बकरी के बच्चे को मरने से कैसे बचाये? (How to save a baby goat from dying?)
जैसे ही बकरी बच्चा दे, बच्चे को तुरंत बकरी के सामने रख दीजिये ताकि बकरी बच्चे को अच्छे से चाट सके। चाटना न केवल बच्चे के बालों को साफ करता है और सुखाता है, बल्कि बच्चे के सांस लेने और पाचन प्रक्रियाओं को भी उत्तेजित करता है।
बच्चे के मुँह और आंख पर जो लार लगा रहता है उसे सूती कपड़े से तुरंत पोंछ दीजिये ताकि उसे साँस लेने में कोई दिक्कत न हो।
बकरी जैसे बच्चा दे अगर नाल स्वयं टूट जाता है तो ठीक है नहीं तो बच्चे के नाभि से लगभग ३ इंच बाद धागे से बांधकर नए ब्लेड से काट देना है उसके बाद टिंक्चर आयोडीन या टिंक्चर i.p. या फिर बेटाडीन को कॉटन में लगाकर नाभि पर अच्छे से लगायें, और लगातार तीन चार दिन तक दोनों टाइम लगाना है ताकि बच्चे को इन्फेक्शन न हो।
कभी कभी लोग गलती करते है कि बिना धागे से बांधे ही नाल काट देते है ऐसी स्थिति में क्या होगा कि नाल से बहुत ज्यादा खून बहता है जल्दी रुकता नहीं तो इस बात ध्यान दें की धागे से बांधने के बाद ही नाल काटें।
पैदा होने के लगभग 10 मिनट बाद जब बच्चा थोड़ा नार्मल हो जाये तब छोटी मटर के दाने जितना गुण लेकर उसके मुँह के अंदर ऊपरी जबड़े के तालु में चिपका दीजिये, ऐसा करते ही बच्चे का मुँह चलने लगता है जीभ चलने लगता है बच्चा गुड़ चाटने लगता है, इससे क्या होता है कि बच्चे के मुँह में जो लार फंसा रहता है उसकी वजह से बच्चे का मुँह जीभ चलने में दिक्कत होती है जिसे साफ करने के लिए अगर कोशिश न की जाये तो बच्चे की मौत हो सकती है लेकिन अगर ये नुस्खा जो मैंने बताया कर दिया जाये तो बच्चा तुरंत एक्टिव हो जायेगा और उसका जीवन बच जायगा।
ये नुस्खा करने के लगभग 5 मिनट बाद काली सरसो का तेल लगभग दो से ढाई ml छोटी सिरिंज में लेकर बच्चे के मुँह में साइड से अपनी एक ऊँगली डालकर दूसरे साइड से सीरिंज द्वारा एकदम धीरे धीरे उसके मुँह में डाल देंगे। ऐसा करने से बच्चा एक्टिव हो जाता है उसका इम्युनिटी पावर भी बढ़ जाता है, थोड़ी देर बाद ही बच्चे को भूख लग जाएगी और बच्चा दूध पीना शुरू कर देगा। ये दोनों नुस्खा करने के बाद लगभग 20 से 25 मिनट बाद, बकरी के जेर गिरने का इंतजार नहीं करेंगे, जेर गिरे या न गिरे, माँ का पीला गाढ़ा दूध बच्चा जितना पिता है उतना हमे पिलाना है क्योंकि माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध बच्चे के लिए अतिआवश्यक होता है जीवनदायी होता है बच्चे का रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है।
एक और बहुत ज्यादा जरुरी बात जो ध्यान देने वाली है वो ये है कि बच्चे को माँ का पहला दूध पिलाने से पहले उसके थन को अच्छे से धुल लेना है पोंछ लेना है, धुलने के लिए हम क्या करेंगे कि लगभग आधा लीटर पानी लेंगे और उसमे लगभग आधा ग्राम पोटैशियम परमैगनेट या लाल दवा मिला देंगे, फिर इसी में कपड़ा गिला करके बकरी के थन को अच्छे से पोछेंगे और फिर सूखे कपड़े से पोछकर ही बच्चे को दूध पिलाना है तभी बच्चा स्वस्थ रहेगा वरना बच्चे को इन्फेक्शन हो सकता है। पहली बार में बच्चा जितना दूध पिए उतना पिलाना है सभी थन से और इसी तरह से दिन में चार बार पिलाना है।
ये सबकुछ करने के बाद बच्चे को खुला नहीं रखना है, उसे जालीदार बड़ी टोकरी से ढककर रखना है और ऐसा अगले 8 से 10 दिन तक करना है, ऐसा इसलिए करना है कि जब बच्चा बाहर रहेगा तब बार बार माँ को देखकर बेचैन रहेगा, चिल्लायेगा, बार बार खड़ा होगा बैठेगा तो उसके नाभि में चोट लग सकती है, ब्लीडिंग हो सकती है, इन्फेक्शन हो सकता है और बच्चे का स्टैमिना घटेगा जल्दी थक जायेगा, तो दोस्तों इस तरह से हम बच्चे को जन्म के बाद बचाकर सुरक्षित रखकर उसे स्वस्थ रख सकते है।
बच्चे अक्सर दो या तीन वजह से ही मरते है, पहला इन्फेक्शन से, दूसरा अगर वो ठीक से दूध नहीं पी रहे है, और तीसरा कि उनको सही मात्रा में माँ का दूध नहीं मिल रहा यानी माँ का दूध पर्याप्त नहीं बन रहा है। तो साथियों बच्चे को अगर मरने से बचाना है तो उसे इन्फेक्शन से बचाएं, पैदा होते ही मुँह का लार तुरंत साफ करें जैसा मैंने ऊपर बताया है और माँ का दूध पर्याप्त मात्रा में बने उसके माँ को सही मात्रा में नुट्रिशन दें।