शराब, यानी नशे के कारोबार से जुड़ा हुआ एक ऐसा हिस्सा जिसने न सिर्फ युवाओं बल्कि अधेड़ उम्र के लोगों को भी जकड़ रखा है। शायद आपको यह सुनकर थोड़ा अजीब लगेगा मगर यह सच है कि शराब के सेवन को लोग नशा या बुरी लत नहीं समझते बल्कि इसे शौक या शान समझने लगे हैं। जो निरक्षर है और जिसे इसके हानिकारक प्रभाव के बारे में जानकारी नहीं होती उनकी बात तो अलग है मगर पढ़े लिखे और अपने जीवन में अच्छी सफलता हासिल कर चुके लोग जो इसके दुस्प्रभाव से बेहतर वाकिफ हैं वो खुद भी इसका धड़ल्ले से सेवन करते है।
इतिहास गवाह है, शराब हो या फिर किसी भी तरह का नशा उसने कभी किसी का भला नही किया है और अगर कुछ किया है तो वो है सिर्फ नुकसान, फिर चाहे वह नुकसान शारीरिक हो या व्यापारिक या फिर व्यक्तिगत हो। इसलिए शराब के सेवन पर ही नहीं बल्कि इसकी बिक्री का भी विरोध होना चाहिए।
माननीय प्रधानाचार्य महोदय, शिक्षकगण और सभी प्यारे मित्रों आप सभी को मेरा नमस्कार! हम सभी इस बात से बेहतर अवगत है कि शराब एक हानिकारक पेय पदार्थ है जो न सिर्फ हमारा व्यक्तिगत रूप से नाश करता है अपितु समाज में भी इसे कलंक का दर्जा मिला हुआ है। हम सभी अक्सर ही देखते हैं कि आये दिन शराब की वजह से तमाम तरह की दुर्घटना होती रहती है जिसमें कभी शराब पीने वाले की जान चली जाती है तो कभी उसकी वजह से सामने वाले की। कई कई बार ऐसा भी होता है कि इस सामाजिक कलंक की वजह से कई परिवार बिखर जाते हैं और कई तरह से मासूमों की जिंदगीयों के साथ भी खिलवाड़ होता है।
शराब जो किसी भी मायने में अच्छी नहीं मानी जाती है और यह समाज के लिए किसी भी तरह से हितकारी नहीं है। हम इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि शराब ने सिर्फ और सिर्फ नाश ही किया है धन, परिवार, सम्बन्ध, स्वास्थ्य, जीवन सब कुछ का। शराब के सेवन और इससे होने वाले समस्याओं के बारे में अगर मैं बोलूं तो सुबह से शाम हो जाएगी मगर इसकी कमियां कभी ख़त्म नहीं होंगी। शराब कितनी ज्यादा नुकसानदायक है इसका पूर्ण रूप से भले ही हर किसी को अंदाजा न हो लेकिन इस बात को तो सभी जानते हैं कि इससे सिर्फ और सिर्फ समस्याएँ ही उत्पन्न होती हैं, कभी किसी का हित नहीं हुआ है।
अनपढ़ व्यक्ति से लेकर पढ़े लिखे लोग और आम जनता से लेकर सरकार तक सभी जानते हैं कि शराब हानिकारक है मगर फिर भी न तो सरकार इसपर कोई ठोस कदम उठा पाती है और न ही हम लोग खुद इसका बहिष्कार करते हैं। हालाँकि सरकार समय-समय पर कुछ कदम उठाती भी है मगर शराब विक्रेता जल्द ही उसका कोई तोड़ ढूंढ लेते हैं और एक बार फिर से शराब आम जनता के बीच पहुँचने लगती है। सिर्फ इतना ही नहीं यहाँ तक कि जनता भी जब काफी ज्यादा त्रस्त हो जाती है तो शराब विक्रताओं और शराबबंदी के खिलाफ आन्दोलन करती है मगर यह ज्यादा वक़्त के लिए प्रभावी नहीं रह पाता।
मगर आपको यह सोचना चाहिए कि शराब किस हद तक हमारे समाज को खोखला करते जा रहा है और अगर हम सभी मिलकर शराबबंदी पर कोई ठोस कदम नही उठाते हैं तो यक़ीनन वो दिन ज्यादा दूर नहीं जब पूरी तरह से हम इस नशे के कारोबार की गिरफ्त में होंगे, और चाह कर भी आप खुद या अपने चहेते को इसके चंगुल से बाहर नहीं निकल पाएंगे। इसलिए मैं आप सभी से यही अनुरोध करना चाहूँगा कि हम सभी मिलकर साथ आयें और समाज के इस कलंक को जल्द से जल्द जड़ से ख़त्म करने के लिए एकजुट हों, क्योंकि ये सिर्फ मेरी या आपकी समस्या नहीं है ये पूरे समाज की समस्या है जहाँ इससे प्रभावित एक भी व्यक्ति कई लोगों को समस्या पहुंचा सकता है।
धन्यवाद !
माननीय मुख्य अतिथि, आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय जी, स्कूल के सभी सम्मानित शिक्षकगण तथा समस्त छात्र-छात्राओं को सबसे पहले मेरे लिए अपना बहुमूल्य समय निकलने के लिए ह्रदय से धन्यवाद। आज मैं जिस मुद्दे पर आवाज उठा रहा हूँ उससे यहाँ पर मौजूद सभी सम्माननीय भद्रजन और मेरे साथी बेहतर अवगत होंगे। जी हाँ, असल में मैं बात करने जा रहा हूँ शराबबंदी की जो आज की तारीख में देखने और सुननें में बेहद ही तुच्छ सा लगता है मगर ये वो दीमक है जो समाज को धीरे-धीरे खोखला करते जा रहा है।
बहुत से लोग इसपर बात नहीं करना चाहते, वो बस ये कहकर आगे बढ़ जाते हैं कि अरे मुझसे क्या, कौन सा मैं शराब का सेवन करता हूँ। मगर शायद उन्हें नहीं पता कि शराब का सेवन अगर सामने वाला भी करता है तो उसका नुक्सान आपको भी भरना पड़ सकता है फिर वो आर्थिक रूप से हो या शारीरिक या फिर मानिसक रूप से भी हो सकता है।
शराब समाज का कलंक है मगर फिर भी ये समाज में गर्व से सर उठा कर जी रहा है बावजूद इसके कि इसके विरोध में लोगों की संख्या ज्यादा है फिर भी यह काफी शक्तिशाली है जो मुंह बाए लोगों को लीलने के लिए आतुर रहता है। शराब के सेवन से खुद उस व्यक्ति के साथ कई तरह की समस्याएँ तो जुड़ती हैं ही साथ ही साथ उसकी वजह से समाज में मौजूद अन्य लोगों को भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो ये हैं जब सरकार खुद इस बात को स्वीकार करती है कि शराब का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है तो फिर वो खुद ही शराब बिक्री के लिए एक विभाग क्यों बना रखी है। यानी कि हम कह सकते हैं आम आदमी तो जो करता है वो करता है मगर सरकार खुद इसे बढ़ावा दे रही। हालाँकि हमारे ही देश के कई राज्य ऐसी भी हैं जहाँ शराब पूर्ण रूप से बंद है मगर बावजूद इस शराबबंदी के लोग इसे बेचने और इसका सेवन करने की कोई न कोई तरकीब निकाल ही लेते हैं।
आपको यह सुनकर भी काफी आश्चर्य होगा कि शराब की बिक्री से सरकार को कमाई होती है, यक़ीनन बहुत से ऐसे लोग होंगे जिन्हें यह बात अभी तक नहीं पता होगी, मगर यह पूर्ण रूप से सत्य है। हालाँकि आपको यह भी बता दें कि इसकी कमाई का आबादी से खास लेना देना नहीं है। इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं कि उत्तर प्रदेश जहाँ की आबादी तक़रीबन 21 करोड़ है और यहाँ से शराब से होने वाली वार्षिक आय करीब 12,000 करोड़ रुपये की है, जबकि केवल 7.5 करोड़ की जनसंख्या वाले तमिलनाडु राज्य में शराब-ब्रिकी से वार्षिक 26,000 करोड़ रुपये की कमाई होती है।
हैरानी तो आपको तब और भी ज्यादा होगी जब आपको ये पता चलेगा कि दक्षिण भारत जिसे हम अपने देश का सबसे ज्यादा शिक्षित हिस्सा मानते हैं वहीं के तमिलनाडु राज्य में शराब की दुकानों की कुल संख्या 6,823 है, जबकि पुस्तकालयों की संख्या केवल 4,028 ही है।
ये निश्चित रूप से देश के विकास पथ की बहुत बड़ी बाधा साबित हो सकती है क्योंकि सिर्फ आय बढ़ाने के लिए समाज में अव्यवस्था, अभद्रता, लूट-पाट, अनैतिक कार्य आदि को बढ़ावा देने वाले शराब पर पाबंदी लगनी चाहिए। और ऐसा तभी संभव हो पायेगा जब हम सब साथ मिलकर शराबबंदी का समर्थन करेंगे, वो भी एक साथ, एक सुर में। बुरे को नहीं बल्कि बुराई को ख़त्म करना समझदारी है। जब तक हम इस बुराई के खिलाफ जंग में एकजुट नहीं होते हैं इस कुरीति, कलंक, जहर को समाज से बाहर निकाल पाना संभव नहीं हो पायेगा। इसके लिए आम जनता के साथ-साथ हमारे सम्मानित नेता लोगों को भी आगे आना चाहिए क्योंकि वे समाज के अग्रणी के रूप में जाने जाते हैं और अगर वो इस दिशा में एक कदम बढ़ाते हैं तो जनता 10 कदम बढ़ाएगी।
धन्यवाद !