How Social Media causes Depression and Loneliness
सोशल मीडिया क्या है?
सोशल मीडिया एक सामान्य मंच है जहां हम अपने दोस्तों, परिवार और अन्य करीबी लोगों के साथ जुड़े रह सकते हैं। यह हमारे विचारों और दिन प्रतिदिन की गतिविधियों को व्यक्त करने का एक बहुत अच्छा माध्यम है। आजकल हर किसी की अपनी एक सामाजिक प्रोफ़ाइल होती है और वे अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों को अद्यतन (update) करते हैं। इस क्रम में, जो लोग काम करते हैं और जो नहीं करते हैं, उनके पास निश्चित रूप से एक अलग सामाजिक स्थिति होती है और जब वे इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं, तो लोग आम तौर पर जलन महसूस करते हैं जिससे कुछ मनोवैज्ञानिक परिवर्तन होते हैं और यह कुछ गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों की ओर ले जाता है।
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हालांकि सोशल मीडिया एक बहुत अच्छा मंच है। कभी-कभी यह सामाजिक स्थिति को खोने का जोखिम बढ़ा देता है, जो अकेलेपन का कारण बनता है और कभी-कभी इससे अवसाद भी हो सकता है। ऐसा सुना गया है कि लोग सोशल मीडिया पर कहीं अधिक खूबसूरत दिखते है, जितने वे असल में होते हैं। लोग वैसी अवास्तविक दुनिया में विश्वास करने लगते हैं, जोकि गलत है।
सोशल मीडिया के लाभों के बारे में कोई संदेह नहीं है, लेकिन फिर भी, कुछ गंभीर कमियां हैं, जिन्हें नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है। अकेलेपन और अवसाद के कई मामले आजकल सोशल मीडिया के कारण देखे जा सकते हैं।
प्रौद्योगिकी का विकास वरदान के साथ-साथ एक अभिशाप भी है। अब यह हमारे ऊपर है कि हम उसे कैसे प्रयोग करते हैं। हमने सोशल मीडिया के कारण लोगों में बढ़ती असुरक्षा के पीछे कुछ मुख्य कारणों पर चर्चा की है।
आमतौर पर, सोशल मीडिया मनोरंजन के लिए बनाया गया था, लेकिन धीरे-धीरे इसके उपयोग बदल गए। मनुष्य की तुलनात्मक प्रवृत्ति होती है और जब भी हम दूसरे के पोस्ट को देखते हैं तो हम तुलना करना शुरू कर देते हैं। हमारे पास वैसी पोशाक या नई कार नहीं है, उसके जैसी स्टेटस नहीं है, आदि। ऐसी सोच से तनाव बढ़ता है, जो हमें अवसाद की ओर ले जाता है।
हम हमेशा श्रेष्ठ बनना चाहते हैं और कभी-कभी हम दूसरों की सफलता को सहन नहीं कर पाते हैं और जब दूसरे खुश और सफल दिखते हैं, यह हमसे बर्दाश्त नहीं होता है। वे अपने रिश्ते, परिवार और कई अन्य चीजों में खुश दिखते हैं, और हम नहीं। यह हमें असुरक्षित महसूस कराता है और अवसाद का माध्यम बनता है।
विभिन्न शोधों में यह पाया गया है कि आम तौर पर लोग तब उदास महसूस करते हैं जब वे दूसरों को उनसे बेहतर करते हुए देखते हैं, और उनकी सामाजिक स्थिति अच्छी होती है। यह तुलनात्मक प्रवृत्ति उनके दिमाग को विचलित कर सकती है और उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा सकती है। इसलिए, तुलना करने से बचें। जब आप जानते हैं कि आपकी तुलनात्मक प्रवृत्ति है, तो बस सोशल मीडिया से दूर रहें।
2. अलगाव की भावना (The Feel of Isolation)
कभी-कभी लोग इन सामाजिक प्लेटफार्मों के इतने आदी हो जाते हैं कि वे अपना अधिकांश समय, अन्य पोस्टों को स्क्रॉल करने और लाइक करने में ही बिता देते हैं। इससे उन्हें अलग-थलग महसूस होता है क्योंकि यह उन्हें वास्तविक दुनिया से अलग ले जाता है और वे सिर्फ डिजिटल दुनिया में खो जाते हैं। लेकिन जैसे ही जब हम अपने फोन या लैपटॉप बंद कर देते हैं, तो हमारे पास करने के लिए कुछ नहीं होता है और जहां सोशल मीडिया पर हजारों दोस्त होते हैं, वहीं असल जीवन में एक भी ऐसा दोस्त नहीं होता है, जिसके साथ घूम-फिर सके। यह हमें अलग-थलग महसूस कराता है। अतः हम कह सकते हैं कि सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से हम/आप अलग-थलग महसूस कर सकते हैं।
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3. अवास्तविक दुनिया को सच मानना (Believing the Unrealistic World)
यह जरूरी नहीं है कि जो कुछ हम सोशल मीडिया पर देखते हैं वह हमेशा सही हो। कभी-कभी लोग एक छोटी सफलता को इस तरह से बढ़ा-चढ़ा कर पोस्ट करते हैं कि यह बहुत बड़ा और अद्भुत दिखने लगता है। यह साबित हो चुका है कि कोई भी उतना खूबसूरत नहीं होता, जितनी उनकी सोशल मीडिया प्रोफाइल पिक्चर दिखती है। कुछ लोग अधिक पसंद और लोकप्रिय होने के लिए नकली चीजें भी पोस्ट करते हैं। डिजिटल मीडिया आपको अपने दोस्तों से जोड़े रखता है, वास्तविकता से नहीं। लोग 100 सेल्फी लेते हैं और उनमें से बेहतरीन पोस्ट करते हैं। इन सभी तथ्यों से पता चलता है कि ये सोशल प्लेटफॉर्म केवल लोकप्रियता कमाने के लिए एक ज़रिया बन गया हैं और कुछ लोग कुछ सौ लाइक्स कमाने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं।
4. गुम हो जाने का भय (Fear of Missing Out – FOMO)
कभी-कभी ऐसा हो सकता है कि आपको किसी व्यक्ति द्वारा किसी विशेष कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया हो; हालाँकि, वह आपका दोस्त हो सकता है। यह आपके मन में एक सामाजिक असुरक्षा, और आपकी उपस्थिति, या सामाजिक स्थिति के बारे में एक भय पैदा करता है, जिसे ‘फोमो’ कहते हैं। इसमें आप उपेक्षित महसूस करते हैं और यह अपने स्वयं के मूल्य को खोने का डर है। जोकि सबसे दर्दनाक भावना “FOMO” (Fear of Missing Out) विकसित करता हैं।
आप हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी बाहरी कारक आपके दिमाग या शरीर पर हावी न हो। किसी भी कारणवश कभी भी “FOMO” या आपके मन में किसी अन्य प्रकार की असुरक्षा की भावना का विकास न होने दें, क्योंकि हर किसी की एक अलग जीवनशैली होती है। यह संभव है कि जिस तरह से लोगों का एक समूह आपको आकर्षित करता है, आप भी दूसरों को आकर्षित कर सकते हैं।
आजकल लोग अपना अधिकांश खाली समय इन सोशल मीडिया की साइट्स पर बिताते हैं और हमेशा अपडेट रहते हैं। सोशल मीडिया पर बहुत अधिक समय बिताने से वास्तविक दुनिया के साथ आपका संबंध टूट सकता है और जिस क्षण आप अपना फोन अलग रखते हैं, अकेलेपन की भावना आपके दिमाग में प्रवेश कर जाती है। सोशल मीडिया की आजकल सबको लत लग गयी है और जिस क्षण आपको उससे दूर रखा जाता है, आप उदास और अकेला महसूस करने लगते हैं। यह न केवल आपको अकेलापन महसूस करवा सकता है बल्कि आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है।
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किसी भी चीज का ज्यादा इस्तेमाल आपको नुकसान पहुंचा सकता है। हमें हमेशा संतुलित जीवन जीना चाहिए। यह हर सन्दर्भ में सही है, चाहे बात भोजन की हो या किसी और चीज की। किसी भी प्रकार का असंतुलन आपको परेशान कर सकता है।
हमेशा कुछ बाहरी गतिविधियां करने की कोशिश करें, इससे न केवल आप तरोताज़ा महसूस करेंगे, बल्कि यह आपको अपने फोन से दूर भी रखेगा। यह आपको तनावमुक्त रखेगा। तो, प्रकृति की गोद में जाइए और उसकी सुंदरता को महसूस करिए, यह आपको सभी प्रकार के तनाव से मुक्त कर देगा।
मानव शरीर और मस्तिष्क पर इसके हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए सोशल मीडिया के उपयोग को सीमित करने के सर्वोत्तम तरीके निम्नलिखित हैं:
उदाहरण के लिए, यदि आपका दोस्त विदेश में रहता है और वह रोज़ाना देर रात पार्टी पिक्स पोस्ट करता है, तो यह आपको एक पल के लिए उत्साहित कर सकता है, लेकिन उसकी जीवन शैली के बारे में सोचें, तो जरा सोचिए, उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है, उसकी मूल भाषा बोलने वाला कोई नहीं है। ऐसी कई परिस्थितियाँ हो सकती हैं जो उसे दुखी कर सकती हैं, लेकिन इन सबके अलावा उसने अपने जीवन के आनंदमय क्षणों को साझा करना चुना। इसी तरह, आपके जीवन में कुछ पल हो सकते हैं जो दूसरों से काफी अलग हो।
निष्कर्ष
सोशल मीडिया को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म कहा जा सकता है, जहां आपको अपने चित्रों, विचारों या घटनाओं को साझा करने का अवसर मिलता है। यह एक मीडिया बाजार के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां आप चीजों को खरीद या बेच सकते हैं। केवल एक चीज जो आपको चाहिए वह है, अच्छी इंटरनेट कनेक्टिविटी। इन सबके अलावा, कभी-कभी लोगों को इसकी आदत या यूं कहें लत लग जाती है जो कि अच्छा संकेत नहीं है, क्योंकि किसी भी चीज़ की लत से विनाश होता है। यह अवसाद और अकेलेपन का कारण बनता है, क्योंकि यह असुरक्षा और सामाजिक स्थिति के नुकसान की भावनाओं को विकसित करता है। तो, होशियार रहें और इन सोशल मीडिया का इस्तेमाल स्मार्ट तरीके से करें।