बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत 22 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गयी थी। इस योजना का मुख्य मकसद बालिकाओ कि शिक्षा और लिगांनुपात की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस योजना को सबसे कम लिंगानुपात वाले 100 जिलो से शुरु किया गया था, इस प्रयास के द्वारा समाजिक क्षेत्र में परिवर्तन लाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किया गया था।
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नए बदलते भारत में बदल लो अपनी सोच, बेटियां बनती हैं सहारा नहीं होती हैं बोझ।
बेटी है अनमोल उपहार, शिक्षा है उसका अधिकार।
इतनी खुशियां लायेंगी की समेट नहीं पाओगे, लेकिन ये तब ही होगा न जब तुम बेटियों को बचाओगे।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, देश को प्रगति के पथ पर लाओ।
जब उन्हें बचाएंगे और पढ़ाएंगे तभी हम विश्वगुरु बन पाएंगे।
अगर बेटा एक अभिमान है, तो बेटियां भी वरदान हैं।
जीवन, शिक्षा एवं प्यार, बेटियों का भी है अधिकार।
बेटी है इसे तुम बोझ न मानना, इसकी शिक्षा में कोई बाधा न डालना।
बेटियों को न मारे उन्हें बचाएं, शिक्षा देकर आगे बढ़ाएं।
बेटा तो फिर भी छोड़ जायेगा, पर बेटी तब तक देगी साथ जब तक प्रलय नहीं आएगा।
जीवन, शिक्षा एवं प्यार बेटियों का भी है अधिकार।
जब उन्हें बचाएंगे और शिक्षा देंगे तभी तो हम विश्वगुरु बनेंगे।
चलो हाथ मिलाएं आगे आएं, सबको बेटियों की कीमत समझाएं।
बेटियों को जब मिलेगा सम्मान, तब प्रगति करेगा हिंदुस्तान।
बेटा तो फिर भी छोड़ जायेगा, पर बेटी तब तक देगी साथ जब तक प्रलय नहीं आएगा।
बेटी है इसे तुम बोझ ना मानना, इसकी शिक्षा में कोई बाधा ना डालना।
कंधो से कंधा मिलाकर खड़ी हो गयी है, शिक्षा पाकर एक बेटी बड़ी हो गयी है।
छोटी सी उम्र में इन्हे ना ब्याहो, बेटी है यह इसे तुम पढ़ाओ-लिखाओ।
मेरी बेटी मेरा स्वाभिमान, पढ़ लिखकर एक करेगी रोशन मेरा नाम।
मेरी जीवन का आधार, मेरी बेटी मेरा संसार।
इस बार हमने ठाना है, बेटी को शसक्त बनाना है।
उनके जन्म पर खुशिया मनाओ, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ।
यदि देश में बालिकाओ की शिक्षा नही सुनिश्चित की गयी तो देश का भविष्य अंधकारमय हो जायेगा।
देश को प्रगतिशील बनाना है, बेटियों को पढ़ाना है।
जीवन का है वह आधार, बेटी वह है जो सबके सपनो को करती साकार।
बेटी जब पढ़-लिखकर बड़ी हो जाती है, तरक्की की राह पर खड़ी हो जाती है।
इनकी है हर एक बात मनोहर, बेटियां है हमारी धरोहर।
नन्ही बच्चियां बिखेरती है अपनी मुस्कान, बाल विवाह करके ना करो इनका अपमान।
बेटिया है बेटो से कम नही, जीवन है इनका अपना दूसरो के दम पे नही।
एक दो नही करवाओ तुम बीसो कार्य, पर बिना पढ़ा-लिखाकर घर बैठाकर ना करो इनपर अत्याचार।
बेटिया पढ़ लिखकर हर बाधा को पार कर जाती है, अपने अच्चे कर्मो से अपने परिवार का नाम जगत में रोशन कर जाती है।
इनका मस्तक तुम ना झुकाओ, बाल विवाह जैसी कुरीति से इन्हे ना दबाओ।
जब देश में लड़किया साक्षर होंगी तभी देश प्रगति के मार्ग पर अग्रसर होगा।
नारी सशक्तिकरण का अर्थ तब सार्थक होगा, जब देश में कन्या भ्रूण हत्या पूर्ण रुप से बंद हो जायेगा।
लड़किया विकास का वह मार्ग है, जिनका निर्माण किए बिना विकास के लक्ष्य तक पहुचना असंभव है।
अगर हमें वास्तव में कन्या को पूजनीय बनाना है तो इन्हे शिक्षित बनाना होगा।
बेटियो को पढ़ा-लिखाकर शिक्षा व्याप्त करेंगे, समाज में फैली हर बुराई को समाप्त करेंगे।
देश की तरक्की को मिलेगा नया आयाम, जब बेटिया पढ़-लिखकर करेंगी रोशन देश का नाम।
ना जाने कितनो के जीवन को पूरा करती है, बेटी है वह जो समाज से अंधियारा दूर करती है।
वह छू सकती है हर आकाश, बेटी है वह अनमोल रतन बस जिसे शिक्षा की है तलाश।
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