भाषण

विविधता में एकता पर स्पीच

भारत विविधता में एकता के प्रतीक की भूमि है। भारतीय संस्कृति जातियों, धर्मों, रीति-रिवाजों और भाषाओं की बहुलता का भंडार है। इस प्रकार भारत दुनिया में अद्वितीय है। भारत दुनिया के लगभग सभी धर्मों का घर है: हिंदू, जैन, बौद्ध, इस्लाम, सिख और ईसाई धर्म जिनके अनुयायी जन्म, शादी, मृत्यु इत्यादि से संबंधित जीवन शैली, प्रथाओं और संस्कारों में मतभेद होने के बावजूद शांतिपूर्ण तरीके से एक साथ रहते हैं। ऐसे कई अवसर आते हैं जब हमें विविधता में एकता के विषय के सभी आयामों के आशय को समझते हुए भाषण देने की आवश्यकता होती है। आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इनमें से किसी भी एक का चयन कर सकते हैं।

विविधता में एकता पर भाषण (Speech on Unity in Diversity in Hindi)

भाषण – 1

माननीय उपराष्ट्रपति, सम्मानित प्रधानाचार्य, सम्मानित प्रोफेसरों, प्रशासन स्टाफ के सदस्यों और मेरे प्रिय साथी छात्रों,

आज गणतंत्र दिवस है। हर भारतीय के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन। इस दिन स्वतंत्र भारत के संविधान को लागू किया गया था। हर साल की तरह हमारा कॉलेज इस महत्वपूर्ण दिन को बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाता है। आप सभी का स्वागत करने और इस विशेष अवसर पर कुछ पंक्तियां बोलने का मौका पाकर मैं अपने आप को बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूँ।

स्वतंत्रता के समय से भारत में राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मोर्चे पर बहुत बदलाव हुए हैं लेकिन एक बात जो अब तक बरकरार है वह है उसकी ”विविधता में एकता”। हम सभी जानते हैं सांस्कृतिक और सामाजिक समस्याओं को हल करने में एकता सबसे प्रभावशाली कारक है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेदों के बावजूद लोगों के बीच आपसी सम्मान की भावना जगाती है। भारत बहु-सांस्कृतिक प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है इसलिए लोग शांति और सामंजस्य के साथ आपस में एक साथ रहते हैं।

भारत एक रंगीन देश है जहाँ लोग विभिन्न धर्मों में विश्वास करते हैं, विभिन्न परंपराओं, संस्कृति, अपने व्यक्तिगत विश्वास और जीवन शैली का पालन करते हैं फिर भी वे एक दूसरे के त्योहार इकट्ठे मनाते हैं। जहाँ गणेश चतुर्थी को पश्चिम भारत में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है वहीं दिवाली, होली उत्तर भारत के मुख्य आकर्षण हैं। नवरात्र गुजरात का दिल है तो जन्माष्टमी उत्तर प्रदेश की आत्मा है। इन कारणों की ही वजह से विदेशी पर्यटक भारत की ओर आकर्षित होते हैं और विशेष रूप से होली, दिवाली, ईद, क्रिसमस, लोहड़ी आदि के दौरान भारत की यात्रा करते हैं। भारत में सबसे पुरानी सभ्यता और संस्कृति है और इनमें से कुछ तो आज भी प्रचलित हैं। हालांकि भारत में विविध और मिश्रित संस्कृतियों की कोई कमी नहीं है फिर भी यह प्रसिद्ध नारा ‘विविधता में एकता’ का प्रतीक है।

हमारी वर्तमान भारतीय सभ्यता निरंतर विभिन्न राज्यों की बहु-जातियों द्वारा विकसित होती रही है। हम सभी जानते हैं कि मुगल, अंग्रेज आदि जैसी विविध जातियों ने समुद्र और भूमि मार्गों के माध्यम से भारत में प्रवेश किया है। उन्होंने देश पर विजय प्राप्त की और कई सालों तक यहां बसे रहे।

भारत एक विशाल और बड़ी आबादी वाला देश है। इसमें 22 आधिकारिक बोली जाने वाली भाषाओं के साथ 29 राज्य हैं लेकिन वास्तव में देश के विभिन्न हिस्सों में बोली जाने वाली 150 अलग-अलग मातृभाषायें हैं। यह निश्चित रूप से अद्भुत है क्योंकि इतने सारे मतभेदों के बावजूद भारत अभी भी मजबूत राष्ट्र के रूप में खड़ा है। यहां के लोग भावुक हैं और यही सबसे लोकप्रिय भाषा है जिसे वे समझते हैं जो उन्हें सभी पहलुओं में एकजुट रखती है। न केवल भाषा बल्कि भोजन, आदतें, पोशाक, सामाजिक और सांस्कृतिक व्यवहार, जातीयता, त्योहारों और धार्मिक विश्वासों में सभी भारतीय एक-दूसरे से बहुत भिन्न होते हैं।

भारत में राजनीतिक स्थिति स्थिर है जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपना उद्यम शुरू करने की इजाजत देती है जिससे भारतीयों के लिए रोजगार के नए-नए अवसर मिलते हैं। भारत में लोग अलग-अलग राज्यों का प्रतिनिधित्व करने के बावजूद एक-दूसरे से बहुत नरम लहज़े में बात करते हैं।

हमें भूलना नहीं चाहिए कि कुछ ऐसे सामाजिक-विरोधी तत्व भी हैं जो देश को अपने व्यवहार और गतिविधियों से भ्रष्ट करने की कोशिश करते हैं लेकिन फिर भी भारत एकजुट है। यह हमारी मातृभूमि की शक्ति है जिससे हमें विपत्तियों का मुकाबला करने और ‘विविधता में एकता’ को बढ़ावा देने के लिए ताकत तथा सहनशीलता मिलती है।

धन्यवाद!

भाषण – 2

सभी सज्जनों को मेरा नमस्कार,

यहां आने और इस चर्चा का एक हिस्सा बनने के लिए धन्यवाद। यहां पर इकट्ठे हुए विभिन्न क्षेत्रों से संबंध रखने वाले आप सभी को सज्जनों को देख मैं अपने आप को बेहद सम्मानित महसूस करता है। आज की चर्चा सबसे अधिक प्रासंगिक विषयों में से एक है ‘विविधता में एकता’ यानी कि ‘अनेकता में एकता’ है जो कि भारत का पर्याय है।

आज मैं यहाँ अपने दृष्टिकोण को साझा करना चाहूंगा कि वास्तव में इस शब्द ‘विविधता में एकता’ का मतलब क्या है? क्या यह अजीब नहीं लगता है जब हम एक वाक्यांश में एक साथ एकता और विविधता को सुनते है। एकता शब्द – जिसका अर्थ है एक और विविधता – जिसका अर्थ है अलग-अलग। ऐसा महसूस भी होता है! इससे हमें आश्चर्य होता है कि यह कैसे संभव है कि दो अलग-अलग चीजों के लिए एक समान कारक है।

यह पूरी तरह सच है कि विविधता में एकता का अर्थ है अलग-अलग चीज़ों का मिलना। इसका अर्थ है विविधता या विभिन्न अवधारणाओं की उपस्थिति के बावजूद एकता या एकजुटता। सरल तरीके से अगर मैं कहूँ तो इसका मतलब है कि कई प्रकार की चीज़ों को एक के रूप में संलिप्त करना।

विविधता में एकता को समझाने का सबसे अच्छा उदाहरण हमारे देश ‘भारत’ के बारे में बात करना। सिर्फ एक शब्द भारत बोलने से बड़ी संख्या में चीजें शीघ्र ही हमारे मन में आती हैं। है न? हाँ सचमुच! विभिन्न जातियों, विभिन्न संस्कृतियों, अलग धर्म, विभिन्न भाषाओं, अलग-अलग रीति-रिवाजों, अलग-अलग खाद्य पदार्थ और पता नहीं क्या-क्या! इन अनेक या विविध चीजों को एक छतरी में एकत्रित करना ही विविधता में एकता का एक सही उदाहरण कहा जा सकता है।

भारत की सबसे बड़ी विशेषताओं में से एक है मानवता के बंधन में सभी धर्मों को मानने वाले लोगों को एक बंधन में बांधना जो अलग-अलग विचारधाराओं को एक सूत्र में बांधने का सबसे अच्छा उदाहरण है। किसी भी कार्यालय, किसी भी स्कूल, किसी भी बाजार या भारत में किसी भी संस्थान में जाकर देखें आप पूर्णता की भावना से अलग-अलग परंपराओं को मानने वाले और अलग-अलग जाति के लोगों को एक साथ काम करते पाएंगे।

अलग-अलग रंग के प्रत्येक मोती को एकसाथ पिरो कर जो माला बनी है वह है हमारा देश – भारत। भारत की इस विविधता के ही कारण यह सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है और पूरे वर्ष बड़ी संख्या में लोग इसकी विविधता के प्रति आकर्षित होकर भारत की यात्रा करते हैं।

अगर मैं भारत का अपने उदाहरण पर निष्कर्ष निकालता हूं तो यह सच है कि यह देश एकीकृत, एकजुट और विभिन्न सांस्कृतिक और पारंपरिक जायके के एक परिपूर्ण मिश्रण के बीच सभी मानदंडों को संतुष्ट करता है। यह वास्तव में एक ऐसा देश है जहां बहु-सांस्कृतिक प्रणालियों के बावजूद लोग शांति और सामंजस्य के साथ रहते हैं।

मान लीजिए यदि आप एक छोटे बच्चे से पूछते हैं तो वह भी यह कहेगा कि एक रंग की चादर की बजाए देखने में वह चादर ज्यादा आकर्षक लगेगी जिसमें दो या दो से अधिक रंग का मिश्रण होता है। इसी प्रकार पूरी दुनिया में कोई भी देश, जगह, स्थल जिसमें व्यापक रूप से फैली संस्कृतियों या परंपराओं का मिश्रण हो वह दूसरे की तुलना में आकर्षित लगेगा।

दोस्तों हमारे चारों ओर विविधता में एकता को देखकर वाकई बहुत प्रसन्नता का अनुभव होता है। आशा है कि आपके लिए यह चर्चा उपयोगी रही होगी।

भाषण – 3

देवियों और सज्जनों,

मुझे आज मेरे विचार साझा करने का मौका पाकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। विविधता जो हमारे भारतीय समाज के गुणगान को दर्शाती है और एकता जो हमें शांति और सद्भाव में एक साथ रखती है।

30 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र के साथ भारत दुनिया में सातवां सबसे बड़ा देश है। इस देश की प्राकृतिक विशेषताएँ विभिन्न और विविध हैं। हिंदुस्तान के उत्तर में जहाँ हिमालय पर्वत है वहीँ बाकी देश में पहाड़ी श्रृंखलाएं, नदियां, झीलें, जंगल और मैंग्रोव वन पाए जाते हैं। इसके बाद थार रेगिस्तान से लेकर समुद्र और विशाल हिंद महासागर है। इसी तरह विभिन्न क्षेत्रों में पाए जाने वाली वनस्पति भी समान रूप से विविध है और विभिन्न प्रकार के जीव अलग-अलग निवास स्थानों में पाए जाते हैं। विविधता वास्तव में भारत की पहचान है।

दिलचस्प बात यह है कि हमारे समाज में भी इस महान विविधता का प्रदर्शन देखने को मिलता है। हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और यहूदियों समेत विभिन्न धर्मों के लोग हैं जो विविध परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन करते हैं और अपने विशेष त्यौहारों और अवसरों को मनाते हैं। बहुत सारे व्यंजन हैं जो खाने की मेज पर सजाए जाते हैं तथा हर प्रदेश की अलग-अलग वेशभूषाओं में भी लोगों को देखा जा सकता है। विभिन्न राज्यों में लोगों द्वारा बोले जाने वाली भाषा और बोलियों की संख्या में बड़ी बहुलता है। इसी तरह देश के प्रत्येक छोटे क्षेत्र की कला, शिल्प, संस्कृति और लोककथाएं विविध हैं और समय के विनाश से बची रही हैं।

जहाँ तक एक शानदार विभिन्नता और विविधता है जो भारतीय समाज को दर्शाती है उससे भी ज्यादा आकर्षक है एकता जो भारतीय जनता को एकजुट करती है।

ऐसा क्या है जो लोगों को एकजुट करता है? ऐसा क्या है जो हम सभी भारतीयों को सुख और दुःख के समय में एक रखता है? भारत को एक गौरवशाली राष्ट्र बनाने के पीछे हमारा जुनून है। हम सभी अपनी भारतीय पहचान साझा करते हैं। हम सभी इस देश में रहते हैं और इसी देश में अपनी आजीविका अर्जित करते हैं। हम सभी हमारे राष्ट्रवाद के गौरव को साझा करते हैं।

भारत को वास्तव में महान राष्ट्र बनाने की इस शानदार यात्रा में हम पहले से कहीं अधिक तेज़ी से एक साथ आ रहे हैं। हम सभी हमारे देश के ऋणी है। यह हम सभी में एक आत्मयिता को जन्म देता है। भारतीय राष्ट्र में हमारा गौरव हमारी सभी विविधता के साथ एक समानता को अमल में लाता है जो हमें आम भाईचारे की भावना में बांधती है। भाईचारे का अर्थ है कि जिससे हमारे देश को श्रेष्ठ प्रदर्शन करने की ताकत मिले और मानव विरासत, जो हम सभी का हिस्सा है, को माने।

राष्ट्रीय एकता की भक्ति ने देश को अपनी एक स्वतंत्र पहचान प्रदान की है और हमारे बहुलवादी आस्था के प्रति हमारी वफादारी हमें एक साझा पहचान प्रदान करती है।

जिस तरह एकता में हम गौरवशाली महसूस करते हैं उसी तरह हमारी विविधता पर भी हमें गर्व की अनुभूति होती है।

धन्यवाद।


भाषण – 4

आदरणीय प्राचार्य, संकाय के सदस्यों, छात्रों और प्यारे दोस्तों,

आप सबको यहाँ मेरे साथ पाकर मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है। जैसा कि आप सब जानते हैं कि हम सब यहाँ एक साथ हमारी विविधता में एकता का जश्न मनाने के लिए मौजूद हैं जो हमारे भारतीय समाज की विशेषता है। हमें यह सोचने की जरुरत है कि शिक्षकों और छात्रों के रूप में हमारी क्षमता के अनुरूप हमारी एकता बढ़ाने के लिए, विविधता को बरकरार रखने के लिए हम क्या कर सकते हैं।

किसी भी अन्य संस्था की तरह यहां इस संस्था में भी हमारे अंदर वो सूक्ष्म गुण मौजूद हैं जो भारत को मजबूत बनाते है। भारतीय समाज में देखी जाने वाली विविधता यहां भी देखी जा रही है, है ना?

इसलिए यदि हम उस समाज को चाहते हैं जो भारत में शांति और सद्भाव को बनाए रखे हमें अपनी विविधता का जश्न मनाने और बढ़ावा देने के साथ-साथ अपनी एकता को महत्व देने और बढ़ावा देने के लिए इस अकादमिक संस्थान में मेल-जोल की भावना में रहने तथा काम करने की आवश्यकता है।

आइए हम विभिन्न त्योहारों को समान उत्साह के साथ इस संस्था में एक साथ मनाए चाहे वह दीवाली, ईद, क्रिसमस, बुद्ध पूर्णिमा, महावीर जयंती, गुरू पूरब या नवरोज़ हो।

इसी तरह आइए हम कुछ साहित्यों को पढ़ते हैं जो भारत की कई स्थानीय भाषाओं की बजाए केवल अंग्रेजी या हिंदी में अनुवाद किए गए हैं। यह हमें हमारे देश के भाषाई और साहित्यिक विविधता का स्वाद देने के साथ-साथ उस क्षेत्र की संस्कृति और लोककथाओं जहां से साहित्य उभरा है वहां की भी भाषाओं के स्थानीय स्वाद को समझने और सराहना करने में मदद करेगा। यह हमारे लिए एक तरह की शिक्षा होगी। हम वास्तव में भाग्यशाली हैं कि हमें अपने देश में इतनी विभिन्न भाषाएँ देखने को मिलती है जबकि कई देशों में ऐसा नहीं है।

इसी तरह हम छात्र के रूप में देख सकते हैं कि विविधताएं देश को अलग-अलग माध्यम से संपन्न कर रही हैं। वास्तव में यह हमें विविधता की सराहना और उसका मूल्य आंकने में मदद करेगी। उदाहरण के लिए हमारे पास जैव-विविधता है। यह हमारी प्राकृतिक विरासत को बचाने में हमारी सहायता करती है।

ऐसे प्रयासों और गतिविधियों से हम अपने बहुआयामी विरासत की रक्षा के लिए हमारे एकजुट प्रयासों की खोज करेंगे चाहे वह हमारी वास्तुकला हो या फिर संस्कृति, कला, प्रकृति, वनस्पति और जीव हो।

इस प्रकार हमारी विविधता को बढ़ावा देने के माध्यम से हम लोगों की एकता स्थापित करने में सफल होंगे। हमारी विविध विरासत की रक्षा के लिए एकजुट कार्य में हम वास्तव में विविधता में हमारी एकता का प्रदर्शन करने में सक्षम होंगे। भारत हमेशा और हमेशा विविधता में एकता के सिद्धांत का समर्थन करने के लिए आदर्श था और होगा।

हमें युवा पीढ़ी के रूप में देश के बहुरूपदर्शक विविधता को बढ़ावा देने और प्रदेश के लोगों की सामंजस्यपूर्ण एकता को बढ़ावा देने के इस सबसे पुरस्कृत काम में उत्साहपूर्वक शामिल होना चाहिए।

इसी में हमारी भलाई है और इसी में हमारे महान राष्ट्र भारत का उच्चतम हित है।

धन्यवाद।

अर्चना सिंह

कई लोगो की प्रेरणा की स्रोत, अर्चना सिंह एक कुशल उद्यमी है। अर्चना सिंह 'व्हाइट प्लैनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड' आई. टी. कंपनी की डायरेक्टर है। एक सफल उद्ममी होने के साथ-साथ एक कुशल लेखक भी है, व इस क्षेत्र में कई वर्षो का अनुभव है। वे 'हिन्दी की दुनिया' और अन्य कई वेबसाइटों पर नियमित लिखती हैं। अपने प्रत्येक क्षण को सृजनात्मकता में लगाती है। इन्हें खाली बैठना पसंद नहीं। इनका कठोर परिश्रम एवं कार्य के प्रति लगन ही इनकी सफलता की कुंजी है।

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द्वारा प्रकाशित
अर्चना सिंह