एक दिन ऐसा भी था
गले में हांड़ी, कमर में झाड़ू था,
गायों के दूध वो पीते लेकिन
मरने पर चमड़ा सिर्फ हमारा था।
एक भारत ऐसा भी था,
जहाँ दलित की ज़िन्दगी,
जानवर से भी बदतर थी,
पशु पी सकते थे पानी,
लेकिन हमें ये सम्मान न था।
अगर बनाया सबको भगवान ने,
तो मंदिर में प्रवेश क्यों न था?
हमारे पूर्वज भी राजा थे,
पर इतिहास ने उनको राक्षस कहा ।
भीषण, हनुमान-सा बल था उनमें,
दिमाग़ तलवार-सा धार था,
शासन में न्याय, युद्ध में जीत
फिर भी मनु ने छीन लिया अधिकार था।
ब्रह्मा के पैर से जन्मे हो तुम,
शूद्र हो, अछूत हो
न पढ़ने का हक, न जीने का,
यही मनु का विधान था।
हमें क्या पता भगवान कैसा होता है,
पर जिसने बदला हमारा इतिहास
संविधान में कलम से लिख दिए
समान अधिकार और सम्मान।
शायद ऐसा ही होता है भगवान…
वो थे बाबासाहेब महान!
वो थे बाबासाहेब महान!
— नवीन भारत