‘एकता में शक्ति है’ यह कहावत विस्तृत रूप से इस्तेमाल किया जाता है, जिसका मतलब है कि जब लोगों का समूह एकजुट रहता है, तब वे उस व्यक्ति की तुलना में अधिक मजबूत रहते हैं जो वे व्यक्तिगत रहे होंगे। इस कहावत की खासियत ये है कि यह केवल इंसानों पर ही नहीं बल्कि अन्य जिव-जंतुओं पर भी बराबर से लागू होता है।
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स्तनधारी जीव जैसे भैंस, हाथी, आदि ये सभी साथ-साथ झुण्ड में रहने के लिए जाने जाते है और एक दुसरे की तथा बच्चों की शिकारियों से रक्षा भी करते हैं। ये रणनीति उनके जीवन को बचाने में सहायक होती है। एकता में शक्ति है इसका सही मतलब इससे ही पता चलता है।
किसी भी कहावत का सही मतलब समझने के लिए उदाहरण सबसे बेहतर तरीका होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं इस कहावत “एकता में शक्ति है” पर आधारित कुछ ताजा उदाहरण आपके लिए लेकर आया हूँ।
“समान प्रवृत्ति के व्यक्ति इकट्ठे रहते हैं, क्योंकि ये प्रभावी रूप से उन्हें अन्य शिकारियों से बचाता है; वास्तव में एकता में शक्ति है।”
“लकड़ी के एक टुकड़े को हाथ से आसानी से तोड़ा जा सकता है, लेकिन अगर आप दो-चार को एक साथ बांध दें, तब मुश्किल बढ़ जाती है। एकता में शक्ति है का यह सभी से बेहतर और प्रायोगिक उदाहरण है।”
“इतिहासकार ने कहा – मैं इस बात से काफी हैरान हूँ कि कैसे कुछ कमजोर कबीले वाले खुद को ताकतवर विपक्षियों से बचा पाए थे, वो भी सिर्फ एक साथ जुटकर। एकता ही उनकी मुख्य ताकत थी। या आप ये भी कह सकते हैं एकता में शक्ति है!”
“हम एक परिवार में रहते हैं क्योंकि व्यक्तिगत रूप से हम मुश्किलों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं, मगर एक साथ परिवार की तरह रहते हुए हम एक दुसरे की मदद करते हैं और परेशानियों को पार कर लेते हैं क्योंकि एकता में शक्ति है।”
“अंग्रेजों के खिलाफ हर भारतीय अकेले खड़े होने का रिस्क नहीं ले पाता था मगर, एक साथ जुटकर हम सभी इतने ताकतवर हो गए कि उनसे अपनी मातृभूमि को आजाद करा लिया। वास्तव में, एकता में शक्ति है।”
1830 के बेल्जियम विद्रोह के बाद, ‘एकता में शक्ति है’ का नारा पहली बार इस्तेमाल हुआ। इस कहावत का पहली बार इस्तेमाल बेल्जियम ने अपने नौ प्रांतों के बीच एकता को बढ़ावा देने के लिए किया था।
उसके बाद से यह नारा तमाम देशों और संगठनों द्वारा इस्तेमाल किया जाने लगा और आज भी ये काफी लोकप्रिय बना हुआ है। आज की तारीख में यह बेल्जियम, बोलिविवा और बुल्गारिया का राष्ट्रिय नारा बना हुआ है। यह वाक्यांश समय के साथ बदल गया और आज इसके कई नए नए रूपांतरण सामने आ चुके है जैसे “एकता में शक्ति है”, “एकता में अटूट शक्ति”, आदि।
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‘एकता में शक्ति है’ ये कहावत यह सन्देश देती है कि ताकत एकता से ही आती है, जैसे कि मुश्किल वक़्त में जब लोग एक साथ खड़े रहते हैं, वे ज्यादा मजबूत होते हैं और कई तरह की परेशानियों का आसानी से सामना कर सकते हैं। ये बात सिर्फ इंसानों पर ही नहीं बल्कि अन्य प्राणियों पर भी बराबर लागू होती है।
एकता एक तरह से साथ रहने की क्रिया होती है, जो की इंसानों और कुछ अन्य प्राणियों में देखने को मिलती है। इसका मतलब है कि वक़्त चाहे अच्छा हो या बुरा एक दुसरे के साथ रहना और मदद करना चाहिए। इन्सान परिवार और समाज में रहता है जो उसे मजबूत बनाता है, उनकी अपेक्षा जो अकेले रहते हैं। क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिले हैं जो अकेले रहता हो, न कोई परिवार न दोस्त? क्या आपने इस बात पर गौर किया है वह कितना असहाय होता है, परिस्थतियों को लेकर, और अन्य तरह के खतरों को लेकर?
एक साथ रहना लोगों को तमाम तरह की धमकियों से बचाने के साथ-साथ भावनात्मक समर्थन देने के लिए शारीरिक श्रेष्ठता प्रदान करता है। जब लोगों का एक समूह साथ साथ रहता है, वे सिर्फ आपस में लड़ते ही नहीं हैं बल्कि भावनात्मक ऊँच-नीच के मामले में एक-दूसरे की मदद भी करते हैं।
‘एकता में शक्ति है’ इस कहावत का ये महत्त्व है कि ये लोगों में एकता की शक्ति को जागृत करता है, जो समाज में बने रहने का एक सबसे अहम मानदंड माना जाता है। केवल तब जब लोग एकजुट होते हैं; वे समाज की तरक्की के लिए काम करते हैं, साथ-साथ सभी मुश्किलों के खिलाफ। जबकि दूसरी तरफ, अकेले खड़े रहने से, उन्हें हर एक चीज के लिए अकेले ही लड़ना पड़ता है।
‘एकता में शक्ति है’ का सबसे बेहतर उदाहरण है एक विकासशील देश। यह कहावत नागरिकों को प्रेरित करती है कि हर तरह से अपने देश के लिए अच्छा करें, साथ साथ रहकर। अलग अलग धर्म, जाति, पृष्ठभूमि, आदि के लोग, साथ रहते हैं, देश के विकास में अपना सहयोग देते हैं साथ ही साथ इसे बाहरियों से बचाते भी हैं।
किसी कहावत के नैतिक गुण को समझने के लिए कहानी एक बेहतर माध्यम होती है। आज मैं आपके लिए कुछ कहानियां लेकर आया हूँ ताकि आप ‘एकता में शक्ति है’ कहावत का बेहतर मतलब समझ सकें।
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लघु कथा 1 (Short Story 2)
एक बार, जंगल में कबूतरों का एक झुंड उड़ रहा था। वे बहुत भूखे थे और उनका मुखिया अपने साथियों के लिए बहुत ही बेताबी से कुछ भोजन तलाश कर रहा था। नीचे देखने पर पर मुखिया को जमीन पर कुछ अनाज बिखरा दिखा। उसे देख वह खुश हुआ कि कम से कम उन्हें खाने के लिए कुछ मिल तो गया, झुंड नीचे उतरा और खाने के लिए तैयार हो गया।
नजदीक के पेड़ पर बैठे एक कौवे ने उन्हें चेतावनी दी कि, यह एक बहेलिये द्वारा बिछाया गया जाल है, लेकिन कबूतर इतने ज्यादा भूखे थे कि वे चावल के दानों को खाने से खुद को रोक नहीं पा रहे थे। जैसे ही उन्होंने खाना शुरू किया, उन्हें एहसास हुआ कि वे बहेलिये द्वारा बिछाए गए जाल पर भोजन कर रहे हैं और अब वे उड़ नहीं सकते। मुखिया को छोड़कर वे सभी घबराने लगे, मुखिया ने उन्हें धैर्य रखने और भागने की योजना बनाने के बारे में सोचने के लिए कहा।
कबूतरों के मुखिया ने अपने साथियों को एक साथ उड़ान भरने की कोशिश करने के लिए कहा, ताकि वे सभी एक साथ उड़ान भरेंगे जिससे वे नेट उठाने के लिए पर्याप्त ताकत पैदा कर पायेंगे। कबूतरों ने अपने मुखिया के निर्देश के अनुसार वैसा ही किया और वे अपने साथ जाल लेकर सफलतापूर्वक उड़ गए।
कबूतरों के मुखिया का एक चुहा मित्र था जिसने जाल को काट दिया और उन्हें मुक्त कर दिया। अंत में, कबूतरों के मुखिया ने अपने साथियों से कहा – “दोस्तों तुमने देखा आज एक साथ मिलकर हमने वो कर दिखाया है जो अकेले असंभव था। हमेशा याद रखें कि एकता में ही शक्ति है।”
लघु कथा 2 (Short Story 2)
एक बार, एक बुद्धिमान गायक और उसके ग्यारह सहयोगियों की टीम विदेशी भूमि से ढेर सारी कमाई कर के लौट रहे थी। उन्हे जंगलों और गाँव आदि के बीच से दिन-रात सफर करते हुए गुजरना पड़ रहा था। जब जरूरत होती तो कुछ घण्टों का आराम भी कर लेते थे।
एक रात वो एक जंगल से गुजरते हैं, जिसमें डकैतों का एक गिरोह सक्रिय था। हालांकि उन्होंने पूरी कोशिश की जंगल से गुजरते वक़्त डकैतों की नजर उन पर ना पड़े, मगर डकैतों ने उन्हें देख लिया और उन्हें रोका। डकैतों ने उन्हें अपनी सारी संपत्ति उनके सामने रख देने के लिए कहा, मगर व्यवसायी गायक ने मना कर दिया।
इसके बाद डकैतों ने कहा कि अगर उन्होंने अपनी संपत्ति का खुलासा नहीं किया तो वे उन्हें अपने प्रमुख के पास ले जाएंगे, जो और भी अधिक क्रूर और निर्दयी है। मगर फिर भी व्यापारी और उसके साथियों ने लुटेरों को कुछ नहीं बताया। गुस्सा होकर लुटेरे उन सभी को अपने प्रमुख के पास ले जाने लगते हैं।
जब वे जंगल से गुजर रहे थे तभी गायक को एहसास हुआ कि वे सभी कुल बारह लोग हैं और लुटेरे सिर्फ चार थे। उसके दिमाग में एक विचार आया। उसने अपना ढोल पीटना शुरु किया और गाने लगा – “एक, दो, तीन; प्रत्येक पर तीन दुनिया मुक्त कर देगा! डकैतों को ये उनका मजाक लगा और उन्होंने उसके गायकी की हंसी उड़ानी शुरु कर दी और उसे बेवकूफी वाली हरकत समझा, लेकिन उसके सहयोगियों ने काफी बुद्धिमानी से उस संदेश का इशारा समझ लिया। गायक वास्तव में अपने साथियों को बता रहा था कि वे सभी तीन-तीन की संख्या में डकैतों को एक साथ काबू कर सकते हैं, क्योंकि वे डकैतों की संख्या से तीन गुना अधिक हैं।
तीन ड्रम बीट्स की गिनती पर, तीन-तीन सदस्यों ने प्रत्येक डकैत पर काबू पा लिया और उन्हें पीट-पीट कर काला नीला कर दिया। इस तरह के साहस से लुटेरे डरकर भाग गए और गायक और उसकी टीम मुक्त हो गई। अपने घर लौटते वक़्त, वे सभी चर्चा करते रहे कि कैसे उन सभी की एकता ने उन्हें खूंखार लुटेरों पर काबू पाने की हिम्मत दी।