‘समय में एक सिलाई नौ बचाता है’ इस कहावत का मतलब है कि अगर कपड़े का एक उधड़ा हुआ हिस्सा नहीं सिला जाये, तो वह उधड़न, समय के साथ और भी बड़ा हो जाएगा। यह सन्दर्भ समस्याओं का समाधान करने की तरफ है या समय पर समस्याओं को बांटने की तरफ; अन्यथा, वे सिर्फ बढ़ते ही चले जायेंगे और उन्हें हल कर पाना आसान नही होगा। इसका आसान सा मतलब ये है कि मुश्किलें भी काफी बड़ी हो जाएँगी ठीक उस उधड़न की तरह अगर समय पर उसका निस्तारण नहीं किया गया तो।
किसी भी कहावत का सही मतलब समझने के लिए उदाहरण सबसे बेहतर तरीका होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं इस कहावत “समय में एक सिलाई नौ बचाता है” पर आधारित कुछ ताजा उदाहरण आपके लिए लेकर आया हूँ, जो आपका ज्ञान और जानकारी बढ़ाएगा।
“प्रधानाध्यापक ने असेंबली में छात्रों से कहा था – अगर तुम लोग परीक्षा में बेहतर करना चाहते हो तो तुम लोगों को आज से ही पढ़ना शुरू करना होगा क्योंकि समय में एक सिलाई नौ बचाता है।”
“कोरोना महामारी के पहले मामले के सामने आते ही सरकार ने जरूरी निवारक उपाय लेने शुरू कर दिए थे। इससे समय रहते लाखों लोगों की जान बच गयी क्योंकि समय में एक सिलाई नौ बचाता है।”
“बाँध में एक दरार आने पर सुपरवाईजर ने तत्काल ही उसपर कार्यवाही करते हुए उसकी मरम्मत करा दी। मुमकिन है, वह जानता था कि समय में एक सिलाई नौ बचाता है।”
“पुल की स्थिति बिगड़ चुकी थी और उसकी मरम्मत की आवश्यकता थी, मगर ऐसा नही हो पाया और तूफ़ान में वो पूरी तरह से ढह गया। अब एक बार फिर से चीजों को शुरू से बनाना पड़ेगा। काश ठेकेदार को पता होता कि समय में एक सिलाई नौ बचाता है।”
“जब माता-पिता को उनके बच्चे की बुरी आदत का पता चला, तो वे तत्काल ही उसे दूर करने के लिए कार्यवाई करने लगे। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उनके जीवन का तजुर्बा बताता है कि समय में एक सिलाई नौ बचाता है।”
“समय में एक सिलाई नौ बचाता है” यह कहावत काफी लम्बे समय से चलन में हैं। इसके सटीक उत्पत्ति के बारे में तो कोई खास जानकारी नहीं मिलती है; फिर भी, यह पहली बार ब्रिटिश लेखक और फिजिशियन, थॉमस फुलर द्वारा लिखी गयी किताब में सामने आया था।
फुलर की “ग्नोमोलिया, एडैगिस, और नीतिवचन” शीर्षक वाली किताब में; ऐसा ही एक वाक्यांश सामने आया था जो इस कहावत से थोड़ा अलग है। पुस्तक में जो वाक्यांश दिखाई दिया था वह कुछ इस तरह से था ‘समय में एक सिलाई नौ बचा सकता है।’ बाद में, वाक्य में अनुमेय ‘सकता है’ को हटा दिया गया और यह ‘समय में एक सिलाई नौ बचाता है।’
“समय में एक सिलाई नौ बचाता है” कहता है कि कपड़े या पोशाक में एक छोटा सा भी छेद हो जाने पर उसे तुरंत सही कर लेना चाहिए; अन्यथा, इसकी वजह से भविष्य में अन्य कई छेद हो सकते हैं। यह सलाह सिर्फ कपड़े तक ही सीमित नहीं है, जीवन के अन्य पहलुओं, समस्याओं तथा जिम्मेदारियों पर भी लागू होता है।
दुसरे शब्दों में, अगर हम अपनी जिम्मेदारियों को लगातार टालते रहेंगे या नकारते रहेंगे यह सोचकर की ये तो बहुत छोटी सी समस्या है, तो भविष्य में, यही समस्या बहुत बड़ी हो जाती है, और फिर उसे सुधारने में हमें काफी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इसलिए समझदारी इसी में है कि समस्या जब छोटी रहे तब ही उसे हल कर लिया जाये, अन्यथा, भविष्य में उसके लिए हमें भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
“समय में एक सिलाई नौ बचाता है” यह कहावत हर किसी के लिए एक महत्वपूर्ण सलाह है। ये किसी भी व्यक्ति विशेष या समूह को इंगित नहीं करता; बल्कि ये अलग अलग क्षेत्रों के लोगों को जीवन की एक सीख देता है। ये सलाह देता है कि अपनी जिम्मेदारियों को समझें और तत्काल ही उसका निवारण करें, चाहे समस्या कितनी भी छोटी क्यों ना हो।
उदाहरण के लिए छात्रों को यह सलाह दी जाती है कि वे अपनी शंकाएं शुरुवात में ही दूर कर लें, अन्यथा, समय के साथ वो बड़ी होती चली जाएगी, जो उनके प्रदर्शन पर भी प्रभाव डालेगी। छोटी शंकाएं जब दूर नहीं होती हैं, तो वे आगे चलकर बड़ी बन जाती है और आखिरकार इसका असर उनके प्रदर्शन पर पड़ता है।
ठीक इसी तरह से यह सलाह पेशेवरों पर भी उतनी ही प्रभावी है। ना जाने कितनी बार आपने कई छोटी समस्याओं को नजरअंदाज किया होगा या टाल दिया होगा, यह सोचकर कि ये तो बहुत मामूली सी बात है। आपने इस बात पर गौर किया है की आगे चलकर वही छोटी सी समस्या कितनी ज्यादा बड़ी हो गयी? असल में यही होता है और यह कहावत हमें इसी बात की चेतवानी देता है।
किसी कहावत के नैतिक गुण को समझने के लिए कहानी सबसे बेहतर माध्यम होती है। आज मैं आपके लिए कुछ कहानियां लेकर आया हूँ ताकि आप “समय में एक सिलाई नौ बचाता है” कहावत का सही सही मतलब समझ सकें।
लघु कथा 1 (Short Story 1)
एक बूढ़ा पुजारी अपनी पत्नी के साथ मंदिर में रहता था। मंदिर के रखरखाव की जिम्मेदारी उस साधू पर थी मगर वो बहुत ही कंजूस था। एक पैसा खर्च करने से पहले वो सौ बार सोचता था, यहाँ तक की जरूरी चीजों के लिए भी।
जिस जगह पर वो लोग रहते थे उसकी छत पर एक छोटी सी दरार थी। गर्मियों में, उसकी पत्नी ने पुजारी को उस दरार के बार में चेताया भी था कि इससे पहले कि बारिश आये उसे जल्दी से जल्दी सही करवा ले। पुजारी पैसे खर्च नहीं करना चाहता था और बात को टालता रहा।
जल्द ही, बारिश का मौसम आ गया और उसकी पत्नी ने एक बार फिर से उसे दरार के बारे में बताया। पुजारी ने जवाब दिया, यह बहुत छोटी दरार है, पानी की कुछ बूंदें ही टपक रहीं हैं। मैं इतनी छोटी चीज पर पैसे नहीं खर्च करना चाहता हूँ। बेचारी पत्नी के पास बात को जाने देने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।
अगले महीने में काफी जोरदार बारिश होने लगी जिसकी वजह से दरार दिन प्रति दिन और भी ज्यादा बढ़ती चली जा रही थी। एक रोज ये हद से ज्यादा बढ़ गयी और पूरा कमरा मिनटों में बारिश से भर गया। अब छत को बारिश शुरू होने से पहले जितनी मरम्मत चाहिए थी उससे कहीं ज्यादा मरम्मत की जरूरत थी। पुजारी के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था, इसलिए उसे अपनी छोटी सी लापरवाही की वजह से काफी ज्यादा पैसे खर्च करने पड़े।
अब उसे अफ़सोस हो रहा था कि उसने इसपर पहले ही काम क्यों नहीं कर लिया जब यह काफी छोटा था। उसकी पत्नी ने कहा कि अब इसपर विचार करने से कोई फायदा नही है और उससे बताया कि एक बात हमेशा याद रखना “समय में एक सिलाई नौ बचाता है।” यानी कि, अगर समय पर नहीं चेते तो आगे चलकर उसके लिए भारी कीमत चुकानी पड़ती है।
लघु कथा 2 (Short Story 2)
एक लड़का था जिसकी लापरवाही की आदत थी। वो न सिर्फ पढ़ाई में बल्कि हर काम में लापरवाही दिखाता था। उसके माता-पिता और शिक्षक सभी उसे चेतवानी देते थे मगर वह किसी की परवाह नहीं करता। वे कहते थे की दिन भर में कुछ घंटे की ही पढ़ाई कर ले ताकि परीक्षा के वक़्त उसे तनाव नहीं रहेगा। मगर वह बच्चा हमेशा की तरह किसी की सलाह पर ध्यान नहीं देता था। हर दिन वो बस यही सोचता था की स्कूल में टीचर तो बस एक ही पाठ पढ़ाएंगी। वो मैं जब चाहूँगा तब पढ़ लूँगा। कुछ पन्ने कोई बहुत बड़ी बात नहीं है।
कुछ ही महीनों में, परीक्षा आ गई। अब वह काफी उदास और चिंतित दिख रहा था। जिन कुछ पन्नों को वह रोज रोज पढ़ने से टालता था आज वही पन्ने जुड़कर पूरी किताब बन गए थे। यह संभव नहीं था कि कुछ ही दिनों में पूरी की पूरी किताब पढ़ ली जाए।
तब, उसके शिक्षक और माँ बहुत ही शालीनता से उसके पास उसकी मदद के लिए आये और उसे महत्वपूर्ण विषयों के बारे में बताया। जब बच्चा परीक्षा पास कर गया और अपने शिक्षक के पास उन्हें धन्यवाद देने गया, उनमे से एक जिनका नाम मिस्टर नटराजू था उन्होने उस बच्चे को बताया, की एक बात हमेशा याद रखना “समय में एक सिलाई नौ बचाता है” और कभी किसी भी चीज को नजरंदाज नहीं करना चाहिए।