राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2021, 1 सितंबर, बुधवार से 7 सितंबर, मंगलवार तक मनाया जायेगा।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह
लोगों के बेहतर स्वास्थ्य और भलाई के बारे में उनको जागरुक करने के लिये प्रति वर्ष 1 सितंबर से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है।
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अच्छा दिखने और महसूस कराने के लिये पूरे विश्व को राष्ट्रीय पोषण सप्ताह अभियान के द्वारा शिक्षित किया जा सकता है। लोग अपने खाने की थाली और संतुलित आहार को लेकर लोग जागरुक हो सकते हैं जिससे वो अच्छा पोषण प्राप्त कर सकते हैं। ए
क अच्छे स्वास्थ्य के लिये भरपूर अनाज, फल, हरी सब्जी, चिकनाई रहित दूध या दूध के उत्पाद, मीट, मछली, बादाम आदि खाना चाहिये। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का लक्ष्य एक स्वस्थ राष्ट्र बनाने का है जिसके लिये दूसरे अभियानों के साथ स्वीकृत प्रशिक्षण, समय से शिक्षा, सेमिनार, विभिन्न प्रतियोगिताएँ, रोड शो आदि के द्वारा समुदायों के लोगों के बीच पोषण संबंधी परंपरा की जागरुकता को फैलाने की जरुरत है।
इस एक सप्ताह चलने वाले अभियान में एक-दिनी प्रशिक्षण, स्वस्थ पदार्थों से पोषण युक्त भोजन को बनाना, गृह-विज्ञान के विद्यार्थियों द्वारा लगायी गई एक प्रदर्शनी, गेंहूँ और सोयाबीन के पौष्टिक महत्व के बारे में लोगों को समझाना, विभिन्न प्रतियोगिताएँ, माताओं को पोषण संबंधि भाषण, सेमिनार और रोड शो आदि के द्वारा लोगों को जागरुक किया जाता है।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह अभियान के पास एक साजो-सामान है जो स्वस्थ खाना बनाने के लिये परिवार की सहायता के लिये संसाधनों से भरा होता है। इस अभियान में विश्व भोजन दिवस और वर्ष 2010 से न्यूड फूड डे भी जुड़ा है।
रिपोर्टस के अनुसार ये ध्यान देने के योग्य कि लोगों ने मीठे पेय पदार्थों का उपयोग शुरु कर दिया है जो कि किशोरवस्था में ही मोटापा और वजन बढ़ने का एक बड़ा कारण है। 8 सितंबर 2010 में लोगों को पोषण संबंधी जागरुकता को बताने के लिये खाद्य विज्ञान विभाग तथा पोषण प्रबंधन ने एक दिवसीय उत्सव की स्थापना की। इस अभियान के तहत पोस्टर प्रतियोगिता, स्वस्थ हृदय के भोजन के लिये खाना पकाने की प्रतियोगिता, संतुलित आहार के लिये समझाना, बीएमआई को नापना, बीमारियों पर व्याख्यान, हृदय की सुरक्षा आदि शामिल हैं।
पोषण शिक्षा के द्वारा अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 1982 में केन्द्रीय सरकार द्वारा पहली बार इस अभियान की शुरुआत की गयी क्योंकि राष्ट्रीय विकास के लिये मुख्य रुकावट के रुप में कुपोषण है। इसी लक्ष्य के लिये लोगों को बढ़ावा देने के लिये, खाद्य और पोषण बोर्ड की 43 ईकाई (महिला और बाल विभाग, स्वास्थ्य और एनजीओ) पूरे देश में कुशलता से कार्य कर रही है।
पैदा हुए नवजात शिशु को एक बड़े स्तर की प्रतिरक्षा और स्वस्थ जीवन उपलब्ध कराने के लिये 6 महीनों तक माँ का दूध या नवदुग्ध के रुप में जाना जाने वाला पहला दूध अपने नवजात को पिलाने के लिये दूध पिलाने वाली माँ को बहुत प्रोत्साहित किया जाता है। बैंगलोर, मिलर रोड के भगवान महावीर जैन अस्पताल में पोषण और आहार के लिये एक जागरुकता कार्यक्रम रखने के लिये बैंगलोर से भारतीय आहार समीति ने फैसला लिया जिसमें हृदय संबंधी बीमारी, डॉयबिटीज़, तथा बच्चों और महिलाओं के आहार को भी शामिल किया जायेगा।
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