“समय ही धन है” इस कहावत का अर्थ है कि धन कमाना आपके समय नियोजन पर आधारित होता है। आपने अपना समय प्रबंधन किस तरह से किया है यह तय करता है कि आप आर्थिक रूप से कितनी तरक्की कर रहे हैं। हर एक क्षण का इस्तेमाल होना चाहिए, सही काम करते हुए, एक कदम अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ाते हुए, हर एक बीतते मिनट के साथ। यह कहावत कहती है कि हमें अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहिए, क्योंकि समय की बर्बादी अपनी तरक्की से समझौता करने के बराबर है।
किसी भी कहावत का सही मतलब समझने के लिए उदाहरण सबसे बेहतर तरीका होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं इस कहावत “समय ही धन है” पर आधारित कुछ ताजा उदाहरण आपके लिए लेकर आया हूँ, जो आपका ज्ञान और जानकारी दोनों को बढ़ाएगा।
“किसी दुकानदार के लिए, एक घंटे का अधिक समय उसे और भी ज्यादा ग्राहक दिला सकता है जिसका मतलब है ज्यादा पैसा। वास्तव में समय ही धन है।”
“एक बिजनेस मैन, जो अपने व्यापार की बजाय अन्य चीजों में अपना समय बर्बाद करे, कभी भी धन नहीं कमा सकता है क्योंकि समय ही धन है।”
“मालवाहक जहाज का कप्तान चिल्लाया – आगे बढ़ने से पहले हमें केवल 1 घंटे के लिए बंदरगाह पर डॉक किया जायेगा। याद रखना समय ही धन है।”
“मेरे विपणन प्रबंधक अपने ग्राहकों की जिज्ञासा और सवालों को लेकर समय के काफी पाबंद रहते हैं। वे हमेशा कहते हैं समय ही धन है।”
“बड़े शहरों में, हर कोई जल्दीबाजी में दिखता है क्योंकि उन्हें इस बात का अच्छी तरह से एहसास है कि समय ही धन है”।
यह कहावत तक़रीबन 430 बीसी में प्राचीन ग्रीक से शुरू हुई है। इसका श्रेय एक ग्रीक संचालक एंटिफॉन को दिया जाता है, जिसका काम अदालत के मामलों में प्रतिवादियों के लिए भाषण लिखना था। एक बार उसने लिखा था ‘सबसे कीमती चीज समय है।’ हालाँकि यह वाक्यांश इस कहावत ‘समय ही धन है’ से पूरी तरह मेल नहीं खाता मगर काफी हद तक उसका अर्थ वही निकलता है।
कई सदियों के बीत जाने के बाद, ‘समय कीमती है’ पंक्तियाँ काफी मशहूर हो गयी और कई वक्ताओं और विद्वानों द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने लगी। ‘समय ही धन है’ इस कहावत का सटीक इस्तेमाल बेंजामिन फ्रेंकलिन, संयुक्त राज्य अमेरिका के संस्थापक पिता में से एक द्वारा किया गया था। उन्होंने इस कहावत ‘समय धन है’ का सही इस्तेमाल अपने काम ‘एक युवा ट्रेड्समैन को सलाह’ के शीर्षक में किया है। तब से यह कहावत विद्वानों और आम लोगों द्वारा भी व्यापक रूप से उपयोग में है।
“समय ही धन है” कहावत कहती है कि धन कमाने में समय बहुत ही अहम किरदार निभाता है। असल में इस कहावत में “समय” इस बात को दर्शाता है कि आप समय का किस तरह से इस्तमाल करते हैं। अगर आप समय का महत्त्व समझ जाते हैं और अपने हर एक मिनट का सही-सही इस्तेमाल करते हैं, वो भी सही दिशा में, तब आपको धन कमाने से कोई नहीं रोक सकता है और इस तरह से आप आर्थिक रूप से भी मजबूत बन जाते हैं।
इसी तरह से एक विपरीत परिदृश्य पर विचार करिए, जिसमें एक व्यक्ति अपने उपलब्ध समय का उपयोग ना करके उसे अनावश्यक चीजों को करने में बर्बाद करता है। अब, इस तरह का व्यक्ति सफलता नहीं पा सकता और ना ही उससे सम्बंधित कुछ भी, साथ ही अपनी पास की सारी संपत्ति भी खो देता है। इसलिए, जब समय ही धन है, तो समय का नुकसान गरीबी की तरफ धकेलता है।
यह कहावत हमें समय की कद्र करना और इसे बर्बाद नहीं करना सिखाता है। यह समय के प्रभावी उपयोग को सीधे तरक्की या सफलता के साथ जोड़ता है। सफलता का मन्त्र हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त है, चाहे वह कुछ भी करे। चाहे आप एक छात्र है जो बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है या फिर एक भावी डॉक्टर, या कोई और जो अपनी नौकरी में तरक्की की राह देख रहा हो। यह कहावत आपके तरक्की का रहस्य हो सकता है।
किसी कहावत के नैतिक गुण को समझने के लिए कहानी सबसे बेहतर माध्यम होती है। आज मैं आपके लिए कुछ कहानियां लेकर आया हूँ ताकि आप “समय ही धन है” कहावत का एक मनोरंजित तरीके से सही-सही मतलब समझ सकें।
लघु कथा 1 (Short Story 1)
एक बड़े शहर में एक टैक्सी ड्राईवर रहता था जो यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया करता था जिसके लिए उसे पैसे मिलते थे। चाहे धूप हो या बारिश वो सप्ताह के सातो दिन और चौबीसों घंटे अपनी सेवा देता रहता था।
यहाँ तक कि वह घर पर लंच के लिए भी आराम से नही रुकता, उसे जो भी मिलता, झट से खा कर निकल जाता। उसकी एक छोटी सी बेटी थी जो अपने पिता के इस काफी ज्यादा व्यस्त काम से काफी दुखी रहती थी। निश्चित रूप से वह बच्ची चाहती थी कि उसके पिता भी परिवार के साथ कुछ वक़्त बिताएं। मगर वह व्यक्ति सवारियों को ढोने में ही व्यस्त रहता था।
एक दिन बच्ची को बुखार आ गया था और तब पत्नी के कहने पर उसने अपने काम को एक दिन के लिए रोक दिया। जब वो अपनी बच्ची के पास बैठा था तब बच्ची ने उससे पूछा, ‘क्यों आप सारा दिन गाड़ी चलाते रहते हो, आप मेरे और मम्मी के साथ समय क्यों नहीं बिताते?’
वह आदमी जानता था कि उसकी बच्ची उससे क्या पूछना चाह रही थी, तब उसने जवाब दिया – ‘प्यारी बच्ची, तुम्हे पता हैं मैं एक टैक्सी चलाता हूँ, लोगों को एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाता हूँ जिसके बदले में वो मुझे पैसे देते हैं। जो पैसे मुझे मिलते हैं उससे मैं तुम्हारी पढ़ाई, हम लोग जो खाना खाते हैं, बिल, दवाई, आदि और घर के बाकी की जरूरत के काम के लिए जुटाता हूँ। हर क्षण इस शहर में लोग टैक्सी का इन्तजार करते रहते हैं। ये मेरा काम है कि मैं उन्हें खोजूं और उन्हें उनके गंतव्य तक समय पर पहुंचा दूँ, वरना, बाकि के टैक्सी ड्राईवर ये मौका ले लेंगे। जितना ज्यादा समय मैं घर पर व्यतीत करूँगा उतने ही पैसे में खोता जायूँगा। प्यारी, मेरे काम में, समय ही धन है।”
उस रोज के बाद उसकी बच्ची के दिल में उसके पिता के लिए सम्मान और भी ज्यादा बढ़ गया और उसने फिर कभी दुबारा पिता को घर पर समय बिताने के लिए उन्हें परेशान नहीं किया।
लघु कथा 2 (Short Story 2)
एक गाँव में एक छोटा सा दुकानदार था। गाँव काफी छोटा था इस वजह से दुकानदार की कुछ खास आमदनी हो नहीं पाती थी जिससे कि उसके परिवार का पालन पोषण आराम से हो सके। अपनी बिक्री को बढ़ाने के लिए दुकानदार ने हर एक प्रयास कर लिया था मगर सब व्यर्थ साबित हुआ।
उसका एक बहुत ही समझदार दोस्त था जो उस दुकानदार की समस्याओं को जानता था उसे उसने मदद के लिए बोला। दोस्त ने उस दुकानदार से कहा कि उसे अपनी दुकान में और समय बिताना चाहिए। दुकानदार ने बताया कि वह पूरे वक़्त अपनी दूकान में ही रहता है! तब उसके दोस्त ने बताया कि तुम अपनी दुकान कुछ और घंटों के लिए खोलो।
दुकानदार ने जवाब दिया कि वह अपनी दुकान ठीक 9 बजे खोल देता है। अब सुबह 7 बजे ही खोल दिया करो, उसके दोस्त ने सलाह दी। दूसरा कोई विकल्प ना देख कर दुकानदार ने अपने दोस्त की सलाह मानी और अपनी दुकान प्रतिदिन सुबह 7 बजे से खोलनी शुरू कर दी।
उसे तब काफी हैरानी हुई, जब उसने देखा की जितने ग्राहक दो दिन में भी नहीं आते थे उससे कहीं ज्यादा केवल सुबह 7 से 10 के बीच ही आने लगे हैं। अब वह सामान बेचने लगा और अपने दोस्त को ढेर सारा धन्यवाद दिया। उसके दोस्त ने दुकानदार को बहुत ही उदारता से एक और सलाह दी। उसने कहा, अपने व्यापार में हमेशा एक बात को याद रखना ‘ समय ही धन है।’