धांजलि देगा। यह 9 अगस्त से 30 अगस्त तक होगा और इसमें राष्ट्रीय, राज्य, गांव और स्थानीय स्तर पर कार्यक्रम शामिल होंगे। अभियान के हिस्से के रूप में, एक “अमृत कलश यात्रा” होगी, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से मिट्टी दिल्ली लाई जाएगी और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के पास “अमृत वाटिका” बनाने के लिए उपयोग की जाएगी। यह ‘अमृत वाटिका’ ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का शानदार प्रतिनिधित्व भी करेगी। इस परियोजना में स्वतंत्रता सेनानियों और सुरक्षा बलों को समर्पित स्मारक पट्टिकाओं की स्थापना के साथ-साथ पंच प्राण प्रतिज्ञा, वसुधा वंदन, वीरों का वंदन आदि जैसी पहल शामिल होंगी जो हमारे नायकों के साहसी बलिदानों को श्रद्धांजलि देती हैं। अभियान में छात्रों के बीच देशभक्ति और देश के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने के लिए पेड़ लगाना, नारे लिखना और स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करना जैसी गतिविधियाँ भी शामिल होंगी।
भारत में राष्ट्रीय अवकाश के रुप में स्वतंत्रता दिवस को मनाया जाता है। इसे हर साल प्रत्येक राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों में पूरे उत्सुकता से देखा जाता है। स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पहले की शाम को “राष्ट्र के नाम संबोधन” में हर साल भारत के राष्ट्रपति भाषण देते है। 15 अगस्त को देश की राजधानी में पूरे जुनून के साथ इसे मनाया जाता है, जहां दिल्ली के लाल किले पर भारत के प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं। ध्वजारोहण के बाद, राष्ट्रगान होता है, 21 तोपों की सलामी दी जाती है तथा तिरंगे और महान पर्व को सम्मान दिया जाता है। अलग-अलग राज्य में विभिन्न सांस्कृतिक परंपरा से स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाया जाता है। जहां हर राज्य के मुख्यमंत्री राष्ट्रीय झंडे को फहराते हैं और प्रतिभागियों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमोंके साथनभ मंडल की शोभा और बढ़ा जाती है।
इस अवसर को लोग अपने दोस्त, परिवार, और पडोसियों के साथ फिल्म देखकर, पिकनिक मनाकर, समाजिक कार्यक्रमों में भाग लेकर मनाते है। इस दिन पर बच्चे अपने हाथ में तिरंगा लेकर ‘जय जवान जय जय किसान’ और दूसरे प्रसिद्ध नारे लगाते हैं। कई स्कूलो में रूप सज्जाप्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, जिसमें छोटे-छोटे बच्चों को स्वतंत्रता सेनानियों की वेशभूषा में सुसज्जितहोना, अत्यंत मनोरमलगता है।
किसी भी देश के लिए स्वतंत्रता का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि यह स्वतंत्रता और स्व-शासन का प्रतीक है। यह किसी देश को अपने निर्णय स्वयं लेने, अपना भाग्य स्वयं आकार देने और अपने लोगों की प्रगति और विकास की दिशा में काम करने में सक्षम बनाता है। यह किसी राष्ट्र को अपने नागरिकों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुसार अपनी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था स्थापित करने की अनुमति देता है। भारत में, स्वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त को मनाया जाता है, जो हमें उस दिन की याद दिलाता है जब भारत ने 1947 में ब्रिटिश शासन से अपनी आजादी हासिल की थी। यह उन स्वतंत्रता सेनानियों और भारत के वीर सपूतो को याद करने और सम्मान करने का दिन है जिन्होंने हमारे अधिकारों के लिए कड़ा संघर्ष किया और अपने प्राणो की आहुति तक दे दी।
15 अगस्त भारत के पुनर्जन्म जैसा है। यह वो दिन है जब अंग्रेजों ने भारत को छोड़ दिया और इसकी बागडोर हिन्दुस्तानी नेताओं के हाथ में आयी। ये भारतियों के लिये बेहद महत्वपूर्ण दिन है और भारत के लोग इसे हर साल पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं और आजादी के इस पर्व की शान में कभी कोई कमी नहीं आने देंगे और समस्त विश्व को यह याद दिलाते रहेंगे कि सादगी भारत की परिभाषा है कमजोरी नहीं। हम सह भी सकते हैं और जरूरत पड़ने पर लड़ भी सकते हैं।
आज़ादी का प्रतीक
भारत में पतंग उड़ाने का खेल भी स्वतंत्रता दिवस का प्रतीक है, विभिन्न आकार प्रकार और स्टाईल के पतंगों से भारतीय आकाश पट जाता है। इनमें से कुछ तिरंगे के तीन रंगो में भी होते हैं, जो राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित करते हैं। स्वतंत्रता दिवस का दूसरा प्रतीक नई दिल्ली का लाल किला है जहां 15 अगस्त 1947 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने तिरंगा फहराया था।
17वीँ शताब्दी के दौरान में कुछ यूरोपीय व्यापारियों द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप की सीमा चौकी में प्रवेश किया गया। अपने विशाल सैन्य शक्ति की वजह से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत को अपना गुलाम बना लिया और18वीं शताब्दी के दौरान, पूरे भारत में अंग्रेजों ने अपना स्थानीय साम्राज्य स्थापित कर लिया।
1857 में ब्राटीश शासन के खिलाफ भारतीयों द्वारा एक बहुत बड़े क्रांति की शुरुआत हो चुकी थी और वे काफी निर्णायक सिद्ध हुई। 1857 की बगावत एक असरदार विद्रोह था जिसके बाद पूरे भारत से कई सारे संगठन उभर कर सामने आए। उनमें से एक था भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी जिसका गठन वर्ष 1885 में हुआ।
लाहौर में 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में, भारत ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1947 में ब्रिटिश सरकार आश्वस्त हो चुकी थी कि वो लंबे समय तक भारत में अपनी शक्ति नहीं दिखा सकती। भारतीय स्वतंत्रता सेनानी लगातार लड़ रहे थे और तब अंग्रेजों ने भारत को मुक्त करने का फैसला किया। देश की राजधानी दिल्ली में एक आधिकारिक समारोह रखा गया जहां सभी बड़े नेता और स्वतंत्रता सेनानियों (अबुल कलाम आजद, बी.आर.अंबेडकर, मास्टर तारा सिंह, आदि) ने भाग लेकर आजादी का पर्व मनाया।
15 अगस्त 1947 की मध्यरात्री, जवाहर लाल नेहरु ने भारत को स्वतंत्र देश घोषित किया जहां उन्होंने “ट्रीस्ट ओवर डेस्टिनी” भाषण दिया था। उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा कि “बहुत साल पहले हमने भाग्यवधु से प्रतिज्ञा की थी और अब समय आ गया है, जब हम अपने वादे को पूरा करें, ना ही पूर्णतया या पूरी मात्रा में बल्कि बहुत मजबूती से। मध्यरात्री घंटे के स्पर्श पर जब दुनिया सोती है, भारत जीवन और आजादी के लिये जागेगा। एक पल आयेगा, जो आयेगा, लेकिन इतिहास में कभी कभार, जब हम पुराने से नए की ओर बढ़ते है, जब उम्र खत्म हो जाती है और राष्ट्र की आत्मा जो लंबे समय से दबायी गयी थी उसको अभिव्यक्ति मिल गयी है। आज हमने अपने दुर्भाग्य को समाप्त कर दिया और भारत ने खुद को फिर से खोजा है”।
इसके बाद, असेंबली सदस्यों ने पूरी निष्ठा से देश को अपनी सेवाएं देने के की कसमें खायी। भारतीय महिलाओं के समूह द्वारा असेंबली को आधिकारिक रुप से राष्ट्रीय ध्वज प्रस्तुत किया था। अत: भारत आधिकारिक रुप से स्वतंत्र देश हो गया और नेहरु तथा वायसराय लार्ड माउंटबेटन, क्रमश: प्रधानमंत्री और गवर्नर जनरल बने। महात्मा गांधी इस उत्सव में शामिल नहीं थे, वे कलकत्ता में रुके थे और हिन्दु तथा मुस्लिम के बीच शांति को बढ़ावा देने के लिये 24 घंटे का व्रत रखा था।
कई बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों के काम के बिना भारत स्वतंत्र नहीं हो पाता। कुछ प्रसिद्ध नाम हैं चंद्र शेखर आजाद, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्ला खान, मंगल पांडे, उधम सिंह, मोहनदास करमचंद गांधी, जवाहरलाल नेहरू और कई अन्य। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पुरुषों के अलावा कई महिलाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सावित्रीबाई फुले, महादेवी वर्मा, कैप्टन लक्ष्मी सहगल, रानी लक्ष्मीबाई और बसंती देवी याद रखने योग्य कुछ महत्वपूर्ण नाम हैं। ऐसे कई गुमनाम नायक भी हैं जिन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
देश को आज़ाद कराने के कई अलग-अलग आंदोलन हुए, इन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों का लक्ष्य भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करना था, जिसे ब्रिटिश राज भी कहा जाता था। यह 1857 से लेकर 1947 तक चला। कुछ महत्वपूर्ण आंदोलन इस प्रकार है :
1857 का विद्रोह
अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की पहली लड़ाई 1857 का विद्रोह था। 10 मई 1857 को मेरठ में विद्रोह शुरू हुआ। धीरे-धीरे, दिल्ली, आगरा, कानपुर और लखनऊ के लोग इसमें शामिल हो गए। यह अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में पहला कदम था और भारतीय स्वतंत्रता के लिए पहला अभियान था, लेकिन यह काम नहीं आया। 1857 का विद्रोह विफल हो गया क्योंकि स्थानीय लोग इसमें शामिल नहीं हुए और कोई केंद्रीय नेतृत्व नहीं था। कई भारतीय राजा, जैसे कश्मीर के महाराजा और इंदौर के होलकर, ग्वालियर के सिंधिया भी इसमें शामिल नहीं हुए। इस विद्रोह के कारण भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त हो गया और 1858 में ब्रिटिश क्राउन ने कंपनी की शक्तियां अपने हाथ में ले लीं। यहीं से भारत में राष्ट्रवादी आंदोलनों की शृंखला शुरू हुई, जिससे भारत में बड़े स्वतंत्रता आंदोलन शुरू हुए।
स्वदेशी आंदोलन
स्वदेशी आंदोलन एक सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन था जो 20वीं सदी की शुरुआत में भारत के कोलकाता में शुरू हुआ था। लॉर्ड कर्जन की खबर कि बंगाल विभाजित हो जाएगा, स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई। 7 अगस्त, 1905 को कलकत्ता टाउन हॉल में एक बैठक में बहिष्कार प्रस्ताव पारित किया गया। स्वदेशी आंदोलन का लक्ष्य लोगों को ब्रिटिश वस्तुओं के बजाय भारतीय वस्तुओं और सेवाओं का उपयोग करने के लिए प्रेरित करना था। इससे भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर हुई और अंग्रेजों को स्पष्ट संदेश मिला कि भारतीय अपने दम पर रह सकते हैं।
ग़दर आंदोलन
गदर आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों को बदल दिया। 1900 के दशक में, पंजाबी प्रवासी खेतों और उद्योगों में काम करने के लिए उत्तरी अमेरिका, विशेष रूप से कनाडा और अमेरिका आए। पैसिफ़िक कोस्ट हिंदुस्तान एसोसिएशन (ग़दर पार्टी) इसी विचार से उभरी। 20वीं सदी की शुरुआत में, कनाडा में काम तलाशने वाले भारतीय प्रवासियों की संख्या को कम करने के लिए विभिन्न नस्लीय भेदभावपूर्ण आव्रजन नियम पारित किए। ब्रिटिश पुलिस के साथ लड़ाई के दौरान यात्री मारे गए और ब्रिटिश क्रूरता ने गदर आंदोलन को प्रेरित किया।
होम रूल आंदोलन
होम रूल आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध के प्रति देश की प्रतिक्रिया थी। बाल गंगाधर तिलक ने अप्रैल 1916 में बेल्जियम में होम रूल आंदोलन शुरू किया। पुणे और मद्रास वे स्थान थे जहां से यह आंदोलन शुरू हुआ। सितंबर 1916 में, एनी बेसेंट मद्रास शहर में आंदोलन में शामिल हुईं। इस आंदोलन का लक्ष्य ब्रिटिश सरकार से छुटकारा पाना था ताकि अंग्रेज अपना राज चला सकें।
चंपारण आंदोलन
चंपारण सत्याग्रह नागरिक प्रतिरोध का एक आंदोलन था। 1917 में, महात्मा गांधी ने भारतीय राज्य बिहार के चंपारण क्षेत्र में इसका नेतृत्व किया। तिनकठिया प्रणाली किसानों या कृषकों को उनकी भूमि के सर्वोत्तम 3/20वें हिस्से पर नील की खेती कराती है और इसे इसके मूल्य से कम कीमत पर बेचती है। महात्मा गांधी चंपारण गए और इस सविनय अवज्ञा अभियान की शुरुआत की। उन्होंने चम्पारण में मालिकों के ख़िलाफ़ हड़तालें कीं और विरोध प्रदर्शन किये।
रौलेट आंदोलन
ब्रिटिश भारतीय सरकार ने 1919 का रोलेट अधिनियम पारित किया। अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम इसका दूसरा नाम था। इस अधिनियम ने सरकार को अपराध का आरोप लगने पर लोगों को बिना सुनवाई के दो साल तक जेल में रखने की शक्ति दी। रौलट एक्ट ने प्रेस के कुछ अधिकार छीन लिये। 6 अप्रैल, 1919 को, महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा पारित रोलेट एक्ट के खिलाफ रोलेट सत्याग्रह नामक एक शांतिपूर्ण हड़ताल शुरू की।
खिलाफत आंदोलन
1919 और 1924 के बीच हुए खिलाफत आंदोलन का विचार अली बंधुओं के पास आया। जिस तरह से अंग्रेजों ने तुर्की में खलीफा को हराया, उससे भारतीय मुसलमान खुश नहीं थे। महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध आंदोलन शुरू किया। यह आंदोलन ख़लीफ़ा को वापस लाना चाहता था, जो तुर्की में सत्ता खो रहा था।
नमक सत्याग्रह या सविनय अवज्ञा आंदोलन
नमक सत्याग्रह आंदोलन 1930 में महात्मा गांधी के साथ शुरू हुआ। ऐसा माना जाता है कि इससे भारत को आज़ाद होने में मदद मिली। 12 मार्च 1930 को दांडी मार्च क्रांति का पहला कदम था। नमक कानून तोड़ने के लिए गांधीजी और 78 अन्य लोग साबरमती आश्रम से दांडी तक पैदल चले। यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया और महात्मा गांधी सहित 60,000 से अधिक लोगों को जेल में डाल दिया गया।
व्यक्तिगत सत्याग्रह
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के नेताओं को यह पसंद नहीं आया कि ब्रिटिश सरकार ने भारतीय लोगों से पूछे बिना भारत को दूसरे विश्व युद्ध में कैसे घसीटा। जब कांग्रेस ने औपनिवेशिक शासन से पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की तो महात्मा गांधी ने व्यक्तिगत सत्याग्रह शुरू किया।
भारत छोड़ो आंदोलन
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत 9 अगस्त, 1942 को बॉम्बे में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की एक बैठक में महात्मा गांधी द्वारा की गई थी।
भारत का राष्ट्रीय ध्वज (Indian National Flag)
वर्ष | स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित घटनाएं |
1600 | ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना |
1608 | अंग्रेजों द्वारा सूरत में पहली व्यापारी कोठी खोली गई |
1611 | अंग्रेजों द्वारा मसूलिपट्टम में दूसरी व्यापारी कोठी खोली गई |
1615 | सम्राट जेम्स प्रथन ने सर टॉमस रो को जहांगीर के दरबार में भेजा |
1817 | ओडिशा में ब्रिटिश भारतीय सेना द्वारा पाईका विद्रोह का आयोजन |
1857 | सैनिकों द्वारा गाव और सूअर की चर्बी वाले राईफल से इनकार |
1857 | मंगल पांडे द्वारा ब्रिटिशों पर हमला और बाद में मंगल पांडे को फांसी |
1857 | बदली-की-सेराई का युद्ध |
1857 | लक्ष्मी बाई का विद्रोह |
1857 | त्रिम्मू घाट का युद्ध |
1858 | ईस्ट इंडिया कंपनी का अंत |
1858 | रानी लक्ष्मी बाई की मृत्यु |
1859 | तांत्या टोपे की हत्या |
1864 | सर सैयद अहमद खान ने साइंटिफिक सोसाइटी की स्थापना की |
1877 | महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी घोषित किया गया |
1878 | लॉर्ड लिटन द्वारा वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट पारित किया गया |
1882 | हंटर आयोग (भारतीय शिक्षा आयोग) की स्थापना की गई |
1883 | लॉर्ड रिपन ने इल्बर्ट बिल का प्रस्ताव रखा |
1885 | ए ओ ह्यूम द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना |
1897 | स्वामी विवेकानंद द्वारा राम-कृष्ण मिशन की स्थापना की गई |
1898 | लॉर्ड कर्जन को वायसराय बनाया गया |
1905 | स्वदेशी आंदोलनों की शुरुआत |
1905 | बंगाल का विभाजन |
1906 | आंग्ल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना |
1907 | सूरत में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गरम दल और नरम दल में विभाजन |
1908 | खुदीराम बोस की फांसी |
1909 | ‘मिंटो-मॉर्ले रिफॉर्म (इंडियन काउंसिल एक्ट) |
1910 | इंडियन प्रेस ऐक्ट |
1911 | बंगाल विभाजन रद्द |
1912 | नई दिल्ली को भारत की नई राजधानी बनाई गई |
1912 | राशबिहारी बोस और सचिंद्र सान्याल ने लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंका |
1913 | गदर पार्टी की स्थापना |
1914 | प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत |
1915 | गांधी जी का अफ्रीका से वापसी |
1915 | गोपाल कृष्ण गोखले की मौत |
1916 | होम रूल की स्थापना |
1916 | लखनऊ ऐक्ट पर हस्ताक्षर |
1917 | चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत |
1918 | चंपारण अगरिया कानून पास |
1918 | मद्रास लेबर यूनिया की स्थापना |
1918 | खेड़ा सत्याग्रह |
1918 | ट्रेड संघ आंदोलन की शुरुआत |
1919 | रोलेट ऐक्ट पारित |
1919 | जलियावाला बाग नरसंहार |
1920 | असहयोग आंदोलन |
1920 | तिलक का कांग्रेस डेमोक्रेटिक पार्टी की स्थापना |
1921 | मोपलाह विद्रोह |
1922 | चौरी चौरा घटना |
1923 | स्वराज पार्टी की स्थापना |
1925 | काकोरी षड्यन्त्र |
1925 | बरदौली सत्याग्रह |
1927 | साइमन कमीशन की स्थापना |
1928 | लाला लाजपत राय की पुलिस की लाठी से मौत |
1928 | नेहरू रिपोर्ट में भारत के नए डोमिनीयन संविधान का प्रस्ताव |
1929 | जवाहर लाल नेहरू ने लाहौर अधिवेशन में भारतीय ध्वज फहराया |
1929 | सेंट्रल असेंबली में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने बम फेंका |
1930 | भारतीय राष्ट्रीय कपनग्रेस ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की |
1930 | प्रथम गोलमेज सम्मेलन |
1930 | सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत |
1930 | दांडी यात्रा की शुरुआत |
1931 | भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी |
1931 | दूसरा गोलमेज सम्मेलन |
1931 | गांधी इरविन समझौता |
1932 | तीसरा गोलमेज सम्मेलन |
1935 | भारत सरकार अधिनियम लागू |
1937 | भारत सरकार अधिनियम के तहत भारत में चुनाव हुआ |
1938 | सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने |
1939 | द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत |
1941 | रवींद्र नाथ टैगोर का निधन |
1942 | भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत |
1942 | आजाद हिन्द फौज की स्थापना |
1943 | सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय अस्थायी सरकार के गठन की घोषणा की |
1945 | शिमला सम्मेलन |
1946 | भारत की अंतरिम सरकार बनी |
1946 | भारत की संविधान सभा का पहला सम्मेलन |
1946 | रॉयल इंडियन एयर-फोर्स विद्रोह |
1947 | ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने भारत को आजाद करने की घोषणा की |
1947 | लॉर्ड माउण्टबेटन आखरी वायसराय और प्रथम गवर्नर जनरल नियुक्त हुए |
1947 | 15 अगस्त को भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उभरा |
उत्तर – भारतीयों ने पहली बार स्वतंत्रता दिवस 26 जनवरी 1930 को मनाया था।
उत्तर – 15 अगस्त 2023 को 77 वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा।
उत्तर – 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता समारोह के दिन महात्मा गांधी बंगाल में हिन्दू मुस्लिम दंगों को शांत करवा रहे थे।
उत्तर – भारत को अंग्रेजों से लगभग 200 वर्षों बाद स्वतंत्रता मिली थी।
उत्तर – स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले पर देश का प्रधानमंत्री झण्डा फहराते है।
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