कविता

मन की आवाज

दिल को छू लेने वाली मोटिवेशनल कविता को जरूर पढ़ें, अगर आपको अपने जीवन में सफल होना है और मंजिल तक पहुंचना है तो सबसे पहले अपने मन पर नियंत्रण करना सीखें।

मोटिवेशनल कविता – मन की आवाज (Motivational Poem in Hindi)

आराम कभी किया नहीं, लड़ता रहा हर छन,

बारिश गर्मी धूप से, जल गया तन बदन।

जीत का स्वाद कभी चखा नहीं, लाख किए भजन,

ईश्वर भी क्या करता, जब बस में नहीं था मन।।

मोटिवेशनल वीडियो – मन की आवाज (मन पर नियंत्रण पाकर जीवन में सफल कैसे हों)

नमस्कार दोस्तों आज मैं आप लोगों के सामने एक ऐसा विषय लेकर उपस्थित हूँ…

जिसने कईयों को राजा बनाया, और कईयों को फकीर।

जिसने इसकी ताकत को पहचान लिया वो विजेता हो गया और जिसने नजरअंदाज किया वो गुलाम बन कर रह गया।

जी हाँ साथियों आज हम बात करने वाले है मन और उसकी आवाज पर – “मन की आवाज”

हमारे मन एवं आत्मा के बीच दो प्रकार का संबंध होता है –

  • – ऐसे में मन से निकली आवाज निश्चित तौर पर मनुष्य को अवनति के मार्ग पर ले जाती है।
  • – ऐसी स्थिति में निकली मन की आवाज का अनुसरण करने से मानव में तेज, ओज, शक्ति एवं ऊर्जा का संचार होता है।

ऐसे व्यक्तियों की संकल्प शक्ति इतनी मजबूत होती है कि हजारों बार असफल होने के बाद भी उनका मन नहीं हारता, वो निरंतर प्रयास करते रहते हैं और एक न एक दिन जीत का सेहरा उनके माथे पर सजता है।

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी भी कहते है कि-

मन के हारे हार सदा रे, मन के जीते जीत,
मत निराश हो यों, तू उठ, ओ मेरे मन के मीत

मन की आवाज को दृढ़ संकल्प में ढ़ाल कर उस पर अमल करने वाले इंसान के लिए कुछ भी असंभव नहीं है,

क्या आप नहीं जानते?

कि कैसे लगभग 10 हजार बार लगातार असफल रहने के बाद भी थॉमस एडिसन के दृढ़ संकल्प में कोई कमी क्यो नहीं आई? क्योंकि उनका अन्तर्मन उनसे बार – बार कह रहा था, तुम कर सकते हो, तुम कर सकते हो, एडिसन ने अपने अन्तर्मन की सूनी और अपने प्रयास को जारी रखा और आखिरकार बल्ब का आविष्कार करने में सफल रहें……

क्या आपको नहीं पता?

कि कैसे लाखों क्रान्तिकारियों ने अपने मन में उम्मीद की किरण जगाकर, दृढ़ संकल्प एवं मनोबल के सहारे ही अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला दीं और भारत से उखाड़ फेंका था …….

क्या आप नहीं जानते?

कि कैसे एक अतिशोषित व्यक्ति, डा0. भीमराव अम्बेडकर के मनोबल एवं दृढ़ संकल्प के द्वारा ही आज हमारे पास विश्व का सबसे बड़ा हस्थ लिखित संविधान है, जिससे की हम सब, विशेष रूप से महिलाए अपना हक व अधिकार पा सकती है……

क्या आप नहीं जानते?

कि कैसे धीरू भाई अम्बानी, नारायण मूर्ति जैसे अनेक व्यवसायियों ने भी अपने दृढ़ संकल्प एवं इच्छा शक्ति को आधार बनाकर ही शून्य से शिखर तक का सफर तय किया……

तो दोस्तों अगर आप भी जिन्दगी में सफल होना चाहते हैं, और कुछ ऐसा करना चाहते है जिससे लोग आपको पहचाने, इतिहास में सुनहरे अक्षरों में आपका नाम लिखा जाए तो आपको सबसे पहले अपने मन पर नियंत्रण करना होगा, दृढ़ संकल्प करना होगा, क्योंकि हमारा मन ही हमें हमारे लक्ष्य से भटकाता रहता है।

साध ले अपने मन को मानव, वर्ना ये बहुत भटकायेगा,

जंग लगा देगा पंख में तेरे, तु उड़ भी नही पायेगा,

जीवन का वो लक्ष्य तुम्हारा, मिट्टी में मिल जाएगा,

आसमान छूने का ख्वाब तुम्हारा, सपना ही रह जाएगा,

साध ले अपने मन को मानव, वर्ना तु बहुत पछतायेगा।।

Sandeep Vishwakarma

संदीप कुमार विश्वकर्मा एक पेशेवर कॉन्टेंट राइटर के साथ-साथ एक बेहद उम्दा कवि भी हैं, माँ हंस वाहिनी की कृपा इन पर हमेशा बनी रही है। अपने बचपन के सपने को साकार करने के लिए इन्होंने इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद भी लेखन शैली को अपने जीवन का आधार बनाया और आज इनके कलम से निकला एक-एक शब्द युवाओं के मन को झकझोर कर रख देता है। अपनी लेखनी के माध्यम से संदीप जी युवाओं के दिलों पर राज करते हैं।

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Sandeep Vishwakarma