बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

बालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए  किए जा रहे समन्वित प्रयासों के तहत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने संयुक्त रूप से 22 जनवरी 2015 को बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) योजना की शुरूआत की। इस योजना को सबसे पहले देश के उन 100 जिलों में लागू किया गया जहां बालिकाओं का लिंग अनुपात न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है। सबसे पहले 2011 की जनगणना के आधार पर प्रत्येक राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों में से बालिकाओं के न्यूनतम लिंग अनुपात वाले 100 जिलों का चयन पायलट जिलों के रूप में किया गया। हरियाणा में ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक को अगस्त 2016 में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुताबिक,  “हमारा मंत्र होना चाहिए: बेटा और बेटी एक समान हैं।”

बीबीबीपी योजना क्या है यह इसके नाम से ही स्पष्ट है। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं के कल्याण के लिए सेवाओं की दक्षता में सुधार करना एवं महिलाओं को उनके अधिकारों प्रति जागरूकता बढ़ाना है।

इस योजना के तहत सरकार का ध्यान 100 जिलों में महिलाओं के न्यूनतम लिंगानुपात के कारणों एवं उनके निदान के प्रयासों पर केंद्रित है। महिलाओं को शिक्षित एवं जागरूक बनाने से ही महिला सशक्तिकरण के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना क्या है?

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य देश में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाना है और इसके लिए बालिका लिंग अनुपात में गिरावट रोकना एवं महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।

यह निम्नलिखित तीन मंत्रालयों का संयुक्त प्रयास है:

  • महिला एवं बाल विकास
  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
  • मानव संसाधन विकास

2001 की जनगणना के अनुसार भारत में 0-6 आयु वर्ग के बच्चों का लिंगानुपात प्रति 1000 लड़कों के तुलना में 927 लड़कियां थी जो घटकर 2011 में 1000 लड़कों के तुलना में 918 लड़कियां रह गई। यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार इस संदर्भ में भारत 2012 में 195 देशों में 41वें स्थान पर था।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का लक्ष्य एवं उद्देश्य

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का संपूर्ण उद्देश्य बालिका के जन्म को एक उत्सव की तरह मानाना है ताकि पुराने और रूढ़िवादी विचारों को तोड़ा जा सके एवं उनके परिणामस्वरूप हो रहे लड़कियों के हितों के उल्लंघन पर लगाम लगाई जा सके। इस योजना को लड़कियों की शिक्षा और उनके कल्याण के प्रति लक्षित निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए शुरू किया गया था:

  • बालिकाओं के प्रति भेदभाव एवं लिंग निर्धारण परीक्षण की कुरीति को खत्म करना

आज एशिया में महिला लिंग अनुपात में खतरनाक दर से गिरावट आती जा रही है। हमारा देश महिला दर में तेजी से गिरावट वाले देशों में शीर्ष स्थान पर है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत मुख्य रूप से महिला एवं पुरुष लिंगानुपात पर ध्यान केंद्रित किया गया है एवं लैंगिक भेदभाव की रोकथाम की दिशा में बड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

  • लड़कियों  के अस्तित्व एवं उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना

हमारे देश में समाचार पत्रों में आए दिन में खबरें छपती रहती है कि एक महिला भ्रूण कूड़ेदान में मिला या  एक अजन्मी बच्ची रेलवे स्टेशन के पास अखबार में लिपटी हुई मृत पाई गई, इत्यादि। यह हमारे देश में क्या हो रहा है ? इससे हमारे समाज की बीमार मानसिकता का पता चलता है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना ऐसी मानसिकता को तोड़ने एवं हर बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

  • शिक्षा एवं अन्य क्षेत्रों में लड़कियों की भागीदारी सुनिश्चित करना

एक बेहतर एवं मजबूत भारत बनाने के लिए महिला बच्चे को बचाएं एवं उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुताबिक, इस देश में  हर बच्ची को शिक्षित किया जाना चाहिए ताकि उसे अपनी इच्छाओं का एहसास हो सके।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की मुख्य विशेषताएं

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) योजना की दो प्रमुख विशेषताएं हैं:

जन अभियान:

इस अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्ची का जन्म एवं उसका लालन-पालन बिना किसी भेद-भाव के उसके सशक्तिकरण के उद्देश्य से किया जाए ताकि वह इस देश की गौरवान्वित नागरिक बन सके। इस अभियान की शुरूआत तत्काल प्रभाव से समुदाय स्तर पर 100 जिलों और साथ ही राष्ट्रीय, राज्य तथा जिला स्तर पर किया गया है।

सीएसआर के साथ 100 चयनित जिलों में सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को सम्मिलित करते हुए (एक पायलट योजना के तौर पर)

मानव संसाधन विकास तथा स्वास्थ्य एवं परिवार मामले के मंत्रालयों ने लड़कियों की शिक्षा एवं अस्तित्व की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त रूप से कदम उठाए हैं। इसमें बीबीबीपी के प्रबंधन के लिए सभी विभागों में जिला कलेक्टर/ उपायुक्त स्तर पर बहक्षेत्रीय संयुक्त प्रयास सम्मिलित हैं।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदम:

  • गर्भधारण की पहली तिमाही के दौरान ही आंगनवाड़ी केंद्रों में गर्भधारण के पंजीकरण को बढ़ावा देना।
  • नई महिला उद्यमियों के प्रशिक्षण का कार्य।
  • सामुदायिक गतिशीलता और संवेदीकरण।
  • लैंगिक समर्थन की भागीदारी।
  • अग्रणी कार्यकर्ताओं एवं संस्थाओं को पुरस्कार एवं मान्यता प्रदान करना।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदम:

  • पक्षपात और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी)  अधिनियम, 1994 के कार्यान्वयन की निगरानी।
  • संस्थागत प्रसव में वृद्धि।
  • बच्चों के जन्म का पंजीकरण।
  • पीएनडीटी प्रकोष्ठों को मजबूत बनाना।
  • निगरानी समितियों की स्थापना।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदम:

  • लड़कियों का सार्वभौमिक नामांकन।
  • लड़कियों की पढ़ाई बीच में छोड़ने की दर को कम करना।
  • स्कूलों में लड़कियों के साथ दोस्ताना, मिलनसार व्यवहार।
  • शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम को लागू करना।
  • लड़कियों के लिए कार्यात्मक शौचालयों का निर्माण।

 

हम व्यक्तिगत रूप से क्या कर सकते हैं:

  • परिवार और समुदाय में महिला बच्चे के जन्म पर खुशी जाहिर करना।
  • बेटियां हमारा गौरव हैं और इसलिए हमें उन्हें ‘बोझ’ या किसी और की संपत्ति समझने की प्रवृत्ति से परहेज करना।
  • लड़कों और लड़कियों के बीच समानता को बढ़ावा देने के तरीके ढ़ूढ़ना।
  • लड़कियों के प्रति रूढ़िवादी धारणा रखने वालों को चुनौती दें तथा को स्कूल में लड़िकियों के प्रवेश के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार करें।
  • अपने बच्चों को लड़कियों एवं महिलाओं का सम्मान समाज के शिक्षित और जागरूक सदस्यों के रूप में करने की शिक्षा दें।
  • लिंग निर्धारण परीक्षण की किसी भी घटना की सूचना दें।
  • महिलाओं और लड़कियों के लिए सुरक्षित और हिंसा-मुक्त समाज निर्मित करने का प्रयास करें।
  • समुदाय और परिवार के भीतर साधारण विवाह को बढ़ावा दें एवं दहेज और बाल विवाह का विरोध करें।
  • महिलाओं के संपत्ति के वारिस होने के अधिकार का समर्थन करें।
  • महिलाओं को घर से बाहर जा कर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना उनके काम को उनके व्यवसाय को तथा सार्वजनिक स्थानों पर उनकी आवाजाही आदि को भी प्रोत्साहित करना।
  • महिलाओं और लड़कियों के प्रति संवेदनशील हों, मन में उनके कल्याण की भावना रखें।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए आवेदन कैसे करें

लड़की के नाम पर एक बैंक का खाता खोलना पहला बुनियादी कदम है। इस योजना का लाभ उठाने के इसके नियमों का पालन करना आवश्यक है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए आयु सीमा

10 साल तक के उम्र की सभी लड़कियां इस योजना के तहत पात्र हैं। उनके नाम पर बैंक खाता खोलना आवश्यक है।

कर मुक्त योजना – प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई यह योजना पूरी तरह से कर मुक्त है। आपका खाता खुलने के बाद उसमें से किसी भी राशि की कटौती नहीं की जाएगी।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज

खाता खोलने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज आपके पास हों यह सुनिश्चित करें:

  • बच्ची का जन्म प्रमाण पत्र।
  • माता-पिता या कानूनी अभिभावक के पहचान का सबूत।
  • माता-पिता या कानूनी अभिभावक के पते का प्रमाण।

ध्यान दें: – यह योजना अनिवासी भारतीयों के लिए नहीं है।

भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों, नियमों और विनियमों के अनुसार, प्रवासी भारतीय इस योजना के लिए आवेदन नहीं कर सकते। सुकन्या देवी योजना डाकघर बचत खाता नियम 1981 के द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इसलिए प्रवासी भारतीय इस श्रेणी के अंतर्गत नहीं आते हैं।

लड़कियों को कितना लाभ प्राप्त होगा –

भारत सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए 150 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

बीबीबीपी योजना महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और मानव संसाधन विकास मंत्रालयों से चल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना को एक बड़ा कदम और समाज के लिए एक वरदान के रूप में वर्णित किया है।

केंद्रीय बजट में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत महिलाओं की सुरक्षा की रक्षा करने के लिए 50 करोड़ रुपये का आवंटन किया है।

बच्चियों को प्राप्त होने वाले लाभ इस प्रकार हैं:-

  • आप अपनी बच्ची के लिए एक खाता खोल पाएंगे जो आपका वित्तिय बोझ कम करेगा और लड़की को उसकी छोटी-बड़ी जरूरतों के लिए पैसा मिल जाएगा।
  • सरकार सभी छोटे बचतकर्ताओं के लिए बीबीबीपी योजना के तहत सबसे अधिक ब्याज दर प्रदान करती है। इसके सहायता से आप अपनी बेटी के भविष्य के लिए और अधिक पैसा बचा सकते हैं।
  • इस खाते को अधिनियम 1961 यू/एस 80 सी के तहत छूट प्राप्त है। लड़की का खाता कर-मुक्त होगा। इसका मतलब यह है कि खाते से कोई भी रकम कर के रूप में नही काटी जाएगी।

इस योजना का सबसे अच्छा पहलू – खाता खोलने के समय से महिला के 21 साल की उम्र प्रप्त कर लेने पर यह खाता परिपक्व हो जाएगा। उसकी उम्र 18 साल की होने के बाद ही उसे उच्च शिक्षा के लिए धन प्राप्त होगा। जब वह 21 साल की हो जाएगी तो आप उसकी शादी के लिए खाते से पैसे निकालने में सक्षम हो पाएंगे। इस खाते की अधिकतम अवधि सीमा 21 वर्ष है।

बीबीबीपी योजना का उद्देश्य लोगों को यह समझाना है कि लड़कियों की शिक्षा एवं शादी माता-पिता के लिए बोझ नहीं है। आप इस खाते के तहत बचाये गए धन द्वारा अपनी बेटी के विवाह की व्यवस्था कर सकते हैं। यह योजना बच्चियों को पूर्ण वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है।

खाता खोलने के 21 साल बीत जाने के बाद पूरी रकम ब्याज समेत आपकी बेटी के खाते में जमा करा दिए जाएंगे।

 

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