जीवन बहुत सुन्दर है, यह हमें केवल एक बार ही मिलता है, और हम सभी इसे सबसे बेहतर बनाना चाहतें है। जीवन एक सी-सॉ की तरह है जिसमें हम कभी उपर तो कभी नीचें होते है। लेकिन जिस तरह से हम अपनी उपलब्धियों का जश्न मनाते है, उसी तरह विफलताओं में भी हमें धैर्य रखना चाहिए, क्योकि ये जीवन में एक अनुभव के रुप में हमें मिलते है जो हमें साहसी और मजबूत बनाते हैं।
हम चाहें अमीर हो या गरीब, हम सभी को अपने जीवन में अलग-अलग समस्याओं का सामना अलग-अलग तरीके से करना पड़ता है। लेकिन कई बार ये बुरे दिन हमारी यादों पर बहुत गहरा प्रभाव छोड़ जाती है और इन्हें भुलाना हमारे लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। यह सच है कि ऐसी यादों को भुलाना आसान नहीं होता है, पर असंभव भी नहीं होता। आपका जन्म आपके माता-पिता के लिए सबसे अच्छा यादगार लम्हां था, पर क्या वो हर दिन उसे मनातें हैं? जबाब है नहीं, फिर हम अपनी समस्यांओं पर बार-बार विलाप क्यों करते है। हमारे मस्तिष्क में हिप्पोकैम्पस नामक हिस्से के कारण हमें ये सारी चीजें याद रहती हैं।
जीवन में सात पापों की तरह हमारी स्मृति के भी सात पाप होते है। हमारा दिमाग इसे कैसे याद रखता है या भुलता है, डेनियल स्कैकर जो एक स्मृति शोधकर्ता है उन्होने अपनी किताब में इसका वर्णन किया है, उन्होने इस किताब में बहुत अच्छी तरह से मानव प्रवृत्ति और उनके सातों पापों को याद रखने या भुलने का विस्तार से वर्णन किया है।
वास्तव में कोई भी कार्य हमारी प्रतिक्रिया का परिणाम है। इस किताब में उन्होंने स्मृति के सातों पापों या सामान्य प्रतिक्रियाओं को अलग-अलग बताया है। वे है – चंचलता, अनुपस्थिति-उदारता, अवरोध, दुष्साहस, सुझाव, पश्चाताप और हठ।
इनमें से कोई एक ही हमारी यादों के लिए जिम्मेदार होती है, जब कोई व्यक्ति किसी प्रकार की जानकारी, या कोई घटना जैसे सालगिरह, जन्मदिन आदि को याद नही रख पाता है। इनमें से कुछ हर रोज की यादों और मुर्खतापूर्ण काम के लिए भी जिम्मेदार होते है। मैनें इस तरह की यादों से छुटकारा पाने के लिए यहां कुछ ऐसे बेहतर तरीकों के बारें में चर्चा की है।
चीजों को भूलने की विस्तृत जानकारी के अलावा, मैंने यहां कुछ बेहतर और आसान तरीकों को बताया है। ये आपकी समस्याओं का विश्लेषण करने में आपकी मदद करेंगी और व्यवहारिक रूप से सोचने और समस्याओं को स्वतः भूलाने में आपकी मदद करेंगीं।
गलती करने के बाद ही हमें एहसास होता है कि हमने गलती की है, और तब तक इसे सुधारनें में हमें काफी देर हो चुकी होती है, और यह हमारी जिन्दगी के एक काले दिन के रूप में बदल जाती है। इसे भुलाना हमारे लिए बहुत मुश्किल हो जाता है, और हम हमेशा इसके बारें में सोचते रहते हैं।
अब हम उपलब्धियों की चर्चा करते है। मैं आपको अपनी एक उपलब्धि के बारें में बताती हूं, जब मैं के.जी कक्षा में थी तो मुझे बहुत कम समय में अधिक बन्स खाने के लिए पुरस्कार, सर्टिफिकेट और एक मेड़ल भी मिला था जो कि अभी भी मेरे पास है। मैं उस दिन बहुत खुश थी क्योकि मैनें ये उपलब्धि हासिल की थी और मैं टाप पर थी। लेकिन आज परिदृश्य यह है कि मैं बहुत मोटी हो गयी हूं और जब भी कोई मुझसे उस उपलब्धि के बारें में पुछता है, तो मुझें उसके बारे में बताने में बहुत शर्म महसूस होती है। अब वही उपलब्धि मेरे लिए कोई मायने नही रखती है। इसी तरह, ऐसा कुछ नही है कि जो आपके साथ बुरा हुआ हो वो आपके साथ एक बुरें अनुभव के रुप में हमेशा के लिए आपके साथ रहें।
यह जीवन है, और यह आपको बहुत कुछ दिखाता है, हममें से कुछ अपने माता-पिता को बहुत ही कम उम्र में खो देते है तो कुछ बहुत देर में। यह सत्य है कि सभी को एक दिन जाना है, कोई हमारे साथ रहने नही आता है। इसी प्रकार हमारी समस्याएं भी हैं, जो कुछ समय के लिए आती है और आप पर एक बूरा प्रभाव छोड़ जाती है। कुछ घटनाए अच्छे कारण के लिए होती है, जो आपको मजबूत बनाने और याद रखने के लिए होती है। यदि आप इसमें फेल हो जाते है तो यह आपके लिए एक चेतावनी है कि आपकी तैयारी उस स्तर तक की नही थी।
कुछ लोगों की शिकायत होती हैं कि उन्होंने पांच से ज्यादा बार भुलाने की कोशिश की पर उनसे न हो सका, इसलिए उनके पास एक ही विकल्प बचा है कि वो उन बुरें दिनों के बारें में सोंचे और रोयें। लेकिन क्या आप इस तरह से रह सकते है, जबाब काफी आसान है “नही”। तो इससे अच्छा आप खुद को आगे बढ़ने का एक और मौका दें।
एक बूरे दिन के तुरंत बाद आप एक नया शेड्यूल बनाएं और अच्छी तरह से उसका पालन करें। यह हो सकता है आप अकेले रहते हो फिर भी आपके पास कई सारे काम जैसें खाना बनाना, सफाई और अन्य बहुत सारें काम हैं। आप खुद को जितना व्यस्त रखेंगें चीजों को उतनी आसानी से भुला सकेंगें। इसलिए आप विभिन्न चीजें करते रहें और वास्तव में ये आपके लिए बहुत मददगार साबित होंगी।
आप अपना खाली समय सोचने में खर्च न करें, क्योंकि जब आप खाली होते है तो ये स्वतः आपको उन यादों की ओर खीच ले जाएंगी। इसलिए आप टी.वी. देखे, एफ.एम. सुने, अपने दोस्तों के साथ बातें करें, गेम खेलें या अपने शौक के लिए कुछ समय निकालें। यह सब आपको व्यस्त रखेंगी और उन चीजों को भुलाना आसान बना देंगी।
यह मान्यता है कि, भारतीय पवित्र ग्रंथ, “भागवत गीता” में सभी प्रकार के मानव समस्याओं के सामाधान के बारें में बताया गया है। आप इसे एक बार अवश्य पढ़ें यह आपकी अवश्य मदद करेगा, यह कई भाषाओं में आनलाइन भी उपलब्ध है, मेरा विश्वास करें यह आपके लिए अवश्य मददगार साबित होगा।
किसी भी कार्य को होने में समय लगता है, इसलिए बिना निराश हुए आप थोड़ा समय दें। हर चीज के दो पहलु होते है, आप चाहें तो अपने दुसरे पहलु को भी दिखा सकते है।
उदाहरण के लिए, एक विज्ञान प्रतियोगिता आयोजित की गयी जिसमें विजेता को नासा की यात्रा पर भेजा जाएगा। आपने भी इसमें भाग लेने का फैसला किया। आपको इस तरह के कई अवसर मिल सकते है, लेकिन मुख्य बात यह है कि इसमें आप कैसी प्रतिक्रिया देते है। मान लिजिए कि आपने अच्छे से तैयारी की फिर भी आप पुरस्कार न पा सके। तब आप क्या करेंगें?
यह बहुत आसान है, आप यह जानने की कोशिश करें कि, क्या प्रतियोगिता में पुछे गये प्रश्न आपके स्तर के थे? क्या आपने उन हिस्सों को कवर किया था? प्रतियोगिता के पैटर्न के बारें में आपकी क्या सोच है?
यदि आपके ज्यादातर प्रश्नों के उत्तर हां में है, तो आप बहुत भाग्यशाली है कि आपके पास इसके लिए एक निश्चित विचार है और आपको निश्चित रूप से अगले वर्ष के लिए अच्छी तैयारी करनी चाहिए। और यदि आपके ज्यादातर प्रश्नों के उत्तर नहीं है तो भी आपको खुश होना चाहिए कि यह पूरी तरह से आपकी पहुंच से बाहर था और आप अपनी तैयारी एक अलग तरीके से शुरु करें।
यह सभी चीजें आपको भुलाने में मदद करेंगी कि आपके साथ क्या हुआ, और यह कई तरीकों से किया जा सकता है। जैसे कि यह कोई हादसा या एक बूरा दिन था। इसके लिए आप खुद से सवाल करें कि आपको क्या करना है और इससे सारी चीजें स्पष्ट हो जाएंगी कि आपको क्या करना है। हां, मुमकिन है ऐसी चीजों को तुरंत नही भुलाया जा सकता, लोकिन जब एक बार आपको आपके प्रश्नों के सही उत्तर मिल जाएंगें तो आप उन बातों को आसानी से भुला पाएंगे।
ध्यान की बात आते ही हमें ऐसा लगता है कि, ओह हैलों मैं ठीक हूँ और मुझे इसकी क्या आवश्यकता? लेकिन हम में से ज्यादातर लोग ध्यान के कुछ भाग का ही अभ्यास करते है, और उन्हें लगता है कि बस इतना पर्याप्त है। ध्यान करने से आपके अन्दर सभी प्रकार के बुरें विचार मिट जाते है और आपको जीवन में नई भावनाओं को विकसित करने में मदद करती है।
हम जन्म लेते है और जब हम जीवन और मृत्यु का सफर तय करते है तो हमारे सामने कई उतार-चढ़ाव आते है। पवित्र भगवत गीता में मनुष्य के जीवन और उनमें आने वाली सफलता और असफलता पर कैसे प्रतिक्रिया दी जाए इसके बारे में बताया गया है। लोगों को अपनी सफलता या विफलता पर एक समान प्रतिक्रया देनी चाहिए। इससे जीवन में समरुपता आती है। मनुष्य को चाहिए कि वह ध्यान की प्रक्रिया को एक-एक करके चरणबद्ध तरीके से रोजाना अभ्यास करे। इससे जीवन में संतुलन और उनके सोचने के तरीको में बदलाव आता है, और वह अपनी समस्याओं को आसानी से दूर कर सामान्य जीवन जी सकता है।
अपने मस्तिष्क को इस कहानी की तरह प्रशिक्षित करें।
एक बार एक आदमी एक आश्रम में गया और एक संत से पुछा। महोदय मैं अपनी समस्याओं से छुटकारा पाना चाहता हूँ लेकिन यह मेरा पीछा नही छोड़ती, मैं जहां भी जाता हूँ ये वहां मौजुद होती है। इसकी वजह से मै बहुत उदास महसूस करता हूँ और मेरी समस्याएं मेरे दिमाग में बढ़ती जा रही है, मुझे आपकी सहायता चाहिए। कृपया आप मुझे इस समस्या से बाहर निकालिए।
संत ने एक मुस्कान के साथ आदमी को पेड़ पर चढ़ने के लिए कहा और हाथों के सहारे से पेड़ की शाखा से लटकने को कहा। वह आदमी गया और उस तरह लटक गया, और जब वह अपने हाथों में तनाव महसूस करने लगा। तब संत ने उसे शाखा छोड़ देने को कहां और वह जमीन पर नीचे आ गया क्योकि वह बहुत उचाई पर नही था। और संत ने उससे पूछा कि आपके हाथों में कौन था और किसने आपको छोड़ा? तब आदमी ने कहा, शाखा मेरे हाथों में थी और मैने उसे पकड़ रखा था और फिर मैने उसे छोड़ दिया।
इसी तरह हम अपनी समस्याओं को वहन स्वयं करते है, वो हमारे साथ नहीं आती जब तक हम उन्हें साथ नहीं लाते है। इसलिए आप उनसे बचें और उन्हे अपनी यादों से दूर रखने की कोशिश करें। हम लगातार अपनी समस्या के बारें में सोचते रहते है, और मामला बढ़ता जाता है। जब आप घर से बाहर नही निकलना चाहते तो आपको कोई बाहर नही ले जा सकता है। इसलिए बुरी चीजों को भूला कर अपने मस्तिष्क को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।
यह मानव प्रवृत्ति है की वह रोज एक ही कार्य करके उब जाता है। इसलिए आप अपनी दिनचर्या में, आलमारी, कमरें के रंगों और बैठने के तरीकों में कुछ बदलाव करे, यह आपके लिए एक अच्छा तरीका हो सकता है। इस छोटे से बदलाव के कारण आपको अच्छा और अलग महसूस होगा और बुरी चीजों को आसानी से भुलाने में आपकी सहायता करेगा। आप अपने कपड़ों और दीवारों पर हमेशा चमकीलें रंगों का चुनाव करें। चमकीलें रंग आपके लिए हमेशा ही अच्छे होते है।
जिस प्रकार हम एक उपलब्धि को लेकर हमेशा उत्साहित नहीं रहते है, उसी प्रकार हमें एक ही बात को लेकर रोना या दुखी नहीं होना चाहिए।
उदाहरण के लिए, मै एक युनिवर्सिटी टापर हूँ, और दिक्षांत समारोह में जब मैनें यह सुना तो उस दिन मेरे पास भावनाओं को व्यक्त करने के लिए कोई शब्द न था। इसमें कोई शक नही कि वह मेरा सबसे शानदार दिन था, लेकिन अब वैसी खुशी महसूस नहीं होती हैं। जब मै अपनी उपलब्धियों को याद नहीं रखता और हर दिन जश्न नही मनाता, तो हम बुरें दिन को क्यों याद रखें। अपने बुरे दिनों से हमेशा सीखें और कोशिश करें कि वह गलती दोबारा फिर न हों।
यह आपकी तरक्की में बाधा पैदा करती है, क्योकि आप एक ही चीज को बार-बार सोचते है और कुछ नया नही कर पातें है।
पीछे हटने के लिए हमेशा तैयार रहें, क्योकि एक छात्र के रुप में यदि परीक्षा में आपके अंक कम आये और आप उसी के बारें में सोचते रहें तो आप आने वाली परीक्षा की तैयारी नही कर पाएंगे और आपके दोस्त आपसे आगे निकल जाएंगे क्योकि उनकी तैयारी पहले से है।
आप बेहतर अवसर खो सकते है, हमें अपनी असफलताओं से सीख कर भविष्य की तैयारी करते रहना चाहिए। जीवन एक क्रिकेट मैदान की तरह है और बाल एक मौके की तरह है और फिल्डर जानता है उसे कब पकड़ना है। इसलिए यदि आप बुरी यादों में अपना समय गवाएंगे तो आप कई अवसर खो देंगे।
स्वास्थ को प्रभावित करता है, कबिर दास जी द्वारा कही गयी हिन्दी की एक कहावत है, “चिंता आपके ज्ञान को प्रभावित करती है”, जबकि अधिक सोच आपके स्वास्थ को प्रभावित करता है, और पाप लक्ष्मी को दूर कर देता है।
अधिक सोच डीप्रेशन का कारण होती है और यह आत्महत्या के विचारों का कारण भी बन सकता है।
भगवान जानता है, कि उसने स्मृति किसलिए बनायी है, जो एक निश्चित समय के बाद चीजों को भुला देती है। यह जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहुत ही आवश्यक है। सफलता की ऐसी कई कहानियां है जो बूरी यादों को भूलाकर ही संभव हुयी है। यहां देखें…
मार्क जुकेबर्ग ने अपने जीवन में बहुत सी असफलताओं का सामना किया, लेकिन वह रुके बिना उन गलतियों से कुछ सीख कर आज उन्होने अपने नाम को एक ब्रांड की तरह बना दिया है। तो यह एक अच्छा निर्णय था या खराब? इसी तरह कई नाम है जिन्हें सफलता विरासत में नहीं मिली, उन्होने बुरी चिजों को भुलाकर एक नया अध्याय लिखा।
अलीबाबा के संस्थापक जैक मा बहुत बार हारे हुए व्यक्ति थे, वो दस से भी ज्यादा बार असफल हुए फिर भी वे अपनी बुरी यादों और दिनों को किनारें कर एक नए उत्साह के साथ आगे बढ़े। इन्टरनेट पर सर्च करने मात्र से आपको हजारो नाम ऐसे मिल जाएंगे, जो ज्यादा न सोचकर चिजों को भुलाकर अपनी सफलता की ओर आगे बढ़े है।
संयोग से यह आपको मजबूत बनाता है, और यदि आप फिर से उस स्तिथि का सामना करते है तो यह आपको फिर से टूटनें नही देगा, यह आपको मजबूत बनाता है और आपके दिमाग को ताकत देता है। बुरी यादें बहुत दर्द देती है पर ये हमें बहुत कुछ सिखाती भी है। इसलिए बुरी यादों के बारें में सोचकर उनसे एक सीख लेकर भविष्य की योजनाओं को तैयार करें।
शोध में यह देखा गया है कि जब हम नाकारात्मक चिजों से दूर रहते है तो हमारा दिमाग बेहतर काम करता है। इसलिए यदि आप चाहते है कि आपका मस्तिष्क ठीक से काम करे तो बेहतर है कि आप बुरी चिजों के बारे में न सोंचे।
बुरी यादें हमारे मस्तिष्क को ठीक ढंग से काम करने नहीं देती है और आपके काम व प्रदर्शन को भी प्रभावित करती है। किसी दुर्घटना या बुरी यादों के कारण हम अपना भविष्य क्यों बर्बाद करें। इस तरह के बुरे विचारों से खुद को दूर रख आगे बढ़ें।
निष्कर्ष
आप एक संपूर्ण व्यक्ति है और आपको कोई भी दुखी या कोई आपको रूला नही सकता जब तक आप खुद ऐसा नही चाहतें है। आप मजबूत बनें और अपनी समस्याओं से लड़ने की कोशिश करें। हम कई समस्याओं का सामना करतें है और उससे सीखते भी है। जब एक बच्चा चलना सीखता है तो वह सैकड़ों बार गिरता है, और कभी-कभी उसे चोट भी लग जाती है लेकिन वह खड़ा होकर फिर से चलना शुरु करता है। आप अपने जीवन में एक बच्चे की तरह बनिए और मुझे विश्वास है कि आप अपनी जिंदगी का आनंद लेना शुरु कर देंगे और अपने सभी दर्द और चिन्ताओं को भुल जाएंगे। स्वस्थ और खुश रहें क्योंकि एक स्वस्थ शरीर एक स्वस्थ दिमाग रखता है और यह निश्चित रूप से आपकी मदद करता है। स्वास्थ्य संबन्धित अधिक रोचक जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें।